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Jamshedpur News : ग्रामीणों को सामाजिक व संवैधानिक अधिकारों की जानकारी दी

Jamshedpur News : बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि आदिवासियत को बचाने और इसके अस्तित्व को बनाए रखने के लिए सामूहिक रूप से आंदोलन किया जाएगा. आदिवासी समाज के लोग अक्सर बाहरी शक्तियों द्वारा अपने अधिकारों और संसाधनों से वंचित किए जाते हैं, जिससे उनकी जीवनशैली और पारंपरिक स्वरूप खतरे में पड़ जाते हैं. ऐसे में, एकजुटता का प्रदर्शन करते हुए आदिवासी नेताओं ने समाज को जागरूक करने और अपने हक की रक्षा के लिए सशक्त आंदोलन चलाने का फैसला लिया.

By Dashmat Soren | September 22, 2024 10:05 PM
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JamshedpurNews : चांडिल प्रखंड के हेंसाकोचा पंचायत रांका गांव में आदिवासी स्वशासन व्यवस्था-माझी परगना महाल की एक बैठक माझी बाबा रहीना टुडू की अध्यक्षता में हुई. बैठक में चांडिल क्षेत्र के विभिन्न गांव के लोग काफी संख्या में पहुंचे थे. इस दौरान परगना बाबा व माझी बाबा ने सामाजिक नियम-विधि व संवैधानिक अधिकार पर चर्चा किया. साथ ही पांचवीं अनुसूची, महिलाओं की सामाजिक भागीदारी, पारंपरिक ग्रामसभा, ओलचिकी का प्रचार-प्रसार, सरना धर्म कोड आदि विषयों पर भी विस्तृत चर्चा किया. बैठक में जगदीश सोरेन, सोमरा मुर्मू, सोम मार्डी, बाऊड़ा सोरेन, सोमाय सोरेन, भोक्ता बेसरा, मंगल बेसरा, रीना टुडू, मंगली मुर्मू, बासंती हांसदा, धनमनी मुर्मू, फाल्गुनी सोरेन, मेडिला मुर्मू, मालको सोरेन, रंजीत मुर्मू, मधुसुदन टुडू, फुदफुदी किस्कू, संतरा टुडू, राही टुडू, कृष्णा टुडू, तारण टुडू, टीकाराम मुर्मू, लंबोधर सोरेन, सूरज कुमार बेसरा, संजय मुर्मू, सीकर मुर्मू आदि मौजूद थे.

सामाजिक व संवैधानिक अधिकारों को जानना जरूरी: पीड़ परगना

मौके पर मुख्य अतिथि पीड़ परगना बाबा शिलू सरना टुडू ने अपने संबोधन में कहा कि समाज के हर व्यक्ति को सामाजिक व संवैधानिक अधिकारों को अनिवार्य रूप से जानना चाहिए. पूर्वजों ने समाज की वजूद को बचाये रखने के लिए स्वशासन व्यवस्था बनाया. लेकिन हाल के दिनों में स्वशासन व्यवस्था को अवहेलना करने की कोशिश हो रही है. युवा अपने समाज से विमुख हो रहे हैं. इसलिए उन्हें सामाजिक गतिविधियों में उनकी भागीदारी को सुनिश्चित करना जरूरी है. ताकि वे अपने समाज की चीजों को सामने से देख व समझ सके. समाज को आगे ले जाने की जिम्मेदारी बुद्धिजीवी, शिक्षाविद व स्वशासन व्यवस्था से जुड़े लोगों की है.

स्वशासन व्यवस्था को बाहरी हस्तक्षेप से बचाना होगा

बैठक में आदिवासी समाज के स्वशासन व्यवस्था को बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण संकल्प लिया गया. इस बैठक में आदिवासी समाज के विभिन्न प्रतिनिधियों ने भाग लिया और अपनी परंपरागत शासन व्यवस्था और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने की दिशा में ठोस कदम उठाने का निर्णय लिया. बैठक का मुख्य उद्देश्य आदिवासियों की स्वशासन व्यवस्था को बाहरी हस्तक्षेप से बचाना और इसे पीढ़ी दर पीढ़ी सुरक्षित रखना था. आदिवासी समाज में स्वशासन का एक लंबा इतिहास रहा है, जो उनकी सांस्कृतिक और सामाजिक संरचना का महत्वपूर्ण हिस्सा है. यह व्यवस्था आदिवासी समाज को उनके अपने कानून, रीति-रिवाज और परंपराओं के अनुसार जीवनयापन की स्वतंत्रता देती है. इस बैठक में आदिवासियों के स्वशासन को कमजोर करने वाली सरकारी नीतियों और बाहरी हस्तक्षेप के प्रति चिंता व्यक्त की गई. प्रतिनिधियों ने जोर देकर कहा कि आदिवासी समाज की अपनी विशिष्ट पहचान और परंपराएं हैं, जिन्हें संरक्षित करना अत्यंत आवश्यक है.

हक की रक्षा के लिए सशक्त आंदोलन चलाने का फैसला लिया

बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि आदिवासियत को बचाने और इसके अस्तित्व को बनाए रखने के लिए सामूहिक रूप से आंदोलन किया जाएगा. आदिवासी समाज के लोग अक्सर बाहरी शक्तियों द्वारा अपने अधिकारों और संसाधनों से वंचित किए जाते हैं, जिससे उनकी जीवनशैली और पारंपरिक स्वरूप खतरे में पड़ जाते हैं. ऐसे में, एकजुटता का प्रदर्शन करते हुए आदिवासी नेताओं ने समाज को जागरूक करने और अपने हक की रक्षा के लिए सशक्त आंदोलन चलाने का फैसला लिया. आदिवासी समाज के लिए एकजुटता और संघर्ष की भावना बेहद महत्वपूर्ण है. बैठक में यह भी कहा गया कि यदि आदिवासी समाज एकजुट होकर अपने हक के लिए संघर्ष करेगा, तो वह अपने स्वशासन, भूमि, और सांस्कृतिक अधिकारों को सुरक्षित रख पाएगा. यह बैठक आदिवासी समाज के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकती है, क्योंकि इसमें उनकी सामूहिक शक्ति और आदिवासियत की रक्षा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का स्पष्ट संदेश दिया गया.

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