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ट्रांसपोर्टर टीपी सिंह हत्याकांड में 23 साल बाद बरी हुआ रवि चौरसिया, साक्ष्य के अभाव का मिला लाभ

जमशेदपुर : साकची के कालीमाटी राेड स्थित बिहार ट्रांसपाेर्ट कार्यालय में ट्रांसपाेर्टर रहे ठाकुर प्रसाद सिंह की हत्या मामले में नामजद रहे रवि चाैरसिया काे 23 साल बाद एडिशनल सेशन जज-5 की अदालत ने साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया. इस मामले में दाे लाेगाें के खिलाफ नामजद व दाे अन्य के खिलाफ टीपी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 25, 2017 4:46 AM

जमशेदपुर : साकची के कालीमाटी राेड स्थित बिहार ट्रांसपाेर्ट कार्यालय में ट्रांसपाेर्टर रहे ठाकुर प्रसाद सिंह की हत्या मामले में नामजद रहे रवि चाैरसिया काे 23 साल बाद एडिशनल सेशन जज-5 की अदालत ने साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया. इस मामले में दाे लाेगाें के खिलाफ नामजद व दाे अन्य के खिलाफ टीपी सिंह के पुत्र बीरेंद्र सिंह ने प्राथमिकी दर्ज करायी थी.

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पुलिस ने अनुसंधान के क्रम में इस मामले में षड्यंत्रकारी के रूप में रवि चाैरसिया समेत व अन्य 11 काे हत्या में सहयाेगी की भूमिका में रहने के आराेप में चार्जशीट कर आराेपी बनाया था. इस मामले में 11 आराेपियाें काे जिला न्यायालय ने 2001 में बरी कर दिया था. रवि चाैरसिया के फरार हाेने के कारण उसके खिलाफ काेर्ट में सुनवाई पूरी नहीं हाे पा रही थी. वादी बीरेंद्र सिंह ने बरी हाेने की सूचना पर हैरानी जताते हुए कहा कि पूर्व में भी जिला काेर्ट के फैसले के खिलाफ वे हाईकाेर्ट में याचिका दाखिल कर चुके हैं.
नये फैसले के विराेध में भी हाईकाेर्ट जायेंगे. पुलिस ने इस मामले में अनुसंधान करते हुए रवि चाैरसिया, चंद्रवली सिंह, मनाेज कुमार जायसवाल, दिलीप कुमार अग्रवाल, महेश गुप्ता, विशु चाैरसिया, राधाकांत, विनाेद कुमार, प्रदीप कुमार, संजय प्रसाद, शंकर दुबे, सीनू राव, संताेष कुमार काे आराेपी बनाकर चार्जशीट दायर कर दी थी.

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इस मामले में आराेपी बनाया गया सीनू राव आज तक पुलिस की पकड़ में नहीं आया, जबकि 1998 में साकची जेल गेट से पेशी से लाैटने के क्रम में फरार हुए संजय प्रसाद पटना में पुलिस मुठभेड़ में 1999 में मारा गया. साकची थाना के तत्कालीन प्रभारी कन्हैया उपाध्याय ने इस मामले में बीरेंद्र सिंह, उपेद्र सिंह (मृत), राघव सिंह, ललन, गुरदीप सिंह पप्पू, वेंडर किशन वर्मा, चायवाली महिला, श्याम सुंदर सिंह, पाेस्टमार्टम करनेवाले डॉ ललन चाैधरी समेत 14 काे गवाह बनाया था. उक्त किसी ने भी केस काे सपोर्ट नहीं किया, जिसका फायदा आराेपियाें काे काेर्ट में मिला.
पुलिस मुठभेड़ में मारे गये दाे आराेपी. टीपी सिंह हत्याकांड में आराेपी बनाये गये महेश गुप्ता काे जिला पुलिस ने फुलडुंगरी के पास एनकाउंटर में मार गिराया था. इसके अलावा संजय प्रसाद काे पटना पुलिस ने 1999 में मार गिराया था. एक अन्य आराेपी रहे राधाकांत की बीमारी के कारण माैत हाे गयी थी.
फैसले से हैरान हैं, हाईकाेर्ट जायेंगे : बीरेंद्र सिंह. टीपी सिंह के पुत्र बीरेंद्र सिंह ने कहा कि वे इस फैसले से हैरान हैं. उन्हें पूरी उम्मीद थी कि कसूरवार तय हाेंगे. पूर्व में भी बरी कर दिये गये आराेपियाें के खिलाफ फिर से सुनवाई के लिए हाइकाेर्ट में रिवीजन पीटिशन दायर की है. रवि चाैरसिया काे बरी करने के भी कागजात निकाल कर उसके खिलाफ भी हाइकाेर्ट जायेंगे.

