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बेरोजगारों के लिए खुशखबरी! टाटा स्टील बड़े पैमाने पर देगा रोजगार

जमशेदपुर : टाटा स्टील आने वाले तीन साल में बड़े पैमाने पर रोजगार मुहैया कराने जा रही है. यह रोजगार कंपनी के जमशेदपुर व कलिंगानगर प्लांट के विस्तारीकरण में मैन पावर की जरूरत का हिस्सा होगा. कंपनी तकनीकी तौर पर दक्ष 10 हजार कर्मचारियों की बहाली लेगी जबकि मैट्रिक पास को भी मौका दिया जायेगा. […]

जमशेदपुर : टाटा स्टील आने वाले तीन साल में बड़े पैमाने पर रोजगार मुहैया कराने जा रही है. यह रोजगार कंपनी के जमशेदपुर व कलिंगानगर प्लांट के विस्तारीकरण में मैन पावर की जरूरत का हिस्सा होगा. कंपनी तकनीकी तौर पर दक्ष 10 हजार कर्मचारियों की बहाली लेगी जबकि मैट्रिक पास को भी मौका दिया जायेगा. बहाली में वर्तमान कर्मचारी पुत्रों को प्राथमिकता दी जायेगी. कंपनी का लक्ष्य है कि स्टील वेज को खत्म कर हर हाल में नये सिरे से एनएस ग्रेड में बहाली की जाये, जिससे कंपनी का वेज कॉस्ट कम हो सके. प्रबंधन नये दक्ष कर्मचारियों से अत्याधुनिक मशीनों का संचालन कराकर उत्पादकता को बढ़ाना चाहता है.

अब तक के तय प्लान के अनुसार जमशेदपुर प्लांट को प्रथम चरण में 10 मिलियन टन को बढ़ाकर 11 मिलियन टन किया जाना है. फिर आने वाले तीन साल में गम्हरिया के टिस्को ग्रोथ शॉप के विस्तार के साथ वहां करीब 4 मिलियन टन का विस्तार किया जायेगा. इस तरह जमशेदपुर में 5 मिलियन टन और कलिंगानगर में पांच मिलियन टन यानि कुल 10 एमटी उत्पादन बढ़ाया जाना है. उत्पादन फार्मूला के मुताबिक, कंपनी एक मिलियन टन में करीब एक हजार कर्मचारियों की बहाली करेगी. इसमें 10 हजार बहाली स्थायी तौर पर कंपनी के पे रोल पर होंगी जबकि करीब 30 हजार अस्थायी और ठेका मजदूरों को रोजगार मिलेगा. इतने ही लोगों को परोक्ष रोजगार के साधन भी मिलेंगे. टाटा स्टील अपनी भारतीय इकाइयों की उत्पादन क्षमता 25 से 30 मिलियन टन तक बढ़ाने की तैयारी में है. इसमें करीब 24 हजार करोड़ का निवेश कंपनी करेगी.

ट्रेंड होंगे बहाल, 30 हजार मजदूर को करेंगे ट्रेंड : वीपी एचआरएम

टाटा स्टील के वीपी एचआरएम सुरेश दत्त त्रिपाठी ने नयी बहालियों पर स्थिति का खुलासा किया है. श्री त्रिपाठी के अनुसार कंपनी को स्किल मैनपावर की जरूरत होगी. टाटा स्टील में ठेका मजदूरों को भी ट्रेनिंग देकर योग्य बनाया जा रहा है. करीब 30 हजार कर्मचारियों को दो साल में ट्रेनिंग देकर स्किल बनाया जायेगा. सेफ्टी सुपरवाइजरों को भी ट्रेनिंग दी गयी है कि वह अन्य मजदूरों को कैसे स्किल बनाये. हाइ स्किल कर्मचारियों की जरूरत बनी हुई है. कंपनी का जोर हाइ स्किल कर्मचारियों की जरूरत को पूरा करने पर है. अब अनस्किल कर्मचारी की मदद नहीं ली जायेगी.

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