जमशेदपुर : गर्मी चरम पर है, लेकिन इसी बीच शहर के कई इलाके में जल संकट भी उत्पन्न हो गया है. शहर के जलापूर्ति योजनाअों की स्थिति क्या है, यह जानने का प्रयास ‘प्रभात खबर’ की अोर से की गयी. शुरुआत बिरसानगर मोहरदा जलापूर्ति योजना से हुई. पड़ताल के दौरान, जो स्थिति निकल कर सामने आयी वह चौंकाने वाली थी. मुख्यमंत्री रघुवर दास के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक बिरसानगर जलापूर्ति योजना का बुरा हाल है. इस योजना के तहत जिस प्रकार के पानी की सप्लाई हो रही है,
उससे इलाके के लोगों में खुशी कम, आक्रोश ज्यादा है. बस्ती वासियों के अनुसार मोहरदा जलापूर्ति योजना से जिस प्रकार के पानी की सप्लाई हो रही है, उसे वे पी नहीं सकते हैं. साथ ही पानी से दुर्गंध भी आती है. अक्सर नहीं लेकिन किसी-किसी दिन इस प्रकार के पानी की सप्लाइ होती है, जिससे नहाने के बाद लोगों को खुजली होने लगती है. कुछ लोग इस पानी पीने के लिए भी करते हैं उपयोग. गंदे पानी की सप्लाई के लिए लोगों से प्रति महीने 200 रुपये की वसूली हो रही है. कब आयेगा पानी,
नहीं है कोई तय टाइम टेबल. मोहरदा जलापूर्ति योजना के तहत पानी की सप्लाई कब होगी, इसके लिए कोई निश्चित टाइम टेबल नहीं है. बारीडीह बस्ती के अजय कुमार सिंह ने कहा कि कभी दिन में दो बार तो कभी एक बार, कभी-कभी तो तीन दिनों तक पानी का दर्शन नहीं. इससे लोगों में असमंजस की स्थिति बनी रहती है.
11 बस्ती के 17,000 परिवार की प्यास बुझाने वाली है योजना. मोहरदा जलापूर्ति योजना को झारखंड सरकार की पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने तैयार किया था. इसके तहत बारीडीह बस्ती, बागुननगर, बागुनहातु, बिरसानगर समेत आसपास की 11 बस्तियों के करीब 17,000 परिवार की प्यास बुझाने का लक्ष्य तय किया गया. इस योजना को चलाने के लिए पूर्व में ठेका कंपनी जेमिनी इंटरप्राइजेज के बीच समझौता किया गया था,
लेकिन पिछले साल 21 फरवरी को जुस्को के साथ विभाग ने मेमोरेंडम अॉफ अंडरस्टैंडिंग (एमअोयू) पर हस्ताक्षर किया. एक मई को इस योजना को जुस्को को हैंडअोवर कर दिया गया. 21 करोड़ 73 लाख 94 हजार की लागत से चल रहे जलापूर्ति योजना का विस्तार करने का खाका तैयार किया गया. जिसमें 60 फीसदी जुस्को की भागीदारी, जबकि 40 फीसदी भागीदारी सरकार की तय की गयी. प्रतिदिन 23 एमएलडी (मिलियन लीटर पर डे) पानी की सप्लाई करने का लक्ष्य तय किया गया है. तमाम प्रयासों के बावजूद योजना का हाल बुरा है.