सात दिनों बाद बैरंग लौटी पुलिस

58 वर्षों में भी अपनी चहारदीवारी नसीब नहीं आदित्यपुर : नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआइटी) जमशेदपुर को 58 वर्षों में भी अपनी चहारदीवारी नसीब नहीं हुई है. जिला प्रशासन के निर्देश पर निर्माण कार्य में स्थानीय लोगों की अवरोध दूर करने के लिए दंडाधिकारी के साथ महिला-पुरुष पुलिस बल मुहैया कराया गया. पुलिस सात दिनों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 14, 2018 4:05 AM

58 वर्षों में भी अपनी चहारदीवारी नसीब नहीं

आदित्यपुर : नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआइटी) जमशेदपुर को 58 वर्षों में भी अपनी चहारदीवारी नसीब नहीं हुई है. जिला प्रशासन के निर्देश पर निर्माण कार्य में स्थानीय लोगों की अवरोध दूर करने के लिए दंडाधिकारी के साथ महिला-पुरुष पुलिस बल मुहैया कराया गया. पुलिस सात दिनों तक यहां रही और अंत में बिना काम करवाये उन्हें बैरंग वापस होना पड़ा. इस दौरान उनके रहने व भोजन की व्यवस्था संस्थान में ही की गयी थी. सुरक्षा को लेकर हाइकोर्ट के आदेश पर दो साल पूर्व इसकी चहारदीवारी का काम शुरू हुआ था, जो अब तक पूरा नहीं हुआ है. संस्थान की ओर से पहले सीमांकन करवाकर करोड़ों की लागत से चहारदीवारी व इसके चारों ओर रिंग रोड, कल्वर्ट व प्रकाश की व्यवस्था के लिए काम शुरू कराया गया, लेकिन अभी तक चहारदीवारी का काम पूरा नहीं हुआ है.
बैकफुट पर चला गया प्रशासन. एनआइटी की चहारदीवारी के निर्माण में अब तक दो स्थान पर ही बाधाएं थी, एक आसंगी की ओर जहां जमीन विवाद का मामला कोर्ट में लंबित है और दूसरा ईच्छापुर की ओर एनआइटी की जमीन पर बसी बस्ती का है. अब बनतानगर व एमआइजी की ओर भी इक्के-दुक्के लोग विरोध करने लगे हैं. इस कारण जिला प्रशासन बैकफुट पर चला गया है. संस्थान के रजिस्ट्रार प्रो एमके अग्रवाल ने बताया कि एमआइजी के पास सीमांकन के लिए गाड़े गये पीलर के भीतर कुछ लोगों ने अस्थायी गैरेज बना लिया है. इन लोगों ने चहारदीवार निर्माण कार्य का विरोध कर दिया. प्रतिनियुक्त दंडाधिकारी जिला प्रशासन को सूचित कर वहां से चले गये.
दो माह की होगी गर्मी छुट्टी. एनआइटी जमशेदपुर में 25 मई से गर्मी की छुट्टी होने वाली है, जो 25 जुलाई तक चलेगी. छात्रों की कक्षाएं एक अगस्त से शुरू होगी. इस समय संस्थान में परीक्षाएं चल रही है. 24 मई तक परीक्षा परिणाम घोषित कर दिये जायेंगे.
क्षेत्र में कुछ लोगों ने गैरेज बना लिया है
एमआइजी के पास सीमांकन के लिए गाड़े गये पिलर के भीतर कुछ लोगों ने अस्थायी गैरेज बना लिया है. इनलोगों द्वारा ही चहारदीवारी का विरोध किया जा रहा है.
प्रो एमके अग्रवाल, रजिस्ट्रार एनआइटी

Next Article

Exit mobile version