झारखंड का ये वॉटरफॉल बन गया यूथ के लिए सेल्फी हॉटस्पॉट, ऐसी खूबसूरती जो आया दिल दे बैठा
Jharkhand news, Hazaribag news : हजारीबाग जिला अंतर्गत बड़कागांव प्रखंड के डूमारो जलप्रपात सावन के दिनों सेल्फी प्वाइंट बन गया है. बुढ़वा महादेव मंदिर में हर साल सावन महीने में श्रद्धालु पूजा अर्चना करते आते हैं. यहां पूजा अर्चना करने के बाद लोग डूमारो जलप्रपात जाने से नहीं चुकते हैं. डूमारो जलप्रपात का नजारा ऐसा है कि लोग ना चाह कर भी सेल्फी लेने को मजबूर होते हैं. यही कारण है यह इलाका सेल्फी हॉटस्पॉट बन गया है. लेकिन, इस बार कोरोना संक्रमण के कारण मंदिर में श्रद्धालुओं के प्रवेश की मनाही है.
Jharkhand news, Hazaribag news : बड़कागांव (संजय सागर) : हजारीबाग जिला अंतर्गत बड़कागांव प्रखंड के डूमारो जलप्रपात सावन के दिनों सेल्फी प्वाइंट बन गया है. बुढ़वा महादेव मंदिर में हर साल सावन महीने में श्रद्धालु पूजा अर्चना करते आते हैं. यहां पूजा अर्चना करने के बाद लोग डूमारो जलप्रपात जाने से नहीं चुकते हैं. डूमारो जलप्रपात का नजारा ऐसा है कि लोग ना चाह कर भी सेल्फी लेने को मजबूर होते हैं. यही कारण है यह इलाका सेल्फी हॉटस्पॉट बन गया है. लेकिन, इस बार कोरोना संक्रमण के कारण मंदिर में श्रद्धालुओं के प्रवेश की मनाही है.
मुख्यालय से 6 किलोमीटर की दूरी पर यह डूमारो जलप्रपात महूदी पर्वत श्रृंखलाओं में स्थित है. इस जलप्रपात की ऊंचाई लगभग 350 फीट है. वहीं, झारखंड का सबसे ऊंचा जलप्रपात लातेहार के बूढ़ा घाघ जलप्रपात की ऊंचाई 472 फीट और रांची के हुंडरू फॉल की ऊंचाई 322 फीट है. इस जलप्रपात का उद्गम स्थल महुदी पर्वत श्रृंखला के रानीदह है, लेकिन यह जलप्रपात सरकारी देखरेख के अभाव में उपेक्षित है.
डूमारो जलप्रपात धार्मिक, ऐतिहासिक, पुरातात्विक प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है. यहां की हरी-भरी वादियां, घुमावदार पहाड़ियां, आकाश को चुमते हुए पेड़ और रंग- बिरंगे फूल बरबस ही सैलानियों को आकर्षित करते हैं. प्रकृति की छटा, पक्षियों का गुंजन, गुनगुनाती हवाएं, गहरी घाटियां पर्यटकों के दिल में अपने प्रति आकर्षण पैदा करती है. यहां से लौटने वाला हर व्यक्ति नहीं चाहते हुए भी अधूरे मन से ही इस स्थल को छोड़ पाता है.
दो कमरों वाला प्राचीन गुफाइस जलप्रपात के बगल में एक प्राचीन गुफा है. इस गुफा में 2 कमरा है. इन गुफाओं को देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि यहां प्राचीन मानव का निवास स्थल रहा होगा. बाद में इस स्थल को 1400 ई में करणपुरा के राजा ने इसका सुंदरीकरण किया था.
Posted By : Samir Ranjan.