महिलाएं कर रही हैं जंगल की पहरेदारी, शरारती तत्वों ने 3000 पेड़ काट दिये
गम्हरिया : यशपुर के हुंड्रूबेड़ा जंगल अब नाम का जंगल रह गया है. वन विभाग की ओर से उक्त जंगल में पर्यावरण संतुलन के लिए विभिन्न प्रकार के करीब तीन हजार वृक्ष लगाये गये थे. साथ ही इसकी रक्षा के लिए गांव के ही ग्रामीणों को लेकर वन रक्षा समिति का गठन किया गया था, […]
गम्हरिया : यशपुर के हुंड्रूबेड़ा जंगल अब नाम का जंगल रह गया है. वन विभाग की ओर से उक्त जंगल में पर्यावरण संतुलन के लिए विभिन्न प्रकार के करीब तीन हजार वृक्ष लगाये गये थे. साथ ही इसकी रक्षा के लिए गांव के ही ग्रामीणों को लेकर वन रक्षा समिति का गठन किया गया था, लेकिन कुछ शरारती तत्वों द्वारा रोजाना एक-दो वृक्ष काट-काटकर आज उक्त जंगल को खुला मैदान बना दिया गया है. इससे ग्रामीणों में आक्रोश व्याप्त है.
छानबीन में जुटे विभाग के लोग : पेड़ के काटे जाने की सूचना पाकर वन विभाग की टीम यशपुर पहुंची और घटना की छानबीन शुरू कर दी है. वनपाल दिलीप मिश्रा ने बताया कि पूर्व में भी ग्रामीणों द्वारा पेड़ काटे गये थे. उस वक्त चेतावनी देकर छोड़ दिया गया था. इस बार दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जायेगा. यशपुर पंचायत के मुखिया रामू मुर्मू ने कहा कि जंगल के लाभ व इसकी रक्षा करने को लेकर ग्रामीणों को कई बार प्रशिक्षण दिया गया. साथ ही गांव में समय-समय पर जागरूकता अभियान भी चलाया जाता है. इसके बावजूद कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा चोरी-छुपे जंगल में पेड़ को काट दिया गया है.
महिलाएं भी कर रही जंगल की पहरेदारी
गम्हरिया. गम्हरिया प्रखंड के कालिकापुर पंचायत में संचालित महिला समिति के सदस्यों द्वारा वन की रक्षा के लिए अनोखी पहल शुरू की गयी है. समिति के सदस्य पंचायत की अन्य महिला-पुरुषों को भी अपने अभियान में जोड़कर सालडीह जंगल को बचाने के लिए बारी-बारी से पहरेदारी कर रही हैं. महिलाओं का मानना है कि पर्यावरण संतुलन के लिए जंगल का होना जरूरी है. इन दिनों उक्त जंगल पर कुछ भू-माफियाओं की नजर पड़ गयी है. कई बार इसकी शिकायत विभाग से की गयी. इसके बावजूद कार्रवाई नहीं होने के बाद स्वयं नि:स्वार्थभाव से रक्षा करने का निर्णय लिया गया. ग्रामीणों ने बताया कि उक्त पंचायत में 10 महिला समूह संचालित हैं.