झारखंड : …..जब स्वामी शंकराचार्य ने कहा, हिंदू हूं कांग्रेस का समर्थक नहीं

जमशेदपुर : सोनारी में रात्रि प्रवास के लिए ठहरे 95 वर्षीय द्वारिका शारदा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि भाजपा की जीत से लोगों में उम्मीद बंधी थी कि हिंदुत्व की रक्षा होगी. गौ हत्या बंद होगा. लेकिन, इस दिशा में कोई काम नहीं हुआ. आज भारत विश्व का सबसे बड़ा गौ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 5, 2018 5:59 AM
जमशेदपुर : सोनारी में रात्रि प्रवास के लिए ठहरे 95 वर्षीय द्वारिका शारदा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि भाजपा की जीत से लोगों में उम्मीद बंधी थी कि हिंदुत्व की रक्षा होगी. गौ हत्या बंद होगा. लेकिन, इस दिशा में कोई काम नहीं हुआ. आज भारत विश्व का सबसे बड़ा गौ मांस निर्यातक देश है. शिक्षा पद्धति में सुधार नहीं हुआ. पुराने पाठ्यक्रम ही चल रहे हैं. उन्होंने कहा कि वे कांग्रेस के समर्थक नहीं बल्कि हिंदू हैं.
शिक्षा में सुधार नहीं होने के कारण धर्म परिवर्तन. शंकराचार्य ने कहा कि विवशता, गरीबी, इलाज का अभाव, शिक्षा में सुधार नहीं होने के कारण धर्म परिवर्तन होता है.
जब तक यह सब रहेगा धर्म परिवर्तन होता रहेगा. इसे रोकने के लिए उक्त चीजें ठीक करनी होगी. हमारे यहां व्यक्ति जन्म से हिंदू होता है. हमारे यहां पैदा होता है. हम बनाते नहीं. गर्भ में पांच महीने से बच्चों को होश आना शुरू हो जाता है. वह हिंदू ही पैदा होते हैं जबकि इसाई बनाये जाते हैं. हम धर्मांतरण नहीं करते, दीक्षा देते हैं. दीक्षा कोई भी ले सकता है. उन्होंने कहा कि जो ईसाई बन गये हैं, उनको हम पूर्णतया हिंदू नहीं बनाते.
कोकिला संगम विश्व कल्याण आश्रम में होती है अनोखी रासलीला. शंकराचार्य ने कहा कि इस बार मनोहरपुर के काली कोकिला संगम विश्व कल्याण आश्रम में सत्रह दिनों का आयोजन हुआ. जिसमें रासलीला भी शामिल थी. जो सामान्य रासलीला से अलग थी. उन्होंने कहा कि ईसाई बड़ा दिन मनाते हैं. उस इलाके में हमारे भगवान श्रीकृष्ण की जानकारी कम लोगों को है. यह जानकारी देने के लिए ही रासलीला होती है.
सरना मतलब सनातन
स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि आदिवासी हमारे समाज के अभिन्न अंग हैं. सरना मतलब सनातन. मुसलमान धर्म को मजहब कहता है, ईसाई रिलीजन. आदिवासी धर्म को धर्म ही कहता है. इसलिए वे हमसे अलग नहीं हैं. वो ईश्वर को बोंगा कहते हैं. जो ऊं से निकला है. जैसे सिंह बोंगा यानी सूर्य भगवान. आदिवासियों में हिंदू की तरह ही जाति होती है. वे गौत्र में शादी नहीं करते. जबकि इसाई और मुसलमानों में ऐसा नहीं है.

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