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हो भाषा को संवैधानिक मान्यता के लिए दिल्ली जंतर-मंतर में धरना प्रदर्शन 14 सितंबर को

हो भाषा को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने की मांग को लेकर 14 को दिल्ली के जंतर-मंतर में धरना प्रदर्शन किया जायेगा. यह धरना प्रदर्शन की अगुवाई आदिवासी हो समाज युवा महासभा व ऑल इंडिया हो लंग्वेज एक्शन कमेटी की अगुवाई में किया जा रहा है.

Jamshedpur News: हो भाषा को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने की मांग को लेकर 14 को दिल्ली के जंतर-मंतर में धरना प्रदर्शन किया जायेगा. यह धरना प्रदर्शन की अगुवाई आदिवासी हो समाज युवा महासभा व ऑल इंडिया हो लंग्वेज एक्शन कमेटी की अगुवाई में किया जा रहा है. यह जानकारी आदिवासी हो समाज युवा महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुरा बिरूली ने शुक्रवार को गोलमुरी में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में दी. श्री बिरूली ने बताया कि इस धरना में दिल्ली में 4-5 हजार लोगों का जुटान होगा. इसमें कोल्हान के तीनों जिलों से 2-3 हजार लोग धरना प्रदर्शन में शामिल होंगे.

11 सितंबर से दिल्ली के लिए करेंगे कूच

कोल्हान क्षेत्र के आदिवासी हो समाज के लोग 11 सितंबर से ही दिल्ली के लिए कूच करना शुरू करेंगे. वे टाटानगर रेलवे स्टेशन, चक्रधरपुर, आदित्यपुर, घाटशिला, चांडिल समेत अन्य रेलवे स्टेशनों से दिल्ली के लिए रवाना होंगे. वहीं ओडिशा के भुवनेश्वर, कटक, बालासोर, बदामपहाड़ आदि जगहों से भी सैकड़ों लोग प्रदर्शन में शामिल होने के लिए जायेंगे.

हो भाषा की महत्ता पर सेमिनार का आयोजन

13 सितंबर को दिल्ली के एक सभागार में “हो” भाषा की महत्ता पर एक सेमिनार का आयोजन किया जायेगा. इस आयोजन का उद्देश्य “हो” समाज के लोगों को आठवीं अनुसूची में शामिल भाषा के रूप में पहचान दिलाने की आवश्यकता और मातृभाषा के संरक्षण की महत्ता पर जागरूकता फैलाना है. सेमिनार में “हो” समाज के बुद्धिजीवी, शिक्षाविद और संविधान के विशेषज्ञ हिस्सा लेंगे. इन विशेषज्ञों ने “हो” भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने से होने वाले सांस्कृतिक और शैक्षिक लाभों पर चर्चा की जायेगी. बुद्धिजीवी मातृभाषा के संरक्षण और प्रोत्साहन के महत्व को विस्तार से समझायेंगे. इसके साथ ही प्रतिभागियों को संवैधानिक प्रक्रियाओं और भाषा अधिकारों पर भी महत्वपूर्ण जानकारी दी जायेगी.

देश में 45 लाख के करीब है हो समुदाय की आबादी

भारत में हो भाषा-भाषा लोगों की आबादी 45 लाख से अधिक है. केवल कोल्हान में ही हो समाज के लोगों के आबादी करीब 20 लाख होगी. हो समाज लंबे से अपनी मातृभाषा हो को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने की मांग करते आ रहे हैं. बावजूद इसके हो समाज को हाशिये पर रखने का काम किया गया है. इसलिए हो समाज ने ठाना है जब तक हो भाषा को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं किया जाता है, तबतक हो भाषियों का आंदोलन लगातार चलता ही रहेगा.

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