विभावि का 33वां स्थापना दिवस कल
राज्यपाल होंगे मुख्य अतिथि, सेवानिवृत्त कर्मियों को करेंगे सम्मानित
हजारीबाग.
विनोबा भावे विश्वविद्यालय की स्थापना 17 सितंबर 1992 को हुई थी. भूदान आंदोलन से प्राप्त 67 एकड़ की भूमि पर विवि स्थापित है. इस विवि का नाम संत विनोबा भावे के नाम पर रखा गया. विभावि का 33वां स्थापना दिवस मंगलवार को विवेकानंद सभागार में मनाया जायेगा. मुख्य अतिथि राज्यपाल सह कुलाधिपति संतोष कुमार गंगवार होंगे. विभावि के पास उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल अंतर्गत आनेवाले सात जिला के कॉलेज, झारखंड बनने के बाद झारखंड के सभी होमियोपैथी व सभी संस्कृत कॉलेज विभावि के अंतर्गत थे. 2017 में विभावि से बिनोद बिहारी कोयलांचल विवि अलग हो गया. अब विभावि के पास पांच जिला हज़ारीबाग, चतरा, कोडरमा, रामगढ़ व गिरिडीह जिला के अंतर्गत आने वाले अंगीभूत कॉलेज, सम्बद्ध प्राप्त कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, मॉडल कॉलेज, महिला कॉलेज, बीएड कॉलेज व झारखंड के होमियोपैथी व संस्कृत कॉलेज समेत 88 कॉलेज हैं.सात विषयों और तीन कमरों से शुरुआत :
विभावि की शुरुआत तीन कमरों से हुई, जो किराये पर था. बाद में विभावि परिसर का पहला भवन केंद्रीय पुस्तकालय बना. समय अनुसार यूजीसी और राज्य सरकार के सहयोग से अब विभावि के पास अपना समृद्ध परिसर है. अब 19 विषय में पीजी की पढ़ाई होती है. विभावि के पास दर्जनों व्यवसायिक पाठ्यक्रम है. स्नातक के अलावा इंटर उत्तीर्ण विद्यार्थियों के लिए कई व्यवसायिक पाठ्यक्रम चलाये जाते हैं.विद्यार्थियों पर खास ध्यान :
विनोबा भावे विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों की कठिनाइयों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. ऑनलाइन कक्षाओं द्वारा ससमय पाठ्यक्रम पूरे किये जा रहे हैं. पूरे परिसर को वाईफाई से जोड़ा गया है. निर्बाध विद्युत आपूर्ति के लिए 2018 से 100 केवीए सोलर सिस्टम भी लगाया गया है. केंद्रीय पुस्तकालय से विद्यार्थी देश भर के पुस्तकालय से जुड़कर पुस्तकों का लाभ उठा रहे हैं. विभावि सीबीसीएस सिस्टम व नयी शिक्षा नीति 2020 को लागू कर विद्यार्थियों को शिक्षा की उत्कृष्ट जानकारी दे रहा है. प्रशानिक भवन में अत्याधुनिक डिजिटल स्टूडियो है. यह झारखंड राज्य का प्रथम अत्याधुनिक डिजिटल स्टूडियो है. इस स्टूडियो के माध्यम से विद्यार्थियों की ऑनलाइन कक्षा व समय-समय पर संवाद, सेमिनार व बेविनार संपन्न कराया जा रहे है. विभावि में अब तक दूसरे चक्र का नैक मूल्यांकन हो गया है. इसके बाद ही विभावि को 100 करोड़ रुपये पीएम उषा योजना के तहत प्राप्त हुआ है.50 एकड़ भूमि की जरूरत :
