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टॉप टैलेंट को कंपनी में शेयर देगी टाटा मोटर्स

जमशेदपुर/नयी दिल्ली : कंपनी के एक अधिकारी ने बताया कि स्टाॅक ऑप्शन की पात्रता घरेलू बाजार में तीन प्रमुख मापदंडों पर निर्भर करेगी- बाजार हिस्‍सेदारी, एबिट मार्जिन (ब्याज और कर के पूर्व की आय) में सुधार और राजस्‍व के प्रतिशत में मुक्‍त नकदी का प्रवाह. चयनित कर्मचारियों को चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही से […]

जमशेदपुर/नयी दिल्ली : कंपनी के एक अधिकारी ने बताया कि स्टाॅक ऑप्शन की पात्रता घरेलू बाजार में तीन प्रमुख मापदंडों पर निर्भर करेगी- बाजार हिस्‍सेदारी, एबिट मार्जिन (ब्याज और कर के पूर्व की आय) में सुधार और राजस्‍व के प्रतिशत में मुक्‍त नकदी का प्रवाह. चयनित कर्मचारियों को चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही से स्टॉक ऑप्शन देना शुरू किया जायेगा.
यह ऑप्शन कर्मचारियों को वित्तीय वर्ष 2021 से वित्तीय वर्ष 2023 के बीच तीन किस्तों में दिया जाएगा. यह बात ग्रुप सीएफओ पीबी बालाजी ने चौथी तिमाही के नतीजों के लिए बुलाई गई बैठक में विश्लेषकों से कही. स्टाॅक ऑप्शन प्‍लान को शेयरधारकों की मंजूरी लेने के लिए आगामी वार्षिक आम सभा में पेश किया जाएगा.कंसल्टेंसी फर्म अवेंटम एडवाइजर्स के एमडी वीजी रामाकृष्णन ने कहा कि कंपनी द्वारा यह बहुत अच्‍छा कदम है और यह इस बात को
रेखांकित करता है कि टॉप मैनेजमेंट कंपनी के प्रदर्शन के लिए जिम्मेदारी लेने का इच्छुक है.टाटा मोटर्स ने कहा है कि वह भविष्य में कंपनी के टॉप टैलेंट में बहुत अधिक निवेश करेगा. इसके जरिये कंपनी नेतृत्व विकास, प्रगति और पदोन्नति के अवसर उपलब्ध करायेगी ताकि सभी के लिए संतुष्टीदायक करियर सुनिश्चित हो सके. टाटा मोटर्स के बोर्ड ने इंक्रीमेंट्स और बोनस को अपनी मंजूरी दे दी है, जो मजबूत प्रदर्शन को प्रदर्शित करेगा.कंपनी की योजना के अगले चरण में वाणिज्यिक वाहनों की श्रेणी में टाटा
क्या है एम्प्लॉई स्टॉक ऑप्शन प्लान (ईएसओपी)
ईएसओपी कर्मचारियों के हित में बनायी गयी एक लाभकारी योजना है. इस प्लान के तहत कर्मचारी कंपनी के शेयरों का हकदार बन सकता है. भारत में