बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ से प्रेरित होकर बीर प्रताप मुर्मू ने 15 बेटियों को गोद ले उन्हें शिक्षित करने का उठाया बीड़ा
सरायकेला जिला के राजनगर प्रखंड अंतर्गत फुफड़ी बाड़ेडीह निवासी बीर प्रताप मुर्मू इस योजना से प्रेरित होकर 15 बेटियों को गोद लेकर उनके जीवन को संवारने में लगे हैं. उन्होंने इन 15 बेटियों को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया है.
POSITIVE STORY: पीएम नरेंद्र मोदी ने भारत में लड़कियों के खिलाफ लिंगभेद को समाप्त करने के लिए बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना की शुरुआत 22 जनवरी 2015 को शुरू की गयी थी. इसके तहत बेटियों को शिक्षित करने के लिए सरकार की तरफ से कई योजनाएं भी चलायी जा रही हैं. लेकिन सरायकेला जिला के राजनगर प्रखंड अंतर्गत फुफड़ी बाड़ेडीह निवासी बीर प्रताप मुर्मू इस योजना से प्रेरित होकर 15 बेटियों को गोद लेकर उनके जीवन को संवारने में लगे हैं. उन्होंने इन 15 बेटियों को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया है. वे अपने व्यस्त दिनचर्चा में से हर दिन इनके लिए समय निकालते हैं और उन्हें पढ़ाते हैं. उनकी पढ़ाई-लिखाई, रहने-खाने व पहने का सारा इंतजाम भी खुद ही करते हैं. बेटियों को शिक्षित बनाने के लिए इन्होंने अपनी पैतृक गांव फुफड़ी बाड़ेडीह के घर को हॉस्टल बना दिया है. जहां रहकर ये 15 बच्चियां स्कूल आना-जाना करती हैं. सभी लड़कियां उत्क्रमित मध्य विद्यालय नागा की छात्राएं हैं.
गरीब परिवार की हैं सभी लड़कियां
सभी 15 लड़कियां गरीब परिवार से हैं. उनके माता-पिता गरीब किसान हैं. उनके माता-पिता अपनी बेटियों को पढ़ाना-लिखाना तो चाहते हैं, लेकिन आर्थिक तंगी की वजह से पढ़ाई-लिखाई का बोझ उठाने में सक्षम नहीं हैं.जब इस बात की जानकारी बीर प्रताप मुर्मू को हुई तो उन्होंने लड़कियों को शिक्षित करने के लिए गोद लेने की इच्छा जाहिर की. लड़कियों के परिवार वालों ने उनके प्रस्ताव को स्वीकार किया. अब सारी लड़कियां बीर प्रताप मुर्मू के साथ उनके घर में रहती हैं. इन लड़कियों में हंसिका सरदार (मघुआसाई), सुनीता मुर्मू (नागा), बासो हांसदा (नागा), रैमत सोरेन (नागा), दानगी हांसदा (नागा), लक्ष्मी हेंब्रम (नागा), लक्ष्मी टुडू (टाटोबेड़ा), मानको मार्डी(नागा), प्रिया टुडू(बीरसिंहडीह), सालगे टुडू (बाड़ेडीह), भूमिका मुर्मू (बानाघुटू), सुजाता मुर्मू (बानाघुटू), रीना टुडू (टाटोबेड़ा) आदि प्रमुख हैं.
सरकारी स्कूल में हेड मास्टर हैं बीर प्रताप मुर्मू
बीर प्रताप मुर्मू पूर्वी जिले के नागा गांव (हल्दीपोखर के समीप) के उत्क्रमित मध्य विद्यालय के हेडमास्टर हैं. वे एक साहित्यकार भी हैं. उन्हें वर्ष 2023 का साहित्य अकादमी अनुवाद पुरस्कार मिला है. मुंशी प्रेमचंद के हिंदी उपन्यास ‘प्रतिज्ञा’ का संताली में अनुवाद पुस्तक ‘किरा’ के लिए उन्हें यह पुरस्कार मिला है. वीर प्रताप मुर्मू को स्कूली बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ कहानी, कविता और लेख लिखना बहुत पंसद है. उनकी कई रचनाएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में छप चुकी हैं. बीर प्रताप मुर्मू की पत्नी दुलारी मुर्मू पारा टीचर हैं.
सामाजिक कार्यों में भी रहते हैं सक्रिय
वीर प्रताप मुर्मू कई सामाजिक और सांस्कृतिक संगठनों में सक्रिय हैं. वे करनडीह स्थित जाहेरथान कमेटी में संयुक्त सचिव के पद पर हैं. साथ ही जाहेरथान पूजा कमेटी में सचिव, ऑल इंडिया राइटर्स एसोसिएशन पूर्वी सिंहभूम में अध्यक्ष, आदिम सांवता सुसारिया फूफड़ी बाड़ेडीह में अध्यक्ष, खेरवाड़ मार्शल मांडवा फूफड़ी बाड़ेडीह में अध्यक्ष, गुरु गोमके पंडित रघुनाथ मुर्मू एकेडेमी करनडीह में कोषाध्यक्ष व झारखंड स्पोर्टस क्लब करनडीह में कोषाध्यक्ष के रूप में योगदान दे रहे हैं.
बेटियों को हर तरह से मजबूत बनायेंगे: बीर प्रताप मुर्मू
बीर प्रताप मुर्मू ने बताते हैं कि उन्हें बेटियों से खासा लगाव है. बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ योजना ने उसकी खास लगाव को अभियान बना दिया. वह सोचते हैं कि परिवार में बेटा हो बेटी, दोनों को पढ़ने-लिखने समान अवसर मिलना चाहिए. बेटियां बढ़ेंगी तो समाज भी बढ़ेगा. अभी उन्होंने 15 बेटियों को गोद लिया है. वह और अधिक बेटियों को गोद लेने को इच्छुक हैं.