सिटी बस की राह पर ग्रामीण बस सेवा
दो साल से ग्रामीण बस सेवा को धरातल पर उतारने के किये जा रहे हैं प्रयास 2015 में 26 मार्गों पर बस चलाने की बनायी गयी थी योजना जमशेदपुर : जिले में ग्रामीण बस सेवा का हाल सिटी बस की तरह हो गया है. ग्रामीण क्षेत्र में सुलभ आवागमन व्यवस्था के लिए परिवहन विभाग द्वारा […]
दो साल से ग्रामीण बस सेवा को धरातल पर उतारने के किये जा रहे हैं प्रयास
2015 में 26 मार्गों पर बस चलाने की बनायी गयी थी योजना
जमशेदपुर : जिले में ग्रामीण बस सेवा का हाल सिटी बस की तरह हो गया है. ग्रामीण क्षेत्र में सुलभ आवागमन व्यवस्था के लिए परिवहन विभाग द्वारा वर्ष 2015 में पूर्वी सिंहभूम में पहले 19 फिर 26 मार्गों पर ग्रामीण बस सेवा शुरू करने की योजना वर्ष 2015 में बनायी गयी.
शुरुआत से लेकर अब तक परिवहन विभाग द्वारा ग्रामीण बस सेवा को धरातल पर उतारने के लिए कई प्रयास किये गये, कई छूट दी गयी, लेकिन अब तक मात्र तीन मार्ग पर ही ग्रामीण बस सेवा शुरू हो पायी है. ग्रामीण बस सेवा को शुरू करने के लिए कई बार बस मालिकों के साथ बैठक की गयी, लेकिन सफल परिणाम नहीं निकल पाया अौर अब तक योजना शुरुआती स्तर पर ही है, जिसके कारण जिस उद्देश्य से इसे शुरू किया गया, वह पूरा नहीं हो पा रहा है.
सफल नहीं हो सकी सिटी बस सेवा : शहरी परिवहन व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए जेएनएनयूआरएम से 2007 में शहर को 50 सिटी बसें दी गयी थी, लेकिन अब तक कभी भी एक साथ 50 बसों का परिचालन नहीं हो सका.
अधिकतम दस से लेकर बीस तक ही सिटी बसों का परिचालन हो सका. खड़े-खड़े कई बस कंडम हो गयी है या कंडम होने के कगार पर पहुंच गयी है. सिटी बस के खड़ा करने के लिए सिदगोड़ा सूर्य मंदिर के समीप डिपो तो दिये गये, लेकिन बस के परिचालन के लिए आज तक स्टैंड तय नहीं हो सका, जिसके कारण किसी एक स्थान पर बस का पड़ाव, टिकट काटना संभव नहीं हो सका. इसके कारण बस का संचालन सही तरीके से नहीं हो पाया.
पूर्व में सिटी बस का परिचालन झारखंड टूरिज्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (जेटीडीसी) द्वारा किया गया अौर संचालन सफल नहीं हो सका. अब जमशेदपुर अक्षेस द्वारा इसका संचालन किया जा रहा है. बसों की मरम्मत कर बसों को चलाने के लिए कई प्रयास किये गये, लेकिन शहर में सिटी बस का परिचालन सफल नहीं हो सका, जिसके कारण शहरवासी निजी मिनी बस के भरोसे हैं.
ग्रामीण बस सेवा शुरू करने के लिए गाड़ी मालिक को परिवहन विभाग द्वारा एक रुपये में परमिट दिया जा रहा है. साथ ही स्टैंडअप इंडिया के तहत ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है अौर इच्छुक लाभुक को बस खरीदने के लिए 25 प्रतिशत डाउन पेमेंट के स्थान पर 15 प्रतिशत ही डाउन पेमेंट देना था. इच्छुक गाड़ी मालिक को 30 किमी या पचास प्रतिशत नेशनल हाइवे/ स्टेट हाइवे पर अौर शेष परिचालन ग्रामीण पंचायत क्षेत्र में करने की अनिवार्यता है. इसके अलावा कई अौर सहयोग प्रशासन-परिवहन विभाग द्वारा दिये जा रहे हैं, इसके बावजूद योजना पूरी तरह धरातल पर नहीं उतर पा रही है.