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OMG शिष्य दे रहे हैं नेत्रहीन गुरू को श्रद्धांजलि, 25 साल से आंख पर पट्टी बांधकर बना रहे मूर्ति

।।निखिल सिन्हा।। जमशेदपुर : पौराणिक काल से लेकर अबतक आपने गुरूओं के सम्मान को लेकर शिष्य किस हद तक गये इसकी कई कहानियां सुनी, पढ़ी होगी. किसी ने गुरू दक्षिणा में अपना अंगूठा दे दिया, तो किसी ने गुरू की आज्ञा के लिए अपना सबकुछ दांव पर रख दिया. आज प्रभात खबर डॉट कॉम पर […]

।।निखिल सिन्हा।।

जमशेदपुर : पौराणिक काल से लेकर अबतक आपने गुरूओं के सम्मान को लेकर शिष्य किस हद तक गये इसकी कई कहानियां सुनी, पढ़ी होगी. किसी ने गुरू दक्षिणा में अपना अंगूठा दे दिया, तो किसी ने गुरू की आज्ञा के लिए अपना सबकुछ दांव पर रख दिया. आज प्रभात खबर डॉट कॉम पर पढ़िये एक अनूठी कहानी. कहानी ऐसे शिष्यों की जो गुरू को सच्ची श्रद्धांजलि देने के लिए 25 साल से आखों पर पट्टी बांधकर मूर्ति बना रहे हैं.
छोटा गोविंदपुर के एक मूर्तिकार सुबोध चंद्र गोराई अपनी टीम के साथ आंखों पर पट्टी बांध कर भगवान की प्रतिमा बनाते हैं. वह ऐसा इसलिए करते है कि उनके गुरु केशव चंद्र गोराई नेत्रहीन थे. वे प्रतिभा के इतने धनी थे कि नेत्रहीन होने के बाद भी मूर्ति का निर्माण करते थे. सुबोध का कहना है कि उनकी टीम गुरु को सम्मान देने के लिए आंख पर पट्टी बांधकर मूर्ति का निर्माण करती है.
छोटा गोविंदपुर रेलवे लाइन के किनारे मूर्ति बनाने वाले सुबोध चंद्र गोराई का कहना है कि अपने गुरु व भाई केशव चंद्र गोराई के साथ रह कर उन्होंने मूर्ति बनाने की कला सिखी. उसके बाद उन्होंने डिजाइनिंग में डिप्लाेमा किया. इसके बाद इसे कैरियर के रूप में लिया. शुरू में खुद ही मूर्ति बनाते थे. धीरे-धीरे अपने पुत्र सत्यजीत गोराई को भी मूर्तिकार बनाया. आज यहां करीब 35 कारीगर साल भर मूर्ति बनाते हैं. टीम के कई मूर्तिकार हैं जो आंख बंद करके ही मूर्ति का निर्माण करते हैं.
बनाते हैं फाइबर की भी प्रतिमाएं
सत्यजीत गोराई ने बताया कि 25 साल से वह मूर्ति बना रहे है. वे लोग सभी प्रकार की प्रतिमाओं का निर्माण करते है. पत्त्थर, प्लास्टर ऑफ पेरिस, फाइबर की मूर्ति का निर्माण भी इन लोगों के द्वारा किया जाता है. सरायकेला में भी मूर्ति बनाने का काम पिछले दस साल से किया जा रहा है.
बाकुड़ा के हैं निवासी
सुबोध चंद्र गोराई ने बताया कि वे लोग मूल रूप से पश्चिम बंगाल बाकुड़ा के निवासी है. उनके पास रहकर काम करने वाले मूर्तिकार भी बाकुड़ा के ही रहने वाले है. सभी एक परिवार की तरह रहते है.

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