टाटा स्टील का बढ़ रहा है कर्ज
जमशेदपुर : टाटा स्टील पर बढ़ रहे कर्ज के बोझ से उबरने के लिए प्रबंधन की ओर से हाइलेवल कमेटी गठित की गयी है, जो फंड पर नजर रख रही है तथा कंपनी की वित्तीय स्थिति कमजोर न पड़े इस दिशा में कोशिश कर ही है. प्राप्त जानकारी के अनुसार, टाटा स्टील पर पिछले वित्तीय […]
जमशेदपुर : टाटा स्टील पर बढ़ रहे कर्ज के बोझ से उबरने के लिए प्रबंधन की ओर से हाइलेवल कमेटी गठित की गयी है, जो फंड पर नजर रख रही है तथा कंपनी की वित्तीय स्थिति कमजोर न पड़े इस दिशा में कोशिश कर ही है. प्राप्त जानकारी के अनुसार, टाटा स्टील पर पिछले वित्तीय वर्ष तक करीब 30,994 करोड़ रुपये का बकाया था. ऐसे बकायों के भुगतान के साथ ही कैश का फ्लो बेहतर करने की कोशिश की जा रही है. गौरतलब है कि देश की चार बड़ी स्टील कंपनियां बैंकों के घाटे के तले दबी हुई हैं. दिवालिया कानून के तहत उसकी बिक्री की प्रक्रिया नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (एनसीएलटी) ने शुरू की है.
12800 करोड़ रुपये का निकला राइट इश्यू
टाटा स्टील पर निवेशकों का काफी भरोसा है. इसी भरोसे को देखते हुए कंपनी ने 12800 करोड़ रुपये बाजार से राइट इश्यू के जरिये मंगाये. उसके खुलने के तुरंत राशि जमा हो गयी. टाटा स्टील की इस राशि से कलिंगानगर प्लांट में 30 लाख टन प्रति वर्ष प्रोडक्शन को बढ़ाकर 80 लाख टन तक करने की योजना है, जिस पर करीब 23500 करोड़ रुपये का निवेश होना है. इसके अलावा कंपनी भूषण स्टील और भूषण पावर जैसी कंपनी को टेकओवर करने जा रही है, जिस पर करीब 59 हजार करोड़ रुपये का निवेश होगा. पैसे के निवेश और कंपनी का घाटा करने को लेकर कंपनी प्रबंधन मंथन कर रहा है.
फंड की कमी नहीं : टाटा स्टील के एमडी टीवी नरेंद्रन ने एक अप्रैल को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि फंड की कमी नहीं है. इस पर एक टीम काम कर रही है. टेकओवर से टाटा स्टील के वर्तमान स्वरूप में बदलाव नहीं होगा न ही कोई असर पड़ने वाला है. विस्तारीकरण का काम चरणबद्ध तरीके से चलता रहेगा.