छात्र के इलाज का खर्च दे स्कूल, नहीं तो मान्यता रद्द

बाल संरक्षण आयोग के दल ने छात्र की पिटाई मामले की जांच की बागबेड़ा के सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में िशक्षक द्वारा की गयी िपटाई मामले में सुनवाई जमशेदपुर : जिले के तीन दिवसीय दौरे पर आयी राज्य बाल संरक्षण आयोग की टीम ने शुक्रवार को बागबेड़ा स्थित सरस्वती शिशु विद्या मंदिर पहुंची. इस टीम […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 12, 2017 4:39 AM

बाल संरक्षण आयोग के दल ने छात्र की पिटाई मामले की जांच की

बागबेड़ा के सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में िशक्षक द्वारा की गयी िपटाई मामले में सुनवाई
जमशेदपुर : जिले के तीन दिवसीय दौरे पर आयी राज्य बाल संरक्षण आयोग की टीम ने शुक्रवार को बागबेड़ा स्थित सरस्वती शिशु विद्या मंदिर पहुंची. इस टीम में आयोग की सदस्य विनीता देवी व भूपेन साव शामिल हैं. उन्होंने स्कूल में पिछले 31 जुलाई को पांचवीं कक्षा के छात्र सौरभ कुमार सिंह को शिक्षक बलदेव सिंह द्वारा पीटे जाने के मामले की जांच की. इस क्रम में स्कूल के प्रधानाचार्य शिवपूजन प्रसाद व छात्र सौरभ समेत उसके पिता संतोष सिंह तथा शिक्षक-शिक्षिकाओं से पूछताछ की.
मामले की जानकारी लेने के पश्चात टीम ने विद्यालय प्रबंधन को छात्र के बेहतर इलाज व उसका खर्च देने की बात कही. विनीता देवी ने बताया कि छात्र को पीटनेवाले शिक्षक को स्कूल से हटा दिया गया. उन्होंने बताया कि छात्र के अभिभावकों को उसे वेल्लोर ले जाकर इलाज कराने की सलाह दी गयी है. साथ ही स्कूल प्रबंधन को इलाज का पूरा खर्च देने और अभिभावकों के साथ मिल बैठक कर समझौता व केस उठा लेने को कहा गया है. इसके लिए 16 अगस्त तक का समय दिया गया है.
शाम को जिले के उपायुक्त अमित कुमार के साथ बैठख कर इस मामले को गंभीरता से लेते हुए हस्तक्षेप करने को कहा गया है. स्कूल प्रबंधन यदि 16 अगस्त तक समझौता कर केस नहीं उठाता व छात्र के इलाज का खर्च नहीं देता है, तो आयोग अपने स्तर से कार्रवाई आरंभ करेगा. स्कूल की मान्यता रद्द करने की कार्रवाई भी की जा सकती है.
मध्याह्न भोजन की गुणवत्ता बेहतर करने की जरूरत. विनीता देवी व भूपेन साव ने बताया कि उन्होंने जिले में स्थित विद्यालयों का भी दौरा किया. इस क्रम में शुक्रवार को मुसाबनी कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय भी गये. वहां मध्याह्न भोजन की गुणवत्ता अपेक्षाकृत ठीक नहीं मिली. उसे बेहतर करने व ध्यान देने की जरूरत है. इसके अलावा विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति अपेक्षाकृत कम पायी गयी, इस पर भी ध्यान देना चाहिए.
मध्याह्न भोजन की मॉनिटरिंग नहीं करते प्रधानाध्यापक. उन्होंने बताया कि दौरे के क्रम में जो स्थिति पायी गयी, उससे यह प्रतीत होता है कि प्रधानाध्यापक मध्याह्न भोजन की मॉनिटरिंग नहीं करते हैं. जबकि यह उनकी जिम्मेवारी है. प्रधानाध्यापकों को इसके प्रति गंभीर व जिम्मेवार बनाने की जरूरत है. इस संबंध में जिला शिक्षा अधीक्षक को निर्देश दिया गया है.

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