समय बीतने के साथ 67 एकड़ की जमीन पर आधारभूत संरचना का कार्य इतना हुआ कि अब विभावि के पास जमीन कम पड़ने लगी है. इस कमी को देखते हुए विभावि के विस्तार के लिए 50 एकड़ अतिरिक्त जमीन उपलब्ध करवाने का प्रस्ताव राज्यपाल व राज्य सरकार को दिया गया है. इसमें 1.69 एकड़ जमीन हाल के ही दिनों में विभावि को प्राप्त हो गया है.कई नये कोर्स चलाने की योजना :
नये परिसर में स्थानीय जरूरत, एनइपी 2020 व झारखंड हित को ध्यान में रखते हुए कई नये पाठ्यक्रम शुरू करने की योजना है. इसमें प्रमुख रूप से डेटा साइंस, इंडस्ट्रियल सेफ्टी, निम्रोलॉज़ी, मैक्रोबायोलॉज़ी, बायोकेमेस्ट्री, आर्किटेक्चर, हॉर्टिकल्चर, नेचरोपैथी एंड योगा साइंस नॉलेज सेंटर, फ़ूड प्रोसेसिंग, जिम फिजिकल एजुकेशन सेंटर, फिसरी, फाइनांस एंड बैंकिंग, डिजिटल मार्केटिंग कोर्स, स्मॉल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज कोर्स, फैशन डिजाइनिंग व फाइन आर्ट कोर्स शामिल है.प्रतिकुलपति का पद 20 जून 2022 से खाली :
विभावि में कुलपति पद पर पिछले एक वर्ष से स्थायी नियुक्ति नहीं हुई है. इस पद का प्रभार उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल के आयुक्त को दिया गया है. इसी तरह से प्रतिकुलपति का पद पिछले 20 जून 2022 से खाली है.विभावि के व्यवसायिक पाठ्यक्रम :
विभावि में पीजी स्तर पर नौ व्यवसायिक पाठ्यक्रम चलाये जा रहे हैं. इसमें एमबीए रेगुलर, एमबीए इवनिंग, एमसीए, एमएड, एमएससी सीएनडी, एमएससी बॉयोटेक, एमलिस, एमडीएस, पीजी आयुर्वेद शामिल हैं. विभावि में स्नातक स्तर पर 18 व्यवसायिक पाठ्यक्रम चलाये जा रहे हैं, इसमें एमबीबीएस, बीबीए, बीसीए, बीएड, इंटीग्रेटेड बीएड, बीटेक, बीडीएस, बीसीएस, बीपीटी, बीएएमएस, बीएमएलटी, बिलिस, एलएलबी, बीएएलएलबी, एफडी, सीएनडी, जेएमसी, बॉयोटेक शामिल हैं.विभावि के डिप्लोमा कोर्स :
विभावि में छह डिप्लोमा कोर्स चल रहे हैं. इसमें एमएलटी, योगा, स्पोर्ट्स न्यूट्रिशन, डाइबेटिक एडूकेशन, फ़ूड क्वालिटी एसेसमेंट एंड फ़ूड सेफ्टी, फोरेंसिक साइंस शामिल हैं.विभावि के सर्टिफिकेट कोर्स :
विभावि में छह सर्टिफिकेट कोर्स चल रहे हैं. इसमें ट्राइबल रीजनल लैंग्वेज, टैली, जीएसटी, बिज़नेस एनालैसिस, पीजीडीआरएम, बिलिस शामिल है.611 शोध पत्र प्रकाशित :
विभावि में 24 विभागों द्वारा अब तक 611 शोध पत्र प्रकाशित किए गए हैं. इसमें मानवशास्त्र विभाग से 29 शोध पत्र प्रकाशित हुए हैं. बॉयोटेक से 27, बॉटनी से 15, कैमेस्ट्री से चार, सीएनडी से 4, कॉमर्स से 36, इकोनॉमिक्स से 25, इंग्लिश से 26, जोग्राफी से 2, जियोलॉजी से 12, हिंदी से 29, इतिहास से 66, होम साइंस से 42, एमएड से 28, गणित से 22, एमबीए से 28, एमसीए से 41, फिलॉसफी से 24, फिजिक्स से 14, साइकोलॉजी से 8, राजनीतिशास्त्र से 66, संस्कृत से 11, उर्दू से 28 व जूलॉजी विभाग से 24 शोध पत्र प्रकाशित हुए है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है