मजदूरों की कसौटी पर असफल रहे अध्यक्ष

जमशेदपुर : टाटा वर्कर्स यूनियन में चुनाव नजदीक आते ही आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. रविवार को टीम परिवर्तन ने कदमा फार्म एरिया में बैठक कर वर्तमान यूनियन नेतृत्व के पिछले तीन सालों के कार्यकाल को मजदूर विरोधी करार देते हुए आरोप पत्र जारी किया. वक्ताओं ने कहा कि अध्यक्ष रवि प्रसाद के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 8, 2018 9:07 AM
जमशेदपुर : टाटा वर्कर्स यूनियन में चुनाव नजदीक आते ही आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. रविवार को टीम परिवर्तन ने कदमा फार्म एरिया में बैठक कर वर्तमान यूनियन नेतृत्व के पिछले तीन सालों के कार्यकाल को मजदूर विरोधी करार देते हुए आरोप पत्र जारी किया.
वक्ताओं ने कहा कि अध्यक्ष रवि प्रसाद के तीन सालों का कार्यकाल असफल रहा . कहा कि पिछले चुनाव में नियमावली के अभाव में चुनाव में धांधली हुई थी. अब टीम परिवर्तन ने चुनाव पदाधिकारी और चुनाव समिति के लिए ईमानदार छवि के व्यक्ति को प्रत्याशी बनाया है. जो निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
टीम परिवर्तन को मिला तीन पूर्व अध्यक्ष का सहयोग :
टीम परिवर्तन को टाटा वर्कर्स यूनियन के पूर्व तीन अध्यक्षों का सहयोग और मार्गदर्शन प्राप्त हो रहा है. टीम के सदस्यों ने कहा कि वर्तमान, पूर्व और सक्रिय, पदाधिकारी, कमेटी मेंबर, आम कर्मचारियों का स्वागत है. जो परिवर्तन में सहयोगी करेंगे. रवि प्रसाद और उनके समर्थकों का जाना तय हैं.
टाइम बांड प्रमोशन की सुविधा में कटौती की गयी
टीम परिवर्तन के सदस्यों ने आरोप लगाया कि वर्तमान यूनियन ने कई विभागों में एसोसिएट कर्मियों के टाइम बांड प्रमोशन की सुविधा में कटौती की गयी. पांच दिन के कार्यकाल करके कर्मियों के साप्ताहिक काम के घंटे को बढ़ा दिया गया. पिछले तीन सालों तक लगातार टेप्स की ब्याज दर का कोई फैसला नहीं किया गया. एनएस-1 ग्रेड के प्रमोशन के लिए कॉमन टेस्ट मॉड्यूल बनाया गया. विभागीय स्तर पर एक-दो महीने का टेस्ट मॉड्यूल को समाप्त कर छह महीने का कॉमन टेस्ट मॉड्यूल बनाना दिया गया.
वर्तमान नेतृत्व के पदभार संभालते ही सैकड़ों कर्मियों को मेडिकल रिव्यू के लिए टीएमएच भेजा गया. कई महीनों तक अनफिट होने से कर्मी इएसएस के लिए मजबूर हुए.
लांग अब्सेंटिज्म की परिभाषा बदल दी गयी. पूर्व में कर्मियों के लगातार महीनों तक बिना सूचना के अनुपस्थित रहने पर चार्जशीट होता था. अब पूरे साल में किसी भी कारण से कुल 30 दिन से ज्यादा अनुपस्थित रहने पर लॉन्ग अब्सेंटिज्म के आरोप में चार्जशीट किया जा रहा है
बोनस समझौते के बाद 11.93 फीसदी बोनस की झूठी घोषणा की, जो बाद में 8.93 फीसदी निकला.
मेडिकल एक्सटेंशन की प्रक्रिया में बदलाव कर, सुविधा समाप्त करने की साजिश की
स्टैंडर्ड फोर्स का कवरेज 33 से घटाकर 25 फीसद करना
27 मई 2016 को एक समझौता कर पांच-छह हजार रिक्तियों को बिना किसी बेनीफिट के समाप्त कर दिया.
कर्मचारी पुत्रों की बहाली के लिए प्रयास नहीं किया गया.
कमेटी मेंबरों को इओआर के आधार पर री-ऑर्गेनाइजेशन समझौते के लिए बाध्य करना, मैनपावर में कटौती और उसका ठीकरा कमेटी मेंबरों पर फोड़ा गया.
100 बर्खास्त कर्मियों में से एक की भी पुनर्बहाली नहीं हुई बल्कि पूर्व में बर्खास्तगी के बाद कर्मियों को पुनर्बाल कर लिया जाता था
कार्यकारिणी की बैठक में पारित होने के बावजूद बर्खास्त कर्मियों को जीवन-यापन भत्ता शुरू नहीं करना
पॉलिसी निर्णय कार्यकारिणी को विश्वास में लिये बिना किया
12. चार्टर्ड ऑफ डिमांड जैसे दस्तावेज को बिना कार्यकारिणी की सहमति के प्रबंधन को भेज दिया गया.
13. कर्मचारियों की मेडिकल सुविधाओं में लगातार कटौती, टीएमएच में दवाइयों की कमी, डॉक्टरों की कमी और बेड की कमी से कर्मचारी व उनके परिवार जूझते रहे.
बिना किसी सुविधा में बढ़ोतरी के हॉलीडे होम की दर में बढ़ोतरी कर दी गयी
दोपहिया वाहन भत्ते में औसतन 24.5 फीसदी बढ़ाने का फैसला किया गया. पिछली बार औसतन 32.5 फीसदी था. चार पहिया वाहन भत्ते में पिछली बार औसतन 24.5 फीसदी बढ़ा. इस बार औसतन 19 फीसदी ही हुआ

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