नागाडीह के लोग हमलोगों को भी मार दे, हम भी जिंदा नहीं रहना चाहते

जमशेदपुर : मेरी मां को मत लेकर जाओ. पहले भी मेरे दो लाल को तुम लोग लेकर चले गये थे. अब हम लोगाें का कोई सहारा नहीं बचा. अब किसके सहारे जिंदा रहेंगे. हमारा तो सबकुछ बर्बाद हो गया. नागाडीह के लोग हम लोगों को भी जान से मार दे, हमें अब जिंदा नहीं रहना […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 21, 2017 8:45 AM
जमशेदपुर : मेरी मां को मत लेकर जाओ. पहले भी मेरे दो लाल को तुम लोग लेकर चले गये थे. अब हम लोगाें का कोई सहारा नहीं बचा. अब किसके सहारे जिंदा रहेंगे. हमारा तो सबकुछ बर्बाद हो गया. नागाडीह के लोग हम लोगों को भी जान से मार दे, हमें अब जिंदा नहीं रहना है. उक्त बात मंगलवार को रामसखी देवी की बेटी किरण देवी रोते-रोते बोल रही थी.

किरण देवी की बेटी भी अपनी नानी को अपने से हमेशा के लिए दूर जाते देख कर दहाड़ मार कर रो रही थी. उसका भी आंसू थमने का नाम नहीं ले रहा था. वहीं परिवार के अन्य महिलाएं उसको शांत कराने की कोशिश कर रही थी, लेकिन बच्ची का रोना देख महिलाएं भी अपने आप नहीं रोक पा रही थी. परिवार की महिलाओं के चित्कार से पूरे क्षेत्र में मातम पसर गया. मंगलवार की सुबह करीब 12 बजे शव को टाटा मेन अस्पताल के शीतगृह से कागजी कार्रवाई के बाद पोस्टमार्टम के लिए एमजीएम मेडिकल कॉलेज भेजा गया.

इस मौके पर एडीएम विधि व्यवस्था सुबोध कुमार, दंडाधिकारी स्मिता सिंह, बागबेड़ा, जुगसलाई, कदमा और बिष्टुपुर के थाना प्रभारी अपने दल-बल के साथ टीएमएच में मौजूद थे. रामसखी देवी के शव के पोस्टमार्टम के लिए मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया था. बोर्ड की निगरानी में वीडियोग्राफी के साथ शव का पोस्टमार्टम हुआ और परिवार के लोगों को पार्थिव शरीर सौंप दिया गया. इसके बाद जुगसलाई के पार्वती घाट पर रामसखी देवी का अंतिम संस्कार कर दिया गया.

बेटी और बहु हुई बेहोश. रामसखी देवी के शव के घर पर पहुंचने के साथ ही वहां मौजूद महिलाओं ने रोना शुरू कर दिया. मां की स्थिति देख कर रामसखी देवी की छोटी बेटी और बहू शव को पकड़ कर रोने के क्रम में बेहोश हो गयी. दोनों को परिवार के लोगों ने उठा कर घर के अंदर में ले गये, लेकिन होश आने के बाद बेटी फिर से शव के पास आकर रोने लगी. वहीं रामसखी देवी के पति भी अंतिम दर्शन के बाद अपने आप को रोक नहीं पाये और उनके आंख से भी आंसू छलक आये. चित्कार से पूरे इलाके में पसरा मातम. रामसखी देवी के शव के घर पर आते ही महिलाओं के चित्कार मार कर रोने से पूरे इलाके में मातम पसर गया. माहौल को देखकर आसपास के लोग भी अपने आप को रोक नहीं पाये और उनलोगों के आंखों में भी आंसू आ गया. वहीं अंतिम यात्रा के समय रामसखी देवी की बेटी, बहु और नाती-पोता दौड़-दौड़ कर शव यात्रा की पीछे जा रहे थे और आसपास के लोग सभी को राेक कर सांत्वना प्रदान कर रहे थे.

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