Jamshedpur News : करनडीह स्थित एलबीएसएम कॉलेज में 19 और 20 अक्टूबर को एक महत्वपूर्ण दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है. इस सेमिनार का विषय “भारत के शैक्षणिक विकास में संताली मातृभाषा का योगदान” है. इस आयोजन का उद्देश्य संताली भाषा के माध्यम से शैक्षणिक विकास को समझना और इस दिशा में उठाए गए कदमों पर चर्चा करना है. यह सेमिनार कॉलेज के संताली विभाग और “फोरम फॉर संताली लंग्वेज एंड एजुकेशन राइट्स” के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है.जमशेदपुर में होने वाला यह सेमिनार न केवल संताली मातृभाषा के महत्व को समझने का एक अवसर है, बल्कि यह आदिवासी संस्कृति और साहित्य के विकास में भी एक महत्वपूर्ण कदम है. इस आयोजन के माध्यम से विद्यार्थियों और शोधार्थियों को अपनी आवाज उठाने और संताली भाषा की समृद्धि में योगदान देने का एक अनूठा मंच मिलेगा.
केयू वीसी बतौर मुख्य अतिथि कर रहे शिरकत
सेमिनार के उद्घाटन समारोह में विशेष अतिथि के रूप में चाईबासा के कोल्हान विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर हरि कुमार केशरी और डीन ह्यूमनिटीज डा. तपन कुमार खनराह उपस्थित रहेंगे. उनके नेतृत्व में, यह आयोजन न केवल संताली भाषा के महत्व को रेखांकित करेगा, बल्कि इस भाषा के प्रति छात्रों और शोधकर्ताओं की रुचि को भी प्रेरित करेगा.
इन मुख्य विषयों पर होगी चर्चा
सेमिनार में विभिन्न विषयों पर विचार-विमर्श किया जाएगा, जिसमें “संताली भाषा में शिक्षण के महत्व और अवसर,” “भारतीय संविधान और आदिवासी अधिकार,” “संताली भाषा में शिक्षण और समस्याएं,” “आदिवासी साहित्य के विकास में समस्याएं और समाधान,” तथा “राष्ट्रीय नई शिक्षा नीति 2020 और झारखंड की शिक्षा नीति” शामिल हैं. इन विषयों पर शोध आलेख प्रस्तुत करने वाले शोधार्थी बिहार, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के होंगे, जो अपनी कार्यों के माध्यम से महत्वपूर्ण जानकारी साझा करेंगे.
शोध प्रविधि और रचनात्मकता
इस सेमिनार का विशेष ध्यान शोध विधियों और रचनात्मक लेखन पर होगा. विशेषज्ञों द्वारा छात्रों को शोध प्रक्रिया और लेखन तकनीकों पर महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिए जाएंगे. इस सेमिनार में उपस्थित विशेषज्ञ, जिनमें ओडिशा और पश्चिम बंगाल के असिस्टेंट और एसोसिएट प्रोफेसर शामिल हैं, छात्रों को विषय से संबंधित गहन जानकारी प्रदान करेंगे, जिससे वे अपने शोध कार्यों को और अधिक प्रभावशाली बना सकें.
शिक्षा नीति के संदर्भ में महत्व
यह सेमिनार नई शिक्षा नीति के तहत चार वर्षीय डिग्री कोर्स के छात्रों के लिए आयोजित किया जा रहा है. इसमें विशेष रूप से शोध विषयों पर जोर दिया गया है, जिससे विद्यार्थियों को अपनी शिक्षण यात्रा में संताली भाषा का महत्व समझने में मदद मिलेगी. सेमिनार के दौरान चर्चा की जाने वाली समस्याओं और उनके समाधान पर फोकस छात्रों को एक नई दृष्टिकोण प्रदान करेगा, जो भारतीय शिक्षा प्रणाली में संताली भाषा के योगदान को उजागर करेगा.