अब स्टूडेंट‍्स को ग्रेस मार्क नहीं

जमशेदपुर : काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (सीआइएससीइ) बोर्ड ने बड़ा फैसला किया है. बोर्ड ने तय किया है कि वर्ष 2018 से आइसीएसइ व आइएससी की परीक्षा में मॉडरेशन पॉलिसी लागू नहीं होगी. साथ ही अब बोर्ड एग्जाम में विद्यार्थियों को ग्रेस मार्क नहीं मिलेगा. इसके साथ ही सीआइएससीइ बोर्ड के अंतर्गत […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 3, 2017 6:01 AM

जमशेदपुर : काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (सीआइएससीइ) बोर्ड ने बड़ा फैसला किया है. बोर्ड ने तय किया है कि वर्ष 2018 से आइसीएसइ व आइएससी की परीक्षा में मॉडरेशन पॉलिसी लागू नहीं होगी. साथ ही अब बोर्ड एग्जाम में विद्यार्थियों को ग्रेस मार्क नहीं मिलेगा. इसके साथ ही सीआइएससीइ बोर्ड के अंतर्गत चलने वाले सभी स्कूलों छठी, सातवीं व आठवीं क्लास के सिलेबस व किताब एक समान होंगे. स्कूलों में होने वाली परीक्षा के पेपर भी बोर्ड की अोर से भेजे जायेंगे.

इसके अलावा नौवीं व ग्यारहवीं क्लास की परीक्षा में समानता लाने के लिए उक्त परीक्षा की टाइम टेबल व प्रश्नपत्र भी एक ही रहेंगे. यह निर्णय सीआइएससीइ बोर्ड की अोर से जयपुर में आयोजित एसोसिएशन अॉफ
स्कूल्स फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट की बैठक में लिया गया. बोर्ड के सचिव गेरी अराथुन ने देश भर के सीआइएससीइ बोर्ड के तहत संचालित स्कूलों के प्रिंसिपलों को इसकी जानकारी दी है.
अगले सत्र से मास कॉम की पढ़ाई : जयपुर में आयोजित नेशनल कॉन्फ्रेंस के दौरान यह निर्णय लिया गया कि अगले सत्र से आइसीएसइ (दसवीं) व आइएससी (बारहवीं) में विद्यार्थी मास कम्यूनिकेशन विषय लेकर पढ़ाई कर सकेंगे. अब तक इस विषय की पढ़ाई नहीं होती थी. मीडिया में बढ़ते कैरियर अॉप्शन को ध्यान में रखते हुए बोर्ड ने यह निर्णय लिया है.
2019 से इंग्लिश में लिट्रेचर की किताब बदलेगी : बोर्ड की अोर से हुई बैठक में तयकिया गया कि वर्ष 2019 से सीनियर सेक्शन में इंग्लिश लिट्रेचर की किताब में बदलाव किया जायेगा. इस बोर्ड के बच्चों पर ज्यादा इंग्लिश पढ़ाने को लेकर लगातार सवाल खड़े किये जाते रहे हैं, इस वजह से निर्णय लिया गया है कि इंग्लिश के लिट्रेचर की किताब में आंशिक बदलाव कर कोर्स को थोड़ा आसान किया जायेगा.
साइंस के सिलेबस में होगा व्यापक बदलाव : बोर्ड की बैठक में तय किया गया कि मैथ, फिजिक्स, केमेस्ट्री अौर बायोलॉजी के सिलेबस में बड़े स्तर पर बदलाव किया जायेगा. निर्णय लिया गया कि उन सभी चैप्टर को इसमें समाहित किया जायेगा तो मेडिकल व आइआइटी के इंट्रेंस टेस्ट में ज्यादा पूछे जाते हैं. साथ ही कंपीटीशन को ध्यान में रखते हुए नये सिरे से सिलेबस को तैयार किया जा रहा है. सभी प्रिंसिपलों को बताया गया कि बोर्ड की अोर से अब नर्सरी से लेकर 8 वीं तक का सिलेबस तैयार किया जा रहा है. पूर्व में इन क्लास के सिलेबस नहीं हुआ करते थे. स्कूल प्रबंधन अपने स्तर से ही तय करते थे. सिलेबस में टेक्नोलॉजी को काफी महत्व दिया जा रहा है.
बताया गया कि इस प्रकार का सिलेबस तैयार किया जा रहा है कि विद्यार्थी सेलेक्टेड पढ़ाई नहीं कर पायेंगे. उन्हें पूरी किताब की गहनता पूर्वक पढ़ाई करनी होगी.
नये सिलेबस के आधार पर टीचर की होगी ट्रेनिंग : बोर्ड की अोर से बताया गया कि नये सिलेबस के आधार पर देश भर के अलग-अलग स्कूलों के अलग-अलग विषयों के शिक्षकों को ट्रेनिंग दी जायेगी. इसके लिए पहले मास्टर ट्रेनर बनाया जायेगा, वे अपने शहर के उक्त विषय के टीचर को ट्रेंड करेंगे. इंग्लिश की ट्रेनिंग पूरी भी हो गयी है, अब अगले चरण में मैथ की शुरू होगी.
आइआइटी-मेडिकल में सीबीएसइ पर सीआइएससीइ भारी
जयपुर में हुए कॉन्फ्रेंस में एक आंकड़ा पेश किया गया. जिसमें बताया गया कि पूरे देश में इस प्रकार का माहौल तैयार किया गया है कि सीबीएसइ के विद्यार्थी मेडिकल व आइआइटी की परीक्षा में ज्यादा पास होते हैं, लेकिन ऐसी बात नहीं है. बताया गया कि इस साल आइआइटी में सीबीएसइ बोर्ड के कुल 58,587 परीक्षार्थी जेइइ एडवांस परीक्षा में शामिल हुए जिसमें 11,693 परीक्षार्थी पास हुए. इनका पास प्रतिशत 19.95 था. जबकि सीआइएससीइ बोर्ड के कुल 3622 परीक्षार्थी शामिल हुए जिसमें 782 परीक्षार्थी पास हुए. जो 21.59 फीसदी था.

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