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आदिवासी छात्र एकता ने उठायी कॉलेजों में सीट लिमिट की बाध्यता को हटाने की मांग, झारखंड अधिविद्य परिषद के अध्यक्ष को सौंपा मांग पत्र

आदिवासी छात्र एकता का एक प्रतिनिधिमंडल ने इंद्र हेंब्रम व राज बांकिरा के नेतृत्व में रांची जाकर झारखंड अधिविद्य परिषद के अध्यक्ष को एक मांग पत्र सौंपा है. आदिवासी छात्र एकता ने कोल्हान विश्व विद्यालय के अंगीभूत महाविद्यालयों, इंटरमीडिएट कॉलेजों एवं प्लस टू विद्यालयों में दाखिला के लिए सीट लिमिट की बाध्यता को हटाते हुए मैट्रिक परीक्षा में उतीर्ण छात्र-छात्राओं को दाखिला देने की मांग की है.

By Dashmat Soren | July 15, 2024 10:34 PM
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जमशेदपुर: आदिवासी छात्र एकता का एक प्रतिनिधिमंडल ने इंद्र हेंब्रम व राज बांकिरा के नेतृत्व में रांची जाकर झारखंड अधिविद्य परिषद के अध्यक्ष को एक मांग पत्र सौंपा है. आदिवासी छात्र एकता ने कोल्हान विश्व विद्यालय के अंगीभूत महाविद्यालयों, इंटरमीडिएट कॉलेजों एवं प्लस टू विद्यालयों में दाखिला के लिए सीट लिमिट की बाध्यता को हटाते हुए मैट्रिक परीक्षा में उतीर्ण छात्र-छात्राओं को दाखिला देने की मांग की है. सौंपे गये ज्ञापन में कहा गया है कि कोल्हान प्रमंडल में उद्योग का विकास हुआ है. लेकिन क्षेत्र में गरीबी बढ़ी है और शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ापन दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है. प्रत्येक वर्ष मैट्रिक की परीक्षा में हजारों छात्र उतीर्ण हो रहे हैं. लेकिन शिक्षण संस्थानों में सीट का लिमिट होने की वजह से कई छात्र कॉलेज में दाखिला नहीं ले पा रहे हैं. ऐसे में वे उच्च शिक्षा से वंचित हो रहे हैं. इससे उनका उज्जवल भविष्य बरबाद हो रहा है. झारखंड अधिविद्य परिषद के अध्यक्ष से आग्रह किया गया है कि कोल्हान विश्व विद्यालय के अंगीभूत महाविद्यालयों, इंटरमीडिएट कॉलेजों एवं प्लस टू विद्यालयों में सीट लिमिट को अविलंब हटाया जाये और छात्रों का एडमिशन लिया जाये.

सभी छात्रों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने का मौका मिले:इंद्र हेंब्रम
इंद्र हेंब्रम ने कहा कि गांवों में शैक्षणिक स्थिति अभी भी संतोषजनक नहीं है. सुदूर गांव-देहात के छात्रों के लिए उच्च शिक्षा प्राप्त करना हमेशा एक चुनौती रहा है. इनमें से अधिकांश छात्र आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों से आते हैं और किसी तरह कॉलेज में एडमिशन लेकर अपनी पढ़ाई जारी रखते हैं. कॉलेजों में सीट लिमिट की बाध्यता इन छात्रों के लिए एक बड़ी बाधा साबित हो रही है. सीटों की संख्या सीमित होने के कारण कई योग्य छात्र उच्च शिक्षा से वंचित रह जाते हैं. यह स्थिति न केवल उनके व्यक्तिगत विकास को प्रभावित करती है, बल्कि समाज और देश के विकास पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती है. उच्च शिक्षा तक पहुंच को सुलभ बनाना बहुत महत्वपूर्ण है, ताकि हर छात्र को अपने सपनों को साकार करने का अवसर मिल सके. उन्होंने कहा कि सीट लिमिट की बाध्यता को हटाने से न केवल अधिक छात्रों को शिक्षा प्राप्त करने का मौका मिलेगा, बल्कि यह उनके परिवारों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार लाएगा. इसके अलावा यह समाज के समग्र विकास में भी योगदान करेगा. इसलिए वर्तमान समय में सीट लिमिट की बाध्यता को समाप्त करना आवश्यक प्रतीत होता है.

सीट लिमिट की बाध्यता को हटाया जाये: राज बांकिरा
राज बांकिरा ने कहा है कि अमीर हो या गरीब सबों को शिक्षा का समान मिलना चाहिए. सरकार का दायित्व है कि गरीब परिवार के बच्चों को भी उच्च शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिले. आज समाज में बदलाव की बात की जा रही है, लेकिन जब तक शिक्षा में समानता नहीं होगी, यह संभव नहीं हो पाएगा. सीट लिमिट की बाध्यता गरीब बच्चों के लिए एक बड़ी दीवार बन गई है. यह बाध्यता उनके शिक्षा प्राप्त करने के अवसर को सीमित कर देती है. जिससे वे उच्च शिक्षा से वंचित रह जाते हैं. सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सीटों की संख्या बढ़ाई जाए, ताकि सभी छात्रों को शिक्षा का समान अवसर मिल सके. शिक्षा से ही समाज में बदलाव आएगा और देश का विकास होगा. इसलिए सीट लिमिट की बाध्यता को सही नहीं ठहराया जा सकता और इसलिए इसे समाप्त करने की आवश्यकता है.

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