अखिल भारतीय झारखंड पार्टी का केंद्रीय महाधिवेशन 20 व 21 को करनडीह में

राज्य के जनता रोजगार के अभाव में निरंतर दूसरे राज्यों की ओर पलायन कर रहे हैं. किसान हर बार सूखे की मार झेल रही है. सरकार की ओर से किसानों के लिए कोई नीतिगत योजना नहीं बनाई है. जबकि यहां के 90 प्रतिशत लोग कृषि पर ही निर्भर हैं. शिक्षित बेरोजगारों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है.

By Dashmat Soren | July 18, 2024 4:12 PM

जमशेदपुर: अखिल भारतीय झारखंड पार्टी का दो दिवसीय केंद्रीय महाधिवेशन 20 व 21 जुलाई को करनडीह स्थित दिशोम जाहेर कैंपस के गुरू गोमके सभागार होगा. इसमें पार्टी के विभिन्न जिलों के नेता व कार्यकर्ता शामिल होंगे. महाधिवेशन में राज्य की सभी ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा किया जायेगा और भावी कार्यक्रम को तैयार किया जायेगा. यह जानकारी गुरूवार को अखिल भारतीय झारखंड पार्टी के नेता गणेश टुडू ने दी. उन्होंने बताया कि वृहद और बेहतर झारखंड का सपना अब भी अधूरा है. आदिवासी व मूलवासियों को केंद्र मानकर अलग राज्य की मांग की गयी थी. लेकिन वे आज भी अपने पहचान को मोहताज हैं. अभी तक स्थानीयता तय नहीं हो पाया है. जिसकी वजह से रोजी-रोजगार व नौकरी में प्राथमिकता नहीं मिल पा रहा है. सरना धर्म कोड अभी तक लागू नहीं हो सकता है. संताली को प्रथम राजभाषा का दर्जा नहीं मिल पाया है. साथ ही अन्य जनजातीय भाषाओं के उत्थान की दिशा में भी कोई कार्य नहीं हुआ है. राज्य के अधिकांश यूनिवर्सिटी में जनजातीय भाषाओं के शिक्षक नहीं है. ऐसे में राज्य का विकास भला कैसे होगा. उन्होंने कहा कि राज्य का गठन तो हो गया लेकिन सत्ता की बागडोर गलत लोगों के हाथों में चला गया है. जनता विभिन्न राजनीतिक दलों के कथनी और करनी को जान व समझ गये हैं. आने वाले विस चुनाव में आदिवासी-मूलवासी विरोधी मानसिकता वाले राजनैतिक संगठनों को जनता हाशिये पर रखने का काम करेंगे.

सभी राजनैतिक संगठनों को राज्य को लूटने का काम किया
गणेश टुडू ने कहा कि झारखंड की इस पावन धरती पर हजारों वीर शहीदों का जन्म हुआ है. इस मिट्टी के सपूतों ने मातृभूमि की रक्षा के लिए अंग्रेजी हुकूमत से लंबी लड़ाई लड़ी है. देशी सूदखोर महाजनों से इज्जत आबरू बचाने के लिए खून की नदियां बहायी है पर कभी भी गुलामी को स्वीकार नहीं किया. अपने मान सम्मान से कभी समझौता नहीं किया. आज अखिल भारतीय झारखंड पार्टी अपने पूर्वजों के नक्शे कदम पर चलकर आदिवासी, मूलवासी, दलित एवं पिछड़ी जातियों के लोगों के लिए हक एवं अधिकार की लड़ाई लगातार लड़ रहा है. अखिल भारतीय झारखंड पार्टी जल, जंगल, जमीन एवं झारखंडी अस्मितता की पहचान, भाषा- संस्कृति की रक्षा के लिए लगातार संर्घषरत है. झारखंड राज्य के सत्ता में बैठे हुए इंडिया गठबंधन हो या एनडीए का गठबंधन हो. सबों ने झारखंड को सिर्फ लुटने का काम किया है. यहां के लोगों को हमेशा विकास के नाम पर विस्थापित किया है. सत्ताधारी दल के लोग भ्रष्टाचार को शिष्टाचार मानकर राज्य के जनता को मूर्ख बनाते रहे हैं.

विस्थापन व पलायन का दंश झेल रहे लोग
उन्होंने बताया कि राज्य के जनता रोजगार के अभाव में निरंतर दूसरे राज्यों की ओर पलायन कर रहे हैं. किसान हर बार सूखे की मार झेल रही है. सरकार की ओर से किसानों के लिए कोई नीतिगत योजना नहीं बनाई है. जबकि यहां के 90 प्रतिशत लोग कृषि पर ही निर्भर हैं. शिक्षित बेरोजगारों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. आदिवासियों की हितैषी कहलाने वाले झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार अभी तक नियोजन व स्थानीय नीति नहीं बना पाये हैं. ऐसे में पढ़े-लिखे नौजवानों को रोजगार प्राप्त नहीं हो रहा है. राज्य सरकार पूरी तरह से विफल हो चुकी है सिर्फ धन अर्जित करने में ही सारा ध्यान केंद्रित किया है. सरकार को आम जनता की फिक्र बिल्कुल नहीं है. इस तरह के मुद्दा विहीन राजनीति करनेवाले राजनीतिक दल को जनता के सामने बेनकाब करने की जरूरत है.

क्या है प्रमुख संकल्प
-वृहद एवं बेहतर झारखंड राज्य के लिए आंदोलन करना.
– सरना कोड को लागू करवाने के लिए आंदोलन करना.
-स्थानीय कंपनी में स्थानीय लोगों को 70 प्रतिशत नौकरी प्रावधान कराना.
-बचे हुए आंदोलनकारियों को अविलंब चिन्हित कर सम्मानित करने की मांग को लेकर आंदोलन करना.

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