कपाली : नमाजियों के लिए खास है मसजिद-ए-हाजरा

जमशेदपुर: कपाली के इसलामनगर में मसजिद- ए- हाजरा रिजविया की संग- ए- बुनियाद 1995 में रखी गयी थी. जाम- ए अशरफिया के माैलाना अबुल माेबिन नुमानी आैर माैलाना नासीरउद्दीन ने इसकी बुनियाद रखी थी. मसजिद मरहूम अब्दुल हफीज की पत्नी मरहूमा हाजरा के नाम से तामीर की गयी है. वर्तमान में अब्दुल हफीज के तीन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 20, 2017 7:30 AM
जमशेदपुर: कपाली के इसलामनगर में मसजिद- ए- हाजरा रिजविया की संग- ए- बुनियाद 1995 में रखी गयी थी. जाम- ए अशरफिया के माैलाना अबुल माेबिन नुमानी आैर माैलाना नासीरउद्दीन ने इसकी बुनियाद रखी थी. मसजिद मरहूम अब्दुल हफीज की पत्नी मरहूमा हाजरा के नाम से तामीर की गयी है. वर्तमान में अब्दुल हफीज के तीन पुत्र हाफिज मो हाशिम कादरी सिद्दिकी, हाजी मो कासिम, अब्दुल करीम के साथ नमाजी और स्थानीय लोग सहयाेग करते हैं. मसजिद पांच कट्ठा जमीन पर बनी है. इसमें 11 सफे हैं जिसमें काला मार्बल लगाया गया है. मसजिद के अंदर वजूखाना का इंतजाम है.
यहां बहुत से मानगो के नमाजी भी तरावीह के साथ पंजेगाणा की नमाज में शामिल हाेते हैं. मसजिद में सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध हैं. यहां मरहूम अब्दुल हफीज सिद्दिकी के परिवार के सदस्यों के अलावा सात सदस्यीय संचालन समिति है. जिसमें मुख्य रूप से पप्पू भाई की खिदमात महत्वपूर्ण है. . डीप बोरिंग का पानी काफी अच्छा है. हजारों लोगों के वजू के लिए यह पर्याप्त है. यहां मतवल्ली, पेश- ए- इमाम और मसजिद के अध्यक्ष की जिम्मेदारी स्वयं हाशिम कादरी निभाते हैं.
राेजा की रूह है तकवा और परहेजगारी
रोजा इनसान के अंदर वो कुवत अदा करता है, जिससे उसकी रूह पवित्र हो जाती है. कलाम ए इलाही कुरान ए मजीद इनसानों को न सिर्फ सीधा रास्ता दिखाता और बताता है बल्कि इस रास्ते पर चलाने और मंजिले मकसूद तक पहुंचाने के लिए रहनुमाई भी करता है. रोजा की वास्तवीक रूह (आत्मा) यह है कि रोजे की हालत में इनसान भूख और प्यास की हालत में सब्र से काम ले. नबी ए करीम सअ. ने इरशाद फरमाया तुम में से जब कोई रोजे से हो तो अपनी जुबान से बेशर्मी की बात न निकाले. न शाेर व हंगामा करे. अगर कोई गाली-गलौज करे या लड़ने पर अमादा हो तो रोजेदार को सोचना चाहिए, वह तो रोजेदार है. रोजा रखकर इनसान को अपने अंदर किरदार (चरित्र) और एखलाक (नैतिकता) का निर्माण करना चाहिए. खौफ ए खुदा के साथ-साथ अपने अंदर तकवा और परहेजगारी कायम करनी चाहिए. यही हकीकत में रोजे की रूह है.
अलहाज हाफिज मोहम्मद हासिम कादरी सिद्दीकी, खतीब व इमाम मसजिद ए हाजरा रिजविया
नन्ही राेजेदार
मानगो आजाद नगर रोड नंबर 13 की रहने वाली 7 साल की कहकशां फिरदौस लगातार रोजा रख रही है अौर स्कूल भी जा रही है. कहकशां फिरदौस मदरसा बाग ए आयशा अौर साकची स्थित एडीएल सन साइन की छात्रा है. वह नियमित रूप से रोजा रख रही है अौर स्कूल भी जा रही है.

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