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388 करोड़ रुपये का अता-पता नहीं

राज्य के सरकारी स्कूलों को सर्व शिक्षा अभियान के तहत दी गयी थी भवन निर्माण के लिए राशि स्कूलों में भवन निर्माण व बाउंड्री निर्माण के लिए 2003-04 से किये जा रहे हैं फंड आवंटित जमशेदपुर : झारखंड के सरकारी स्कूलों में अतिरिक्त कमरे व बाउंड्रीवॉल के निर्माण में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी सामने आयी […]

राज्य के सरकारी स्कूलों को सर्व शिक्षा अभियान के तहत दी गयी थी भवन निर्माण के लिए राशि

स्कूलों में भवन निर्माण व बाउंड्री निर्माण के लिए 2003-04 से किये जा रहे हैं फंड आवंटित
जमशेदपुर : झारखंड के सरकारी स्कूलों में अतिरिक्त कमरे व बाउंड्रीवॉल के निर्माण में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी सामने आयी है. सरकारी अफसरों की लापरवाही की वजह से पिछले पांच साल से करीब 388 करोड़ रुपये राज्य के सरकारी स्कूलों के प्रधानाध्यापकों के खाते में पड़े हुए हैं, लेकिन जिस काम के लिए उक्त राशि दी गयी थी,
न ही वह काम पूरा हो सका अौर न राशि सरेंडर की गयी. जांच के क्रम में यह बातें सामने आ रही हैं कि कई प्रधानाध्यापकों ने उक्त राशि का निजी तौर पर इस्तेमाल कर लिया तो कई की मौत हो गयी. उक्त राशि की रिकवरी में सरकारी महकमा दिलचस्पी नहीं ले रहा. इस वजह से राज्य को भारत सरकार की अोर से सर्व शिक्षा अभियान के फंड में लगातार कटौती की जा रही है.
क्या है पूरा मामला
सर्व शिक्षा अभियान के तहत सरकारी स्कूलों में अतिरिक्त कमरे व बाउंड्रीवॉल के निर्माण के लिए झारखंड में वर्ष 2003-04 से सरकार की अोर से फंड आवंटित किये जा रहे हैं. इसके तहत सरकार की अोर से जिन स्कूलों में निर्माण कार्य किया जाना है उस स्कूल के प्रधानाध्यापक के अकाउंट में पहली किस्त में ही 75 फीसदी राशि भेज दी जाती है,
जबकि दूसरी किस्त में अतिरिक्त 25 फीसदी राशि, लेकिन गहन पड़ताल के बाद पाया गया कि 75 फीसदी राशि हासिल करने के बाद स्कूल के प्रधानाध्यापक न ही कमरे का निर्माण कर रहे हैं अौर न ही अपने अकाउंट में पड़ी राशि को सरेंडर कर रहे हैं. उनके अकाउंट से रुपये निकल भी जा रहे हैं. जबकि कई जिलों में वर्क डन होने की बात सामने आ रही लेकिन मेजरमेंट बुक (एमबी) जमा नहीं हो पाया है.
न काम हुआ अौर न ही राशि हुई सरेंडर
8 प्रधानाध्यापकों पर दर्ज हो चुका है एफआइआर
इस मामले में जमशेदपुर में जिला शिक्षा अधीक्षक बांके बिहारी सिंह ने 8 प्रधानाध्यापकों पर एफआइआर किया है. साथ ही करीब 12 अन्य प्रधानाध्यापकों को 1 महीने का समय दिया है. तय समय में राशि एडजस्ट करने का आदेश दिया है. अगर प्रधानाध्यापक की अोर से राशि सरेंडर भी कर दी जाती है इसके बाद भी सरकार की वह मंशा पूरी नहीं हो पायेगी जिस वजह से प्रधानाध्यापकों को राशि दी गयी थी. कारण है कि जिस वक्त राशि दी गयी थी उस वक्त कमरे निर्माण में लगने वाली जरूरी सीमेंट, बालू, गिट्टी, रड समेत अन्य चीजों के दाम कम थे, लेकिन अब अगर वही राशि वापस की जाती है तो सरकार को काफी नुकसान होगा.
किस जिले में कितने करोड़ की राशि एडजस्ट होनी है बाकी
पलामू 36.01 करोड़
गिरिडीह 35.89 करोड़
गोड्डा 30.35 करोड़
दुमका 26.25 करोड़
गढ़वा 23.39 करोड़
हजारीबाग 22.52 करोड़
देवघर 21.01 करोड़
साहेबगंज 20.16 करोड़
पाकुड़ 16.54 करोड़
कोडरमा 15.72 करोड़
सरायकेला 15.63 करोड़
चतरा 14.98 करोड़
गुमला 14.19 करोड़
बोकारो 13.54 करोड़
जामताड़ा 12.62 करोड़
प. सिंहभूम 11.81 करोड़
धनबाद 10.79 करोड़
लातेहार 9.11 करोड़
खूंटी 7.88 करोड़
पूर्वी सिंहभूम 7.41 करोड़
रामगढ़ 6.49 करोड़
रांची 5.74 करोड़
लोहरदगा 5.47 करोड़
सिगडेगा 4.88 करोड़
विभागीय कर्मचारियों का वेतन रुका
जमशेदपुर के जिला शिक्षा अधीक्षक बांके बिहारी ने इस तरह के मामले में दोषी प्रधानाध्यापकों पर जहां एफआइआर करवाया है, वहीं जांच के क्रम में पाया गया है कि संविदा पर बहाल विभागीय कर्मचारियों की लापरवाही की वजह से भी उक्त राशि एडजस्ट नहीं हो सकी है. यही कारण है कि विभागीय कर्मचारियों के वेतन पर भी रोक लगा दी गयी है.

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