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आदिवासियों को सरना कोड देना नहीं चाहती केंद्र की भाजपा सरकार : चंपाई सोरेन

घाटशिला पावड़ा में माझी परगना महाल के 14वें महासम्मेलन का आयोजन किया गया. इसमें कोल्हान समेत विभिन्न जिलों से स्वशासन व्यवस्था के प्रमुख पहुंचे थे. महासम्मेलन के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि सूबे के मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने शिरकत किया.

By Dashmat Soren | June 23, 2024 9:09 PM
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जमशेदपुर: मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने कहा कि राज्य सरकार ने सरना धर्म कोड बनने की राह में आने वाली सारी बाधाओं को दूर कर दिया है. अब सरना धर्म काॅलम कोड का मामला केंद्र की भाजपा सरकार के पास है. केंद्र सरकार आदिवासियों को उनका संवैधानिक पहचान देने में आनाकानी कर रही है. साजिश के तहत सरना कॉलम कोड के मामला को लटका रखी है. लेकिन हम हरहाल में सरना कॉलम कोड को लेकर ही रहेंगे. पूरे देश के आदिवासी अपनी स्वशासन व्यवस्था को मजबूत करें और एकजुटता के साथ आंदोलन में साथ दें. ताकि केंद्र सरकार आदिवासियों को उनका सरना धर्म कोड देने के लिए बाध्य हो जाये. उक्त बातें रविवार को मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने घाटशिला पावड़ा में माझी परगना महाल के 14वें महासम्मेलन के समापन समारोह में कही. वे इस महासम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे थे. मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी हितों का सरकार पूरा ख्याल रखेगी. सरना धर्म कोड के लिए सरकार प्रयास जारी रखेगी. माझी परगना महाल के सम्मेलन में सीएम ने भरोसा दिलाया कि उनकी जो मांगें हैं, उसपर पहले से ही काम प्रारंभ कर दिया गया है. सरना कोड समेत आदिवासियों के अन्य कई मामलों में भाजपा का रवैया नकारात्मक है. भाजपा नहीं चाहती है कि आदिवासियों को उनकी पहचान मिले. राज्य में भाजपा सरकार सर्वाधिक दिनों तक राज्य सत्ता में काबिज रहा. लेकिन यहां के लोगों के हितों में काम करने की बजाये केवल राज्य की खनिज संपदा को लूटने का काम किया.
केंद्र सरकार ने वन अधिकार नियम को शिथिल कर दिया
मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने कहा कि केंद्र सरकार ने आदिवासी की जल, जंगल व जमीन में छेड़छाड़ करने के लिए वन अधिकार नियम को शिथिल कर दिया है. केंद्र सरकार मनमाने तरीके से काम कर रही है. आदिवासियों की गौरवमयी इतिहास को मिटाने का काम किया जा रहा है, जो बिलकुल ही गलत है. उन्होंने कहा कि वन अधिकार और सीएनटी व एसपीटी एक्ट में किसी भी तरह की छेड़छाड़ को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. ऐसे किसी भी नियम व प्रावधान का विरोध होगा, जिससे आदिवासी समुदाय की पारंपरिक व्यवस्था को खतरा पैदा हो.

राज्य सरकार आदिवासी स्वशासन व्यवस्था को सशक्त करने का पक्षधर
माझी परगना व्यवस्था जब मजबूत होगा, तभी आदिवासी समाज आगे बढ़ेगा. हमारी सरकार इस राज्य की आदिवासी पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था को सशक्त करने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि गांव के माझी बाबा को अधिकार देने की कार्य योजना बनायी जायेगी. संताल समुदाय झारखंड समेत कई राज्यों के अलावा नेपाल और भूटान जैसे कई देशों में भी प्राचीन काल से निवास करता आ रहा है. ये भले ही अलग-अलग क्षेत्र में रहते हैं पर उनकी परंपरा और संस्कृति लगभग एक जैसी ही है. लेकिन, आज उनकी समृद्ध परंपरा पर खतरा मंडरा रहा है. ऐसे में आदिवासी समुदाय की परंपरा, भाषा औऱ कला- संस्कृति के संरक्षण और बढ़ावा के लिए सभी को आगे आना होगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी आदिवासी समुदाय को अपने हक- अधिकार के लिए एकजुट होना होगा. आदिवासियों में सामाजिक एकता और चेतना जगाने की जरूरत है, ताकि उनकी सामाजिक- पारंपरिक व्यवस्था से जो खिलवाड़ हो रहा है, उस पर प्रहार किया जा सके. यह तभी संभव है, जब सभी आदिवासी समुदाय मिलकर पूरी ताकत के साथ आवाज बुलंद करेंगे.

धार्मिक व सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखते हैं पूजा पद्धति
देश परगना बैजू मुर्मू ने कहा कि पूजा पद्धति हमारे समाज की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखती है. यह समाज में एकता और भाईचारे का संदेश फैलाती है. शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार समाज के प्रत्येक सदस्य के लिए अनिवार्य है. एक शिक्षित समाज ही प्रगति कर सकता है और स्वस्थ समाज ही उस प्रगति को बनाए रख सकता है. उन्होंने कहा कि आर्थिक विकास और रोजगार के अवसर समाज की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाते हैं. रोजगार के नए अवसरों का सृजन समाज के हर वर्ग के लिए लाभकारी होता है. महिलाओं को समाज में सम्मान और समान भागीदारी मिलना अत्यंत आवश्यक है.

सामाजिक व सांस्कृतिक मुद्दों पर हुआ मंथन
महासम्मेलन में पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था, रीति-रिवाज, धर्म, संस्कृति, पूजा पद्धति, शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक, रोजगार, समाज में महिलाओं को समान भागीदारी व जिम्मेदारी तथा समाज में युवाओं की भागीदारी आदि बिंदुओं पर वक्ताओं ने अपनी बातों को रखा. सभी मुद्दों पर बारीकी चिंतन-मंथन किया गया. सम्मेलन में जामताड़ा, दुमका, हजारीबाग, रामगढ़ ,गिरिडीह, रायरंगपुर व कोल्हान के सभी जिलों से आये संताल समाज के माझी बाबा, परगना बाबा व सामाजिक प्रतिनिधियों ने बारी-बारी से अपनी बातें रखी.

इन्होंने कार्यक्रम को सफल बनाने में दिया योगदान
सम्मेलन को सफल बनाने में डॉक्टर जुझार सोरेन, सिविल सर्जन सिंहभूम, शंकर मार्डी, लेदेम किस्कू, परगना बाबा दसमत हांसदा, राजेंद्र प्रसाद टुडू, छोटा भुजंग टुडू, सुमित्रा सोरेन, कुशल हांदसा, डॉ जतिंद्र नाथ बेसरा, धार्मा मुर्मू, सफल मुर्मू , बिंदे सोरेन, सुनील मुर्मू, नवीन मुर्मू, लखन मार्डी, मानिक मुर्मू, रमेश मुर्मू, भुजंग टुडू, मार्शल मुर्मू, बिंदे सोरेन, प्रोफेसर श्याम सुंदर मुर्मू, सेन बासु हांसदा आदि ने योगदान दिया.

दुर्गाचरण मुर्मू धाड़ दिशोम देश पारानिक बनाये गये
माझी परगना महाल के 14वें महासम्मेलन में तालसा गांव के माझी बाबा दुर्गाचरण मुर्मू को देश पारानिक की जिम्मेदारी सौंपी गयी है. देश परगना बैजू मुर्मू ने माला पहनाकर व अंगवस्त्र देकर उन्हें यह जिम्मेदारी दिसुआ लोगों की उपस्थिति में दी है. माझी परगना महाल के अन्य पदाधिकारियों को बहुत जल्द मनोनीत कर इसका विस्तार किया जाएगा. समापन समारोह में कुचूं दिशोम, सिंञ दिशोम, बारहा दिशोम, पातकोम दिशोम के देश पारगना, शिक्षाविद सीआर माझी, माझी युवराज टुडू, लेदम किस्कू, दीपक मुर्मू, लखन मार्डी, सुरेंद्र टुडू, बिंदे सोरेन, भुआ हांसदा, मानिक मुर्मू, नवीन मुर्मू, रमेश मुर्मू आदि उपस्थित थे.

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