Jamshedpur News : रैयती परिवारों को अविलंब मुआवजा दो, अन्यथा सड़क को जोतकर फसल बोयेंगे

Jamshedpur News : पूर्वी सिंहभूम जिले के पोटका प्रखंड में चल रहे सड़क निर्माण कार्य ने रैयती परिवारों के लिए गंभीर समस्याएं उत्पन्न कर दी हैं. माटकू पंचायत के अंतर्गत आने वाली सड़कें, जैसे कि शंकरदा, भुटका और सावनाडीह की निर्माण प्रक्रिया लगभग एक वर्ष से चल रही है. बावजूद इसके रैयती परिवारों को उनकी अधिग्रहित जमीन का मुआवजा अभी तक नहीं मिला है

By Dashmat Soren | October 14, 2024 11:14 PM
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JamshedpurNews : पूर्वी सिंहभूम जिले के पोटका प्रखंड में चल रहे सड़क निर्माण कार्य ने रैयती परिवारों के लिए गंभीर समस्याएं उत्पन्न कर दी हैं.माटकू पंचायत के अंतर्गत आने वाली सड़कें, जैसे कि शंकरदा, भुटका और सावनाडीह की निर्माण प्रक्रिया लगभग एक वर्ष से चल रही है. बावजूद इसके रैयती परिवारों को उनकी अधिग्रहित जमीन का मुआवजा अभी तक नहीं मिला है, जिससे उनमें आक्रोश व्याप्त है. यह स्थिति न केवल उनके आर्थिक भविष्य को प्रभावित कर रही है, बल्कि स्थानीय समुदाय की सामाजिक स्थिरता पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल रही है. आदिवासी छात्र एकता संगठन ने इस मुद्दे को उठाते हुए एक प्रतिनिधिमंडल ने एसडीओ धालभूम से मिलकर मुआवजा का ज्ञापन सौंपा. इस ज्ञापन में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि रैयती परिवारों की मांगों को नजरअंदाज करना अन्याय है. आदिवासी छात्र एकता की इस पहल ने न केवल स्थानीय प्रशासन को चेताया है, बल्कि इसने अन्य समुदायों को भी एकजुट होने की प्रेरणा दी है.

19 अक्टूबर को करेंगे एक दिवसीय धरना प्रदर्शन

19 अक्टूबर को पथ निर्माण विभाग के प्रमंडल कार्यालय के सामने आयोजित होने वाले एक दिवसीय सांकेतिक धरने का आयोजन इस बात का संकेत है कि रैयती परिवार अपने हक के लिए आवाज उठाने के लिए तत्पर हैं. इस धरने के माध्यम से वे अपनी मांग को अधिक प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करना चाहते हैं. अगर विभाग द्वारा उचित पहल नहीं की जाती है, तो रैयती परिवार निर्माण कार्य को बंद करने का भी निर्णय ले सकते हैं. यह एक गंभीर चेतावनी है, जो प्रशासन को जगाने के लिए आवश्यक है.

विभाग कर रहा मानवाधिकार का उल्लंघन

स्वपन कुमार सिंह ने यह भी स्पष्ट किया है कि पथ निर्माण विभाग को जमीन अधिग्रहण के बाद रैयती परिवारों को तुरंत मुआवजा का भुगतान करना चाहिए. वर्तमान बाजार मूल्य के अनुसार मुआवजे का भुगतान न केवल कानूनी जिम्मेदारी है, बल्कि यह मानवाधिकार का भी उल्लंघन है. अगर विभाग ने जल्द ही आवश्यक कदम नहीं उठाए, तो रैयती परिवारों का आक्रोश बढ़ सकता है, जो कि प्रशासन के लिए एक गंभीर समस्या बन सकती है.

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