Jamshedpur News :आसेका (आदिवासी सोशियो एजुकेशनल एंड कल्चरल एसोसिएशन, झारखंड) ने बुधवार को लोअर, हाइयर, दसवीं व बारहवीं ग्रीष्मकालीन सत्र का परीक्षा का परिणाम घोषित किया गया. इस परीक्षा में एक हजार से अधिक छात्र शामिल हुए थे.आसेका की ओर विभिन्न कक्षा के टॉप थ्री छात्रों की सूची जारी की है. इनमें लोअर (पांचवां कक्षा) में प्रथम-लालू बेसरा(86.5 प्रतिशत, बहरागोड़ा, पूर्वी सिंहभूम), द्वितीय-संतरी कुमारी(85.5 प्रतिशत, राजगंज, धनबाद), तृतीय स्थान-अशोक मुर्मू (85.17 प्रतिशत, कालियासोल धनबाद) को मिला है.हाइयर (आठवीं कक्षा) में शिवम बास्के (86.17 प्रतिशत, राजनगर, सरायकेला), द्वितीय-रामकृष्ण बास्के (86 प्रतिशत, राजनगर खरसावां)एवं तृतीय स्थान-यदुनाथ टुडू (85 प्रतिशत, बहरागोड़ा) को प्राप्त हुआ है. दसवीं परीक्षा में प्रथम- सुष्मिता सोरेन (89.5 प्रतिशत, बहरागोड़ा), द्वितीय-सुरजमुनी कुमारी (87.8 प्रतिशत, राजगंज धनबाद) एवं तृतीय स्थान-आलोनी मुर्मू (87.5 प्रतिशत, कालियासोल धनबाद) को मिला है. जबकि इंटरमीडिएट में प्रथम-पारगाना मार्डी (85 प्रतिशत, मुर्गाघुटू पूर्वी सिंहभूम), द्वितीय-प्रीशिला सोरेन (83.8 प्रतिशत, दुमका) एवं तृतीय स्थान-लीलापति मुर्मू (83.2 प्रतिशत, दुमका) को मिला है.आसेका (आदिवासी सोशियो एजुकेशनल एंड कल्चरल एसोसिएशन के महासचिव शंकर सोरेन ने बताया कि इसबार एक हजार से अधिक छात्र परीक्षा में शामिल हुए थे. जिसमें छात्राओं की संख्या में 321 थी. इस वर्ष 2024 में शीतकालीन परीक्षा 27, 28 एवं 29 को आयोजित किया जायेगा.
आसेका घर-घर तक ओलचिकी को पहुंचा रहा
आसेका, जिसका पूरा नाम आदिवासी सोशियो एजुकेशनल एंड कल्चरल एसोसिएशन है. झारखंड में संताली भाषा और उसकी ओलचिकी लिपि के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित एक संस्था है. इसका मुख्य उद्देश्य संताल समाज में शिक्षा और सांस्कृतिक जागरूकता को बढ़ावा देना है, खासकर संताली भाषा को घर-घर तक पहुंचाने और इसे लिपिबद्ध करने की दिशा में काम करना है.आसेका द्वारा की जा रही यह पहल संताली भाषा और ओलचिकी लिपि को बढ़ावा देने के लिए अत्यंत सराहनीय है. इसके प्रयास से संताल समाज में मातृभाषा के प्रति जागरूकता बढ़ी है और लोग अपनी भाषा में लिखने-पढ़ने के प्रति उत्साहित हो रहे हैं.
ओलचिकी लिपि में परीक्षा का आयोजन
आसेका हर वर्ष संताली भाषा की ओलचिकी लिपि में परीक्षाओं का आयोजन करती है. इन परीक्षाओं का उद्देश्य संताल समाज के लोगों को उनकी मातृभाषा में लिखने-पढ़ने के लिए प्रेरित करना है. परीक्षा में भाग लेने वाले छात्रों की संख्या लगभग एक हजार के करीब होती है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि इस दिशा में आसेका का प्रयास रंग ला रहा है.
आसेका का क्या है उद्देश्य
आसेका का प्राथमिक उद्देश्य संताली भाषा की ओलचिकी लिपि को संताल समाज में लोकप्रिय बनाना और इसे रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा बनाना है. इसके माध्यम से संस्था चाहती है कि अधिक से अधिक संताल समाज के लोग अपनी मातृभाषा को न केवल समझें बल्कि उसमें लिखने और पढ़ने की क्षमता भी विकसित करें. यह पहल संताली भाषा के संरक्षण और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.
सांस्कृतिक और शैक्षिक पहल
आसेका संस्था न केवल भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए काम कर रही है, बल्कि संताल समाज के सांस्कृतिक और शैक्षिक उन्नयन के लिए भी कई पहल कर रही है. शिक्षा के माध्यम से समाज में एकजुटता, पहचान और आत्मसम्मान का विकास करना इसके उद्देश्यों में से एक है.आसेका द्वारा आयोजित परीक्षाएँसंताल समाज में एक नई सोच और दृष्टिकोण पैदा कर रही हैं. यह न केवल भाषा सीखने का माध्यम है, बल्कि समाज में अपनी सांस्कृतिक धरोहर को बनाए रखने और इसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने का एक सशक्त तरीका भी है. इन परीक्षाओं के माध्यम से संताली भाषा और ओलचिकी लिपि के प्रति जागरूकता बढ़ रही है, जिससे संताल समाज में शिक्षा का स्तर और सांस्कृतिक पहचान मजबूत हो रही है.