बच्चों की माैत पर हाइकोर्ट ने मांगा जवाब

रांची/जमशेदपुर : झारखंड हाइकोर्ट में सोमवार को रिम्स व एमजीएम में बच्चों की माैत काे लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका (पीआइएल) पर सुनवाई हुई. एक्टिंग चीफ जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस अमिताभ कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. सुनवाई के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 31, 2017 10:40 AM
रांची/जमशेदपुर : झारखंड हाइकोर्ट में सोमवार को रिम्स व एमजीएम में बच्चों की माैत काे लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका (पीआइएल) पर सुनवाई हुई. एक्टिंग चीफ जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस अमिताभ कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.

सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने अस्पतालों में बेहतर इलाज की व्यवस्था करने के साथ-साथ चिकित्सकों की समस्या को दूर करने को कहा. यह भी कहा कि चिकित्सकीय उपकरणों को दुरुस्त किया जाना चाहिए. वरीय अधिवक्ता पीसी त्रिपाठी ने अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी की अोर खंडपीठ का ध्यान आकृष्ट कराया. मामले की अगली सुनवाई के लिए 27 नवंबर की तिथि निर्धारित की गयी है.
ज्ञात हो कि एमजीएम अस्पताल में चार माह में 164 नवजात बच्चों की हुई मौत को गंभीरता से लेते हुए पूर्वी सिंहभूम के प्रधान जिला जज व जिला विधिक सेवा प्राधिकार (डालसा) के चेयरमैन मनोज प्रसाद व सचिव एसएन सिकदर ने 29 अगस्त को एमजीएम पहुंच कर अस्पताल के अधीक्षक डॉ बी भूषण से इस मामले की जानकारी ली थी.
लेने के साथ ही अस्पताल में नवजात बच्चों का इलाज के लिए उपलब्ध संसाधन, डॉक्टर व स्टाफ की स्थिति का जायजा लिया था. इसके अलावा उन्होंने अस्पताल परिसर में बने एनआइसीयू व पीआइसीयू का निरीक्षण भी किया था और इस दौरान तैनात नर्सों से इस संबंध में पूछताछ की थी. निरीक्षण के दौरान पाया था कि एक वार्मर पर तीन-तीन बच्चों को रखकर इलाज किया जा रहा है. इसके साथ ही एनआइसीयू व पीआइसीयू में संसाधन व स्टाफ की काफी का भी पता चला था. इस जांच रिपोर्ट को जिला जज द्वारा हाइकोर्ट को सौंपा गया था. उनकी रिपोर्ट को गंभीरता से लेते हुए हाइकोर्ट ने स्वत: संज्ञान से इसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था.

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