हाल जमशेदपुर का: यहां हर वर्ष बढ़ रही हैं दुष्कर्म की वारदातें, इन पर दें ध्यान
जमशेदपुर : शहर में मासूम बच्चियां के साथ दुष्कर्म की घटनाएं साल-दर-साल बढ़ती जा रही हैं. घटना को अंजाम देने वालों में रिश्तेदारों के साथ पड़ोसी और करीबी शामिल निकल रहे हैं. अगर आकड़ों पर नजर डालें, तो वर्ष 2017 के अक्तूबर माह तक 61 दुष्कर्म के मामले विभिन्न थानों में दर्ज कराये गये. जिसमें […]
जमशेदपुर : शहर में मासूम बच्चियां के साथ दुष्कर्म की घटनाएं साल-दर-साल बढ़ती जा रही हैं. घटना को अंजाम देने वालों में रिश्तेदारों के साथ पड़ोसी और करीबी शामिल निकल रहे हैं. अगर आकड़ों पर नजर डालें, तो वर्ष 2017 के अक्तूबर माह तक 61 दुष्कर्म के मामले विभिन्न थानों में दर्ज कराये गये. जिसमें 27 मामलों में पीड़िता नाबालिग थी. बच्चों के साथ यौन अपराध रोकने के लिए सरकार ने प्रोटेक्शन आॅफ चिल्ड्रेन फाॅर्म सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट (पास्को) कानून बनाया गया.
8 बच्चियों को दिया मुआवजा. डालसा के सचिव एसएन सिकदर ने बताया कि वर्ष 2016 में तीन और 2017 में पांच दुष्कर्म पीड़ितों को मुआवजा दिया गया है. पीड़िता की कोर्ट में गवाही के बाद मुआवजे की प्रक्रिया होती है. कई बार मुआवजा देने के बाद पीड़िता कोर्ट में बयान बदल देती है, ऐसे में परेशानी होती थी.
क्या कहते है मनोचिकित्सक
बच्चियों के साथ दुष्कर्म करने वाले स्वभाव से अलग होते है. ऐसे लोग नशे की हालत में अधिक होते है और किसी भी सही अथवा गलत बात को जज नहीं कर पाते. सही अथवा गलत से उन्हें कोई मतलब नहीं होता. बच्ची अथवा महिलाओं की इज्जत करने की बात लोग परिवार से सिखते है. ऐसी घटना को अंजाम देने वाले संस्कार विहीन होते है. एकल परिवार के कारण वर्तमान में बच्चों को सही संस्कार नहीं मिल पाता है.
डाॅ. दीपक गिरि, मनोचिकित्सक, एमजीएम
इन पर ध्यान दें
युवतियों या बच्चियों से कोई अधिक नजदीक आने की कोशिश करे
मजाक के नाम पर ही सही यदि कोई बार-बार स्पर्श कर रहा हो
आपके परेशान होने पर जरूरत से ज्यादा मददगार बनकर सामने आये
पब्लिक प्लेस के बजाय जब कोई अकेले में मिलकर बात करने को कहे
कुछ भी गलत लग रहा हो, तो अपने माता-पिता या भाई को जरूर बतायें