टाटा वर्कर्स यूनियन: ऑफिस बियरर रहते अलग होना चाहते हैं यूनियन से, बीके डिंडा नहीं लड़ेंगे यूनियन चुनाव
जमशेदपुर: टाटा वर्कर्स यूनियन के महामंत्री बीके डिंडा के बगैर करीब 33 साल बाद यूनियन की नयी कमेटी संचालित होगी. वे इस बार के चुनाव में न तो ऑफिस बियरर का चुनाव लड़ेंगे और न ही कमेटी मेंबर का चुनाव लड़ेंगे. यह अटकलें लगायी जा रही थी कि मेडिकल एक्सटेंशन मिलने के बाद चूंकि वे […]
जमशेदपुर: टाटा वर्कर्स यूनियन के महामंत्री बीके डिंडा के बगैर करीब 33 साल बाद यूनियन की नयी कमेटी संचालित होगी. वे इस बार के चुनाव में न तो ऑफिस बियरर का चुनाव लड़ेंगे और न ही कमेटी मेंबर का चुनाव लड़ेंगे. यह अटकलें लगायी जा रही थी कि मेडिकल एक्सटेंशन मिलने के बाद चूंकि वे 1 अक्तूबर 2018 तक टाटा स्टील के कर्मचारी के तौर पर रहेंगे, इस कारण वे ऑफिस बियरर का भले ही चुनाव नहीं लड़े, लेकिन कमेटी मेंबर का चुनाव लड़ेंगे.
लेकिन खुद महामंत्री बीके डिंडा ने इनकार कर दिया है कि वे इस बार न तो कमेटी मेंबर का चुनाव लड़ेंगे और ऑफिस बियरर कमेटी मेंबर का चुनाव ही नहीं लड़ेंगे तो कैसे बनेंगे क्योंकि कमेटी मेंबर बनने के बाद ही कोई ऑफिस बियरर बन सकते है. महामंत्री बीके डिंडा ने कहा कि वे कई साल तक चुनाव लड़ते रहे है, ऑफिस बियरर रहते हुए टाटा वर्कर्स यूनियन से अलग हटेंगे. उनकी जगह कोई और कमेटी मेंबर का चुनाव लड़ सकेगा.
33 साल से यूनियन में ऑफिस बियरर ही रहे हैं डिंडा
महामंत्री बीके डिंडा 33 साल से यूनियन में ऑफिस बियरर के तौर पर रहे है. वे वर्ष 1975 में अस्थायी के तौर पर टाटा स्टील में योगदान दिया था. इसके बाद वे नवंबर 1981 में योगदान दिया था. उसके बाद 1 अक्तूबर 2017 को साठ साल की सेवा कंपनी में पूरी की. अब मेडिकल एक्सटेंशन उनको मिला है, जिसके बाद वे एक अक्तूबर 2018 को रिटायर हो रहे है. श्री डिंडा पहली बार वर्ष 1984 में कमेटी मेंबर का चुनाव जीता और उसी वक्त पहली बार सहायक सचिव बन गये. वे 2006 तक सहायक सचिव के पद पर ही रहे. 2006 और 2009 में अध्यक्ष आरबीबी सिंह के साथ वे ऑफिस बियरर के लिए नामांकन तक नहीं किया, लेकिन वे विपक्ष के तौर पर काम करते रहे, लेकिन उसके बाद से महासचिव बने और अब तक वे महासचिव ही है. वे यूनियन में सबसे तर्जुबा रखने वाले नेता है और किंग मेकर के रुप में वर्ष 1984 से जाने जाते हैं. वे विपक्ष के रुप में भी अपनी मजबूत पकड़ रखते रहे हैं.