ओड़िशा का गिरोह उड़ाता था रुपये
जमशेदपुर : शहर में पिछले दो महीने से बाइक की डिक्की तोड़कर रुपये उड़ाने की घटना का पुलिस ने खुलासा कर दिया है. ओड़िशा के गंजाम जिले के गोलापल्ली व नुवानशाहपुर गांव के युवक घटना को अंजाम दे रहे थे. पुलिस टीम ने सीसीटीवी फुटेज और बाइक नंबर के आधार पर गिरोह के पी सीनू […]
जमशेदपुर : शहर में पिछले दो महीने से बाइक की डिक्की तोड़कर रुपये उड़ाने की घटना का पुलिस ने खुलासा कर दिया है. ओड़िशा के गंजाम जिले के गोलापल्ली व नुवानशाहपुर गांव के युवक घटना को अंजाम दे रहे थे. पुलिस टीम ने सीसीटीवी फुटेज और बाइक नंबर के आधार पर गिरोह के पी सीनू और राजा दास को गिरफ्तार किया है. वहीं, रहीम व एक अन्य की तलाश जारी है. दोनों के पास से 1.13 लाख रुपये, चार मोबाइल, दो बाइक तथा दो नंबर प्लेट बरामद किये गये हैं.
गिरोह के सदस्य चाईबासा के एक लॉज में ठहरकर शहर में आकर घटना को अंजाम दे रहे थे. इसकी जानकारी एसएसपी कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में एसपी सिटी प्रभात कुमार ने दी. उन्होंने बताया कि गिरोह ने डिमना रोड में तीन अप्रैल को बिजली विभाग के सेवानिवृत्त कर्मचारी की बाइक की डिक्की से 80 हजार रुपये, परसुडीह ब्लॉक कार्यालय के सामने 21 मार्च को बिजली विभाग में रुपये जमा करने जा रहे व्यक्ति से 93 हजार रुपये, चार अप्रैल को गोलमुरी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के पास आदित्युपर के एक कंपनी मालिक की बाइक की डिक्की से एक लाख रुपये चोरी करने के अलावा छह मार्च को बहरागोड़ा में भी डिक्की से एक लाख रुपये उड़ाने की घटना काे अंजाम देने की बात आरोपियों ने स्वीकार की है. इस मौके पर डीएसपी कैलाश करमाली, गोलमुरी थानेदार रामजी महतो, उलीडीह थानेदार मुकेश चौधरी भी मौजूद थे.
बैंक के सामने व अंदर रैकी कर देते थे घटना को अंजाम. सिटी एसपी ने बताया कि गिरोह के सदस्य बैंक के अंदर और बाहर रेकी करते थे. बैंक से रुपये लेकर निकलने वाले का पीछा करते थे. डिक्की में रुपये रखने के बाद वह इंतजार करते थे कि उनका अगला स्टॉपेज कहां है. बाइक छोड़कर जाने के तुरंत बाद डिक्की तोड़ रुपये आरोपी निकाल लेते थे.
घटनास्थल से कुछ दूरी पर ठहरते थे युवक
सिटी एसपी ने बताया कि जिस क्षेत्र में घटना को अंजाम देना है. वहां से कुछ दूरी पर लॉज में ये आरोपी ठहरते थे. 15 से बीस दिन ठहरने के बाद घटना को अंजाम देकर वापस घर चले जाते थे. फिर कुछ दिन ठहरकर दूसरे जगह में घटना को अंजाम देने के लिए गिरोह के सदस्य रवाना होते थे.