Jharkhand : बिरसा कृषि विश्वविद्यालय ने खोज लिया पलायन रोकने का उपाय!
गालूडीह : बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (BAU) ने झारखंड से होने वाले पलायन को रोकने का तरीका खोज निकाला है. दारीसाई क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र सभागार में बुधवार को रबी फसल पर कृषि वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक में BAU के अनुसंधान निदेशक डॉ डीएन सिंह ने इसकी जानकारी दी. दारीसाई क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र के सह निदेशक […]
गालूडीह : बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (BAU) ने झारखंड से होने वाले पलायन को रोकने का तरीका खोज निकाला है. दारीसाई क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र सभागार में बुधवार को रबी फसल पर कृषि वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक में BAU के अनुसंधान निदेशक डॉ डीएन सिंह ने इसकी जानकारी दी. दारीसाई क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र के सह निदेशक डॉ जिबरा टोप्पो की अध्यक्षता में हुई समिति की बैठक में डॉ सिंह ने कहा कि राज्य से पलायन रोकना है, तो दोहरी फसल पर फोकस करना होगा.
रांची, दारीसाई के कृषि वैज्ञानिकोंको संबोधित करते हुए डॉ सिंह ने कहा कि सरकार ने वर्ष 2022 तक कृषि में आय को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है. इसलिए उपज बढ़ाने, आय वृद्धि समेत अन्य बिंदुओं पर फोकस करके काम करने की जरूरत है. कोल्हान में धान सहित दलहन और तेलहन की खेती की संभावना है. दोहरी फसल से ही यहां पलायन रुकेगा.
बंजर जमीन पर पौधे लगायें : डॉ सिंह ने कहा कि बंजर जमीन पर शीशम, गम्हार, सागवान और फलदार पौधे लगा सकते हैं. खेती के साथ पशुपालन पर जोर देने की बात कही . उन्होंने कहा कि बकरी पालन किसानों के लिए एटीएम है. कृषि के समेकित विकास जरूरी है.
झारखंड में दो किस्म के धान की खेती होगी बंद : डॉ सिंह ने कहा कि धान के दो किस्म एमटीयू 7029 और बीपीटी 5204 की किस्म की खेती नहीं होगी. दोनों किस्म 145 से 150 दिनों की होती है. लंबी अवधि के कारण पैदावार सही नहीं होता.इसकी रिपोर्ट राज्य सरकार को भेज दी गयी है. किसान 120-125 अवधि वाली किस्म को अपना रहे हैं.
अनाज उत्पादन में राज्य आत्म निर्भर बनने की ओर : डॉ सिंह ने कहा अनाज उत्पादन में झारखंड आत्मनिर्भर बनने की ओर है. राज्य में 62 से 65 लाख टन अनाज की जरूरत है. वर्ष 2008-09 में 42 लाख टन 70 प्रतिशत पूरा हुआ. वर्ष 2011-12 में 65 लाख टन, 2016-17 में 58 लाख टन अनाज उत्पादन हुआ. राज्य में वर्षा जल संचय पर ध्यान देना होगा. मौके पर कृषि वैज्ञानिकों ने विगत वर्ष रबी में क्या किया और इस वर्ष क्या नया अनुसंधान करेंगे, इसपर रिपोर्ट दी. मौके पर बिरसा कृषि विवि अध्यक्ष शश्य विज्ञान डॉ एमएस यादव, डॉ डीके रुसिया, डॉ हेम चंद्र लाल, डॉ प्रमोद कुमार आदि उपस्थित थे.