रेलवे की बढ़ी रफ्तार, समय से पहले पहुंच रही हैं ट्रेनें, 90 की जगह 110 से 120 किलोमीटर प्रति घंटा हो गई चाल

IRCTC/Indian Railway: कोरोना काल में रेलवे ने अपने इंफ्रास्ट्रचर में सुधार किया है. इसके तहत रांची रेल मंडल में इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल, ट्रैक मेंटेनेंस, अधिक ट्रेनों में एलएचबी कोचों की संख्या में बढ़ोतरी व ट्रेनों के ब्रेकडाउन कम होने पर बेहतर प्लानिंग के साथ कार्य किया गया है.

By Prabhat Khabar News Desk | August 15, 2021 10:44 AM
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IRCTC/Indian Railway: दक्षिण-पूर्व रेलवे जोन ने रेलवे बोर्ड के मिशन रफ्तार को गति देनी शुरू कर दी है. यही वजह है कि रांची रेल मंडल में आनेवाली ट्रेनों के समय में सुधार देखने को मिल रहा है. रांची व हटिया स्टेशन आनेवाली कई ट्रेनें समय से पहले ही पहुंच जा रही हैं. वहीं रांची से विभिन्न राज्यों के लिए रवाना होने वाली ट्रेनें भी समय से पहले गंतव्य तक पहुंच रही हैं.

  • 90 की जगह 110 से 120 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चल रही हैं कई ट्रेनें

  • कोरोना काल में इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार किये जाने के कारण यह संभव हो पाया है

इस संबंध में परिचालन विभाग के अधिकारी ने बताया कि कोरोना काल में रेलवे ने अपने इंफ्रास्ट्रचर में सुधार किया है. इसके तहत रांची रेल मंडल में इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल, ट्रैक मेंटेनेंस, अधिक ट्रेनों में एलएचबी कोचों की संख्या में बढ़ोतरी व ट्रेनों के ब्रेकडाउन कम होने पर बेहतर प्लानिंग के साथ कार्य किया गया है. इसी का नतीजा है कि रांची रेल मंडल में आने-जाने वाली ट्रेनें समय के साथ चल रही हैं.

उन्होंने कहा कि रांची रेल मंडल से चलनेवाली रांची-दिल्ली, हटिया-यशवंतपुर, हटिया-एलटीटी, हटिया-एर्नाकुलम स्पेशल, हटिया-पुणे आदि ट्रेनों की रफ्तार पहले की अपेक्षा बढ़ा दी गयी है. पहले जहां इन रेल मार्गों पर ट्रेनें 90 किलोमीटर प्रति घंटे की उच्चतम गति से चलती थीं, वह अब 110 से 120 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चल रही हैं.

वहीं, कोरोना के पूर्व जो मालगाड़ी 20 से 25 किलोमीटर की गति से चलती थी, वह वर्तमान में 40 से 50 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चल रही है. ट्रेनों की गति बढ़ने से जो समय बच रहा है, आनेवाले दिनों में उसका इस्तेमाल ट्रेनों के बेहतर मेंटेनेंस और नयी ट्रेन चलाने में किया जा सकेगा.

सीनियर डीसीएम अवनीश ने कहा कि कोरोना काल में रेलवे ने इंफ्रास्ट्रक्चर पर कई सुधार किये हैं. कई मानव रहित फाटक को बंद कर सब-वे का निर्माण किया गया है. साथ ही गति को नियंत्रित करने वाले उपकरण को बदला गया है

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Posted by: Pritish Sahay

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