एमजीएम. चार माह में 164 बच्चे मरे

जमशेदपुर : पूर्वी सिंहभूम के प्रधान जिला जज व जिला विधिक सेवा प्राधिकार के चेयरमैन मनोज प्रसाद ने मंगलवार को एमजीएम अस्पताल का दौरा किया. बच्चों को मिलनेवाली चिकित्सकीय सुविधाओं का जायजा लिया. अस्पताल अधीक्षक से इससे संबंधित जानकारी ली. उनके साथ डालसा जमशेदपुर के सचिव एसएन सिकदर भी थे. जिला जज सबसे पहले अस्पताल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 30, 2017 5:24 AM

जमशेदपुर : पूर्वी सिंहभूम के प्रधान जिला जज व जिला विधिक सेवा प्राधिकार के चेयरमैन मनोज प्रसाद ने मंगलवार को एमजीएम अस्पताल का दौरा किया. बच्चों को मिलनेवाली चिकित्सकीय सुविधाओं का जायजा लिया. अस्पताल अधीक्षक से इससे संबंधित जानकारी ली. उनके साथ डालसा जमशेदपुर के सचिव एसएन सिकदर भी थे.

जिला जज सबसे पहले अस्पताल अधीक्षक डॉक्टर बी भूषण से मिले. पिछले चार माह में हुए 164 बच्चों की मौत के मामले की जानकारी ली. कागजात भी देखे. अस्पताल अधीक्षक ने इलाज की व्यवस्था, संसाधन, डॉक्टर व स्टाफ से संबंधित जानकारी दी.

जिला जज ने…
जिला जज ने अस्पताल परिसर में बने एनआइसीयू व पीआइसीयू का भी निरीक्षण किया. नर्सों से भी पूछताछ की.
हाइकोर्ट को दी जायेगी रिपोर्ट
एनआइसीयू व पीआइसीयू का निरीक्षण करने के बाद जिला जज ने कहा, इस तरह का निरीक्षण डालसा का एक पार्ट है. यहां संसाधन व स्टाफ की काफी कमी पायी गयी. प्रतिदिन मरीजों की काफी संख्या रहती है. स्टाफ पर वर्क लोड ज्यादा है. बच्चों के मौत से संबंधित जानकारी ली गयी है. इसकी रिपोर्ट हाइकोर्ट को सौंपी जायेगी.
पीआइसीयू में एक बच्चे की मौत
– 28 अगस्त की रात पीआइसीयू में इलाजरत बच्चे गौतम की मौत हो गयी
– 26 व 27 अगस्त को भी दो बच्चों की मौत हुई थी
– एनआइसीयू में 14 व पीआइसीयू में पांच बच्चे का फिलहाल इलाज चल रहा है. वार्ड में 34 बच्चों का इलाज चल रहा है. अभी शिशु वार्ड में छह डॉक्टर हैं. कम से कम 12 से 15 डॉक्टर होने चाहिए.
बोली गवर्नर
एमजीएम की घटना दुखद, जांच के लिए दो टीम गठित
मंगलवार को जमशेदपुर पहुंची राज्यपाल द्रौपदी मुरमू ने कहा कि एमजीएम अस्पताल में बच्चों की मौत काफी दुखद है. मामले में सरकार गंभीर है. जांच के लिए सरकार ने दो टीम गठित की है. एक में सरकार के उच्च पदस्थ अधिकारी हैं. दूसरी टीम में सीनियर साइंटिस्ट शामिल हैं. जांच के बाद जो कुछ निकल कर सामने आयेगा, उसके अनुसार सरकार आगे कदम उठायेगी.
एक वार्मर पर तीन-तीन बच्चे का हो रहा इलाज
एनआइसीयू में संसाधन व स्टाफ की काफी कमी है
चार वार्मर लगे हैं. एक में तीन-तीन बच्चों को रखा गया है. जबकि एक बच्चे के लिए एक वार्मर व चार बच्चों पर एक नर्स की जरूरत है
अस्पताल अधीक्षक ने जिला जज को बताया कि इस समय एनआइसीयू में 14, पीआइसीयू में पांच व वार्ड में 34 बच्चों का इलाज चल रहा है

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