जूनियर नेशनल बॉक्सिंग चैंपियन बना सिलेय सोय
जमशेदपुर: शहर के नवोदित बॉक्सर सिलेय सोय ने गुवाहाटी में चल रहे जूनियर नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप में शानदार प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक जीता है. 44 से 46 किलो भार वर्ग में 15 साल के सिलेय सोय ने सर्विसेज के एमजे साइ स्वरूप को 4-2 से हराकर चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया. 2010 के […]
जमशेदपुर: शहर के नवोदित बॉक्सर सिलेय सोय ने गुवाहाटी में चल रहे जूनियर नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप में शानदार प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक जीता है. 44 से 46 किलो भार वर्ग में 15 साल के सिलेय सोय ने सर्विसेज के एमजे साइ स्वरूप को 4-2 से हराकर चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया. 2010 के बाद यह पहला मौका है जब बालक वर्ग में बॉक्सिंग में झारखंड के खाते में राष्ट्रीय पदक आया है. सोय ने सेमीफाइनल में हरियाणा के अमन को हराकर फाइनल में जगह पक्की की थी. 12 से 17 जुलाई तक चली इस प्रतियोगिता का सोमवार को अंतिम दिन था.
टाटा स्टील बॉक्सिंग ट्रेनिंग सेंटर के सिलेय सोय
उलीडीह का रहनेवाला है. राजस्थान विद्या मंदिर, साकची में वह नौंवीं कक्षा में पढ़ाई कर रहा है. सिलेय ने पहली बार 2014 में स्कूल नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा था. इसके बाद सिलेय 2015 में नेशनल स्कूल चैंपियन रहा. सिलेय स्टेट चैंपियनशिप और इंटर सेंटर बॉक्सिंग चैंपियनशिप में भी गोल्ड हासिल कर चुका है. सिलय ने वर्ष 2015 में देवघर में आयोजित स्टेट चैंपियनशिप में बेस्ट बॉक्सर बनने का गौरव हासिल किया था. सिलेय सोय ने बॉक्सिंग की प्रारंभिक शिक्षा कोच कार्तिक महतो से डे बोर्डिंग ट्रेनिंग सेंटर में हासिल की थी. वर्तमान में वह टाटा स्टील बॉक्सिंग ट्रेनिंग सेंटर में कोच अजित कुमार की देख-रेख में अपने मुकाम की ओर बढ़ रहा है.
अपना अधूरा सपना बेटों में पूरा होते देख रहे हैं दुर्गा
सिलय के पिता दुर्गा चरण सोरेन ने बताया कि यह उनके बेटे का यह पहला नेशनल मेडल है. इससे पहले स्कूल नेशनल में उसने पदक हासिल किया था, लेकिन ओपन नेशनल में यह पहला मौका है. सिलेय सोय के पिता दुर्गा चरण सोय मानगो में एक निजी संस्थान में गार्ड का काम करते हैं. उन्होंने बताया कि वह भी पहले एथलेटिक्स किया करते थे और बड़ा एथलीट बनना चाहते थे, लेकिन घर की मजबूरी के कारण उन्होंने एथलेटिक्स छोड़ दी. 200 और 400 मीटर दौड़ में जिला स्तर तक भाग ले चुके सिलय के पिता ने बताया कि उनके तीन बेटे मधुसूदन सोय, सिलय सोय और जादू नाथ हैं. तीनों बेटों को वह बड़ा खिलाड़ी बनाना चाहते हैं. तीनों भाई टाटा स्टील बॉक्सिंग ट्रेनिंग सेंटर में ट्रेनिंग ले रहे हैं. उन्होंने कहा कि जो मैं नहीं कर सका, वह मेरे बच्चे करें तो इससे बड़ी खुशी और क्या होगी. घर का खर्च चलाने में सहयोग करने के लिए उनकी पत्नी घर के साथ-साथ बागीचे में थोड़ा काम भी करती है. रोजान 150 रूपये की दिहाड़ी पर काम करने वाले सिलय के पिता ने बताया कि वह और उनकी पत्नी अपना बेटों और अपने शौख मारकर बेटों के लिए अच्छे डाइट व किट का इंजेताम कर पाते हैं.
विश्व चैंपियनशिप में जाने के लिए 20 तक पासपोर्ट बनना जरूरी
जूनियर नेशनल चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक हासिल करने के बाद सिलेय सोय का सीधा चयन भारतीय जूनियर बॉक्सिंग टीम के लिए हो गया है. यह टीम दो अगस्त से फिलिस्तीन में आयोजित होने वाली जूनियर ब्वॉयज वर्ल्ड चैंपियनशिप में देश का प्रतिनिधित्व करेगी. लेकिन सिलय के पास पासपोर्ट नहीं होने के कारण वह इस चैंपियनशिप में भाग लेने से महरुम रह सकता है. सिलय को इस अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए अपना पासपोर्ट 20 जुलाई तक बॉक्सिंग इंडिया के पास जमा करना है. सिलेय के पिता दुर्गा चरण सोय के मुताबिक उन्होंने पासपोर्ट के लिए 28 जून को अप्लाइ किया था. रांची पासपोर्ट ऑफिस से बताया गया कि एसपी ऑफिस से कागज उसे नहीं मिला है. उन्होंने एसपी से मुलाकात की कोशिश की लेकिन वे मिल नहीं पाये.