हम सभी एक साथ एक ही तीर्थयात्रा के सहयात्री हैं : आर्चबिशप विसेंट आईंद

रांची महाधर्मप्रांत के नये आर्चबिशप विसेंट आईंद का शपथ ग्रहण 19 मार्च को होना है. वे सेवानिवृत आर्चबिशप फेलिक्स टोप्पो की जगह लेंगे. रांची आने पर आर्चबिशप ने संत अल्बर्ट कॉलेज का भ्रमण किया.

By Prabhat Khabar Print Desk | March 11, 2024 8:52 PM

कैथोलिक कलीसिया के रांची महाधर्म के नये आर्चबिशप विसेंट आईंद से विशेष बातचीत रांची. रांची महाधर्मप्रांत के नये आर्चबिशप विसेंट आईंद का शपथ ग्रहण 19 मार्च को होना है. वे सेवानिवृत आर्चबिशप फेलिक्स टोप्पो की जगह लेंगे. रांची आने पर आर्चबिशप ने संत अल्बर्ट कॉलेज का भ्रमण किया.

कॉलेज के रेक्टर फादर अजय खलखो और अन्य प्राध्यापकों से मुलाकात की. आर्चबिशप हाउस में आने पर संत अन्ना धर्मसमाज की सिस्टर्स ने उनका स्वागत किया. इस अवसर पर प्रभात खबर के वरीय संवाददाता प्रवीण मुंडा ने उनसे विशेष बात की. उन्होंने चर्च, धर्म व अपने विजन को लेकर विस्तार से बात की. प्रस्तुत है उसके मुख्य अंश. सवाल : रांची महाधर्मप्रांत के नये आर्चबिशप के तौर पर आपका विजन क्या होगा ? आर्चबिशप : कलीसिया (चर्च) और विश्वासी दो शब्द है, पर दोनों ही आपस में जुड़े हुए हैं.

अगर विश्वासी न हो, तो कलीसिया भी नहीं है. कलीसिया की अगुवाई की जिम्मेदारी मुझ पर है पर विश्वासियों की सहभागिता भी उतनी ही महत्वपूर्ण है. संत पापा (पोप) भी इस बात पर जोर देते हैं. यह सिनोड का वर्ष है और उसका मूल विषय है : हम भी सहयात्री हैं. मैं मानता हूं कि हम सभी एक ही तीर्थयात्रा के सहयात्री हैं. सवाल : धर्मसमाज की अगुवाई में आपके समक्ष क्या चुनौतियां हैं ? आर्चबिशप : अभी मैं आया ही हूं और मुझे सबसे पहले अपने लोगों से परिचित होने की जरूरत है. यहां के लोगों को व्यक्तिगत रूप से जानना समझना चाहता हूं. यहां कैथोलिक कलीसिया में ही अलग-अलग कई धर्मसमाज हैं, उनसे भी परिचित होना जरूरी है. उनकी सोच, समस्याओं को जानना, हमारी ताकत क्या है, इसे समझने की कोशिश है. यहां के धर्मसमाज का अपना दृष्टिकोण है.

उनसे रूबरू होना और समझने की प्रक्रिया जारी है. लोगों से तालमेल बिठाना और ख्रीस्तीय समाज को मजबूत बनाने की कोशिश होगी. सवाल : मसीही समाज या अल्पसंख्यक समाज की स्थिति को किस तरह से आंकते हैं ? आर्चबिशप : मसीही या अल्पसंख्यक समाज राष्ट्रीय स्तर पर जिन हालातों से गुजर रहा है, झारखंड के हालात उनसे अलग नहीं है. हम सभी जानते हैं कि उनके अधिकार और अस्तित्व के समक्ष चुनौतियां हैं. ये बातें समान रूप से झारखंड पर भी लागू होती हैं. और एक मसीही तथा अल्पसंख्यक होने के नाते मेरा भी सरोकार इन बातों से है. संविधान की मर्यादा को बनाये रखते हुए हम अल्पसंख्यकों व सभी समुदायों की सेवा कर रहे हैं.

Next Article

Exit mobile version