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केस ने तबाह कर दी जिंदगी : रवि चाैरसिया. बरी हाेने के बाद रवि चाैरसिया ने कहा कि इस केस ने उनकी जिंदगी तबाह कर दी. वे छाेटा काम-धंधा कर पेट पालते थे. उनका इस घटना से दूर-दूर तक काेई लेना-देना नहीं था. पुलिस से मिलकर उन्हें इस मामले में नाहक फंसाया.
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काेर्ट में दिया इंप्रूवमेंट बयान काम नहीं आया
रवि चाैरसिया की आेर से बहस करनेवाले वरीय अधिवक्ता अरुण झा ने बताया कि काेर्ट में बीरेंद्र सिंह ने बयान दिया था कि 18 जनवरी 1994 काे वेंडर किशन वर्मा के पास वे काम से गये थे. उसी वक्त पुलिस अभिरक्षा में वहां से गुजर रहे रवि चाैरसिया वहां पहुंचा. दिलीप कुमार ने शंकर दुबे काे 50 हजार रुपये दिये, जिसे शंकर ने रवि चाैरसिया ने लेकर विशु व संजय प्रसाद काे देते हुए टीपी सिंह का मर्डर करने काे कहा. इस घटना के संबंध में वादी ने तत्काल थाना में लिखित शिकायत नहीं की,
प्राथमिकी आैर आराेप पत्र में भी कहीं इसका जिक्र नहीं किया. आइआे रहे कन्हैया उपाध्याय से भी पूछा गया, ताे उन्हाेंने भी धमकी संबंधी बयान से इनकार किया था. सिर्फ इंप्रूवमेंट-दबाव बनाने के लिए काेर्ट में बयान दिया, जिसे काेर्ट ने खारिज कर दिया. वादी जब घायल काे लेकर जा रहे थे, ताे उनके शरीर पर कहीं भी खून का दाग नहीं लगा, जिससे यह तय हाे गया कि वे घटनास्थल पर नहीं थे आैर सुनी-सुनायी बाताें पर प्राथमिकी दर्ज करायी. जिससे आराेपी के खिलाफ साक्ष्य नहीं मिला.
हाइकाेर्ट ने दिया था जल्द सुनवाई का आदेश
वादी बीरेंद्र सिंह ने पूर्व में आराेपियाें काे बरी करने के मामले काे हाइकाेर्ट में चुनाैती दी थी. केस के मूल पेपर स्थानीय काेर्ट में नहीं हाेने के कारण व रवि चाैरसिया का मामला लंबित हाेने के कारण हाइकाेर्ट मे सुनवाई नहीं हाे पा रही थी. सितंबर में हाइकाेर्ट के न्यायाधीश डीएन पटेल के निर्देश के बाद मूल पेपर रांची से जमशेदपुर काेर्ट पहुंचे, जिसके बाद सुनवाई शुरू हुई.
परवेज हयात काे हटा डॉ अजय काे थमायी थी कमान
टीपी सिंह हत्याकांड की घटना ने शहर काे हिला कर रख दिया था. राेड जाम, धरना-प्रदर्शन आम हाे गया था. पुलिस के प्रति लाेगाें का विश्वास टूटने लगा था. तत्कालीन बिहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने जमशेदपुर के एसपी रहे परवेज हयात का तबादला करते हुए डॉ अजय कुमार की नियुक्ति की थी, जिसके बाद लगातार अपराध की दुनिया से जुड़े हुए लाेगाें का एनकाउंटर शुरू हुआ.

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