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Ranchi News: कभी शान की बात थी एचइसी में नौकरी करना, आज टेंपो चलाने और सब्जी बेचने को मजबूर हैं कर्मी

एचइसी में काम करनेवाले मुफलिसी और तंगी के दौर से गुजर रहे हैं. कंपनी दम तोड़ रही है, तो यहां काम करनेवालों का घर-परिवार उजड़ रहा है़ यहां काम करनेवाले परिवार का पेट पालने के लिए सड़क पर सब्जी बेचने से लेकर टेंपो चलाने तक का काम कर रहे है़ं

Jharkhand News, Ranchi: एचइसी आजाद भारत में अपनी तरह की इकलौती कंपनी है. 1963 में तैयार हुए एचइसी की देश-दुनिया में पहचान थी़ दूसरे बड़े कल-कारखानों को खड़ा करने की क्षमता थी़ यहां काम करना शान की बात थी़ 70 से 80 के दशक में भारत के कोने-कोने से लोग इस संस्थान में नौकरी करने पहुंचते थे़ एचइसी में दक्षिण से उत्तर और पूर्व से पश्चिम तक से लोग इंजीनियर व अन्य पदों पर सेवा देने आते थे़ लेकिन आज एचइसी में काम करनेवाले मुफलिसी और तंगी के दौर से गुजर रहे हैं.

कंपनी दम तोड़ रही है, तो यहां काम करनेवालों का घर-परिवार उजड़ रहा है़ यहां काम करनेवाले परिवार का पेट पालने के लिए सड़क पर सब्जी बेचने से लेकर टेंपो चलाने तक का काम कर रहे है़ं एचइसी में ऐसे 100 से अधिक कर्मी हैं, जिन्होंने अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए पार्ट टाइम व्यवसाय करना शुरू कर दिया है. ऐसे कर्मी ऑटो चालक होने के साथ-साथ सब्जी, चाउमिन और अंडा बेच कर अपना परिवार चला रहे हैं.

  • छह महीने से वेतन नहीं मिला, परिवार की गाड़ी खींचने के लिए कर रहे दूसरे काम

  • सेवानिवृत्ति के बाद नहीं हो रहा भुगतान दवा के अभाव में हो रही मौत

एचइसी में तीसरे दिन भी जारी रही हड़ताल: एचइसी में तीसरे दिन भी छह माह के बकाये वेतन भुगतान को लेकर हड़ताल जारी रही. कामगार तीनों प्लांट एचएमबीपी, एफएफपी और एचएमटीपी में नारेबाजी करते हुए धरना पर बैठे रहे. प्लांट प्रबंधन कर्मियों को मनाने का प्रयास करता रहा, लेकिन सफलता नहीं मिली. प्लांट प्रबंधन का कहना था कि इसरो सहित अन्य कंपनियों के लिए आवश्यक उपकरण का निर्माण करना है, इसलिए कर्मी मशीन को चालू करें. कर्मियों का कहना था कि पहले वेतन देने की तिथि बतायें, तभी काम शुरू होगा.

पैसे के अभाव में बेटी की शादी नहीं कर रहे रामदयाल दास: एफएफपी गैस प्लांट में कार्यरत रामदयाल दास वर्ष 2001 से कार्यरत हैं. घर में उनके अलावा पत्नी, तीन लड़का व तीन लड़की हैं. बेटा योगदा कॉलेज में पढ़ता था, लेकिन पैसे के अभाव में कॉलेज से नाम कटा दिया. वहीं बेटी की शादी भी नहीं कर पा रहे हैं. सीपीएफ से ऋण लिया है. खैनी की दुकान चला कर परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं. बच्चे भी पढ़ाई में मेधावी है. एचइसी प्रबंधन से कई बार वह गुहार लगा चुके हैं.

ऑटो चला कर परिवार का पालन कर रहे राजकुमार सिंह: एफएफपी में मोल्डर का कार्य करनेवाले राजकुमार सिंह आर्थिक स्थिति खराब होने के बाद ऑटो चला रहे हैं. श्री सिंह बताते हैं कि घर में कुल आठ लोग है. ऐसे में छह माह का वेतन बकाया होने से स्थिति बहुत खराब हो गयी है. नतनी भी उनके यहां रहती है, जो प्रभात तारा स्कूल में पढ़ती है. छह माह से स्कूल फीस नहीं दी है. स्कूल द्वारा नोटिस दिया गया है कि अगर फीस जमा नहीं करते हैं, तो परीक्षा देने नहीं दिया जायेगा.

अपना घर चलाने के लिए लिट्टी चोखा बेच रहे हैं राजेंद्र शर्मा: राजेंद्र शर्मा वर्ष 2000 से एचइसी के एफएफपी में गैस प्लांट में कार्यरत हैं. श्री शर्मा बताते हैं कि छह माह का वेतन बकाया होने से घर की स्थिति खराब हो गयी है. घर में आठ सदस्य हैं. वेतन नियमित नहीं मिलने से लोगों ने उधार देना भी बंद कर दिया. अंत में लिट्टी-चोखा व भोजन की दुकान खोल कर जीवनयापन कर रहे हैं. ऑफिस के समय में घर का एक सदस्य दुकान में रहता है और बाकी समय वह दुकान में रहते हैं.

आलू-प्याज बेचकर अपनी बच्चियों को पढ़ा रहे उदयशंकर: एचइसी में सप्लाई कर्मी उदय शंकर पिछले 18 वर्षों से कार्य कर रहे हैं. श्री शंकर बताते हैं कि छह माह का वेतन बकाया है. बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है. बच्चे गुरुनानक स्कूल में पढ़ते हैं. दोनों की स्कूल फीस 4500 रुपये और बस फीस 1700 रुपये हर माह देनी पड़ती है. स्थिति खराब होने पर सीपीएफ से 30 हजार ऋण लिया, लेकिन इसके बाद भी घर खर्च चलाना मुश्किल हो गया तो घर के सामने ही आलू-प्याज व सब्जी की दुकान खोल ली.

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Posted by: Pritish Sahay

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