बड़कागांव में रोज सुबह-शाम गूंज रहे हैं करम गीत
बड़कागांव.
भाई-बहनों का त्योहार करमा पर्व के अवसर पर इन दिनों सुबह-शाम करमा गीत, लोकगीत से क्षेत्र गूंज रहा है. बरे लगल दिया रे चमके लागल बाती, बारू रे दिया…भैया हो बसा लरसा हरा में लाइन दियो डालवा संदेश…आदि कर्म गीत से गूंज रहे हैं. गीतों में भाई-बहनों का प्यार की कहानी वर्णित है. भाई-बहनों व माता-पिता में करमा पर्व को लेकर उत्साह है. गांव की गलियों व अखाड़ों में बहनें जावा डाली के साथ नृत्य करने लगी हैं. बहनें अपने भाई के लिए करम करती हैं और भाई बहनों के लिए एकादशी करम करते हैं ताकि भाई-बहन का प्रेम बना रहे. भादो शुरू होते ही करम पर्व की तैयारी प्रारंभ हो जाती है. वहीं, शादी-शुदा बहनें करम पर्व करने के लिए गाती हैं दादा जल्दी आने जाबे करमा लागी…भादो में मनाए जाने वाले इस पर्व में बहनें भाई की लंबी उम्र की कामना करती हैं. बड़कागांव, सांढ़, खैरातरी, चोरका, पंडरिया, सोनबरसा, सिंदुवारी, महटिकरा, चमगाढ़ा, बरवाडीह, हरली, बादम, महुगायीखुर्द, चोंदोल, हाेरम, लौकुरा, नयाटांड़, तलसवार, आंगो आदि गांवों व बस्तियों में बहने व महिलाएं हर सुबह शाम नृत्य करती हैं.कैसे मनाया जाता है करमा पर्व :
भादो माह शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को करमइत नदी, या तालब जाकर डाली में बालू भरकर उसमें धान, चना, जौ, कुरथी, मकई, मूंग, उरद सहित नौ प्रकार के अनाज के दानों को डालती हैं. यह अंकुरित होता है जिसे लोग जावा कहते हैं. जावा के अंकुरण को सृजन का प्रतीक माना जाता है. जावा डाली में नौ प्रकार का बीज डालने के बाद युवतियां उसे देव स्थल में रखती हैं. बहनें अखरा में जावा को लाकर जागरण लोक गीत के साथ करती हैं. भादो एकादश के दिन भाई-बहन करमा करती हैं. दूसरे दिन नदियों व तालाब में करम के डाल को विसर्जन करती हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है