एमजीएम के भरोसे नहीं रहें, भर्ती होते ही ढूंढ लें सेकेंड ओपिनियन
जमशेदपुर. एमजीएम में इलाज कराने वाले गंभीर मरीज अब अस्पताल के डॉक्टरों के भरोसे नहीं रहें. वे उचित इलाज के लिए सेकेंड ओपेनियन लेकर इलाज करा सकते हैं. ये बातें लिखकर भर्ती होने वाले मरीजों से हस्ताक्षर कराया जा रहा है. एमजीएम में इलाज कराने आने वाले मरीजों को पहले इमरजेंसी में भर्ती कराया जाता […]
जमशेदपुर. एमजीएम में इलाज कराने वाले गंभीर मरीज अब अस्पताल के डॉक्टरों के भरोसे नहीं रहें. वे उचित इलाज के लिए सेकेंड ओपेनियन लेकर इलाज करा सकते हैं. ये बातें लिखकर भर्ती होने वाले मरीजों से हस्ताक्षर कराया जा रहा है. एमजीएम में इलाज कराने आने वाले मरीजों को पहले इमरजेंसी में भर्ती कराया जाता है, इसके बाद मरीजों को जैसे ही वार्ड में भेजा जाता है.
उसी दौरान मरीज के परिजनों को एक कागज पर लिख हुआ मिलता है कि मुझे मेरी मरीज की हालत एवं होने वाले खतरे के बारेे में बता दिया गया है तथा सेकेंड ओपेनियन लेने की भी अनुमति दी गयी है. इसपर परिजनों से हस्ताक्षर कराया जाता है, ताकि इलाज के दौरान अगर किसी प्रकार की कोई घटना होती है, तो परिजन डॉक्टरों पर लापरवाही का अारोप नहीं लगा सकते हैं.
इस तरह का काम अभी गायनिक, मेडिकल व सर्जरी विभाग में किया जा रहा है. डॉक्टरों के अनुसार अस्पताल में कम संसाधन रहने के बाद भी मरीज का जहां तक हो सकता है, ईमानदारी पूर्वक इलाज किया जाता है. इसके बाद भी अगर किसी मरीज की मौत हो जाती है, तो उसके परिजनों द्वारा डॉक्टरों पर ही लापरवाही का आरोप लगाकर अस्पताल में हंगामा किया जाता है. इसी को देखते हुए परिजनों को पहले ही मरीज की स्थिति से अवगत करा दिया जा रहा है, कि अगर वह कहीं दूसरे डॉक्टर को भी दिखना चाहता है तो मरीज को ले जाकर इलाज करवा सकते हैं.
अस्पताल में डॉक्टर पूरी ईमानदारी से मरीजों का इलाज करते हैं. इसके बाद भी मरीजों के परिजनों द्वारा लापरवाही का आरोप लगाकर हंगामा किया जाता है. इसलिए परिजनों को मरीज की स्थिति के बारे में जानकारी देने के साथ ही बताया जाता है कि अगर वे कहीं दूसरे डॉक्टर से इलाज कराना चाहते हैं, तो करा सकते हैं. ऐसा इसलिए किया जा रहा है, ताकि मरीज के परिजन संतुष्ट होकर अपने मरीज का इलाज करा सके.
डॉ बी भूषण, अधीक्षक, एमजीएम