अक्षय तृतीया पर शहर में इस बार नहीं सुनाई देगी शहनाई की गूंज, सूने पड़े हैं मैरेज हॉल
इस बार अक्षय तृतीया के महामुहूर्त पर भी शहर में शादियों में होनेवाली शहनाई की गुंज नहीं सुनाई देगी. हर साल इस महामुहूर्त पर शहर में सैंकडों की संख्या में विवाह होते हैं. पारिवारिक विवाह समारोह के साथ-साथ शहर में जगह-जगह सामूहिक विवाह का आयोजन भी किया जाता था. इस दौरान सैंकड़ों जोड़े विवाह के गठबंधन में बंधते हैं, लेकिन इस बार लॉक डाउन के कारण इस अक्षय तृतीय मुहूर्त पर शादियों का नजारा दिखाई नहीं देगा.
हजारीबाग : इस बार अक्षय तृतीया के महामुहूर्त पर भी शहर में शादियों में होनेवाली शहनाई की गुंज नहीं सुनाई देगी. हर साल इस महामुहूर्त पर शहर में सैंकडों की संख्या में विवाह होते हैं. पारिवारिक विवाह समारोह के साथ-साथ शहर में जगह-जगह सामूहिक विवाह का आयोजन भी किया जाता था. इस दौरान सैंकड़ों जोड़े विवाह के गठबंधन में बंधते हैं, लेकिन इस बार लॉक डाउन के कारण इस अक्षय तृतीय मुहूर्त पर शादियों का नजारा दिखाई नहीं देगा.
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हजारीबाग से प्रभात खबर के संववाददाता जमालउद्दीन की रिपोर्ट के अनुसार आम तौर पर हर साल अक्षय तृतीया के स्वयंसिद्ध मुहूर्त पर सामूहिक और पारिवारिक विवाह मिलाकर करीब सैंकड़ों जोड़े विवाह के गंठबंधन में बंधते थे. इस बार भी शादी और सामूहिक सम्मेलन इस अक्षय मुहूर्त पर होने थे, लेकिन इस समय 3 मई तक लॉकडाउन है. लिहाजा 26 अप्रैल अक्षय तृतीया पर विवाह के कई आयोजन निरस्त कर दिये गये हैं.
विवाह कार्यों के लिए अक्षय माना जाता है यह दिन : पंडित उमाकांत शर्मा ने बताया कि पूरे साल में अक्षय तृतीया का दिन मांगलिक कार्यों के लिए विशेष शुभ माना गया है. यह स्वयंसिद्ध मुहूर्त की श्रेणी में आता है. मान्यता के अनुसार इस दिन जो भी जोड़े विवाह के गठबंधन में बंधते हैं, उनका दांपत्य जीवन अक्षय होता है. जिनके विवाह कार्यों में ग्रहदोष की बाधा आती है, वह बाधा भी दूर हो जाती है.
कई समाजों ने स्थगित किये अपने आयोजन : शहर में अलग-अलग समाजों द्वारा अक्षय तृतीया पर विवाह सम्मेलन का आयोजन किया जाना प्रस्तावित था, लेकिन लॉकडाउन को देखते हुए आयोजन स्थगित कर दिये गये. इससे वर एवं वधु पक्ष के दोनों परिवार के लोग चिंतित है. वहीं वर-वधू भी मायूस नजर आ रहे हैं.