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रसुनचोपा में दिशोम सोहराय का भव्य आयोजन, 90 बैल का खुंटाव, हेंसलआमदा के मार्शल किस्कू के बैल को मिला पहला पुरस्कार

पोटका :पोटका प्रखंड के रसुनचोपा में दिशोम सोहराय पंचायत कमेटी की ओर से 13वां दिशोम सोहराय के अवसर पर बैल खुंटाव का आयोजन भव्य रूप से किया गया. इस आयोजन के तहत बैल खुंटाव एवं चुमावड़ा का आयोजन किया गया. इस अवसर पर अतिथि के रूप में पूर्व विधायक सनातन माझी, जिला परिषद सदस्य चंद्रावती […]

पोटका :पोटका प्रखंड के रसुनचोपा में दिशोम सोहराय पंचायत कमेटी की ओर से 13वां दिशोम सोहराय के अवसर पर बैल खुंटाव का आयोजन भव्य रूप से किया गया. इस आयोजन के तहत बैल खुंटाव एवं चुमावड़ा का आयोजन किया गया. इस अवसर पर अतिथि के रूप में पूर्व विधायक सनातन माझी, जिला परिषद सदस्य चंद्रावती महतो एवं संजीव सरदार, झामुमो के केंद्रीय सदस्य सुनील महतो, जिला उपाध्यक्ष सागेन पुर्ती, मुखिया संजय सरदार, पंसस सिमती सरदार आदि उपस्थित थे.

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कार्यक्रम का शुभारंभ 13 गुब्बारा आसमान मे छोड़कर किया गया. यहां आसपास के साथ-साथ दुर दराज से लाये गये कुल 90 बैलों का खुंटाव किया गया था, जहां हेंसलआमदा के मार्शल किस्कु के बैल को प्रथम पुरस्कार, बोड़ाम के निमाय सोरेन के गाय को द्धितीय पुरस्कार, रोड़ा के राजाराम सोरेन के काड़ा को तृतीय पुरस्कार, गोबिंदपुर के आंता महतो के बैल को चतुर्थ पुरस्कार, मारांगमुडू के सुराई मुर्मू के बैल को पंचम पुरस्कार एवं आवलातोला के चरण मुर्मू के बैल को षष्टम पुरस्कार मिला.

इस अवसर पर सनातन माझी ने कहा कि सोहराय झारखंड एक प्रमुख पर्व में शामिल है. इस पर्व मे मौके पर हम अपने घर के गाय, बैलों को पुजने के साथ-साथ उनका मनोरंजन भी करते है, इसमे एक बैल खुंटाव भी शामिल है. यह हमारी एक संस्कृति है. रसुनचोपा के यह दिशोम सोहराय लगातार प्रसिद्ध हो रहा है, यही कारण है कि यहां झारखंड के साथ-साथ ओड़िशा से भी खुंटाव के लिए बैल लाया गया है. इस तरह की संस्कृति को हमे जीवित रखने की जरूरत है.

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इस आयोजन में झामुमो के पोटका प्रखंड अध्यक्ष सुधीर सोरेन, माझी पारगाना महाल के अध्यक्ष हरिपदो मुर्मू, सचिव लेदेम किस्कु, शिक्षक नेता निखिल मंडल, मुखिया सारो सरदार, पंसस सुबोध सरदार, बाबु माझी, पोल्टू मंडल आदि उपस्थित थे. आयोजन को सफल बनाने में निदेशक सुशील हांसदा, अध्यक्ष शशोधर हांसदा, सचिव फुदान हेंब्रोम, सहसचिव बिनेश्वर सरदार, लखाई टुडू, मुचीराम हांसदा, सुनाराम हेंब्रोम, लालमोहन हेंब्रोम, जादूनाथ टुडू, तुषार मंडल, असीत मंडल, संतोष मंडल, सनातन माझी, सावना मुर्मू आदि का सराहनीय योगदान रहा.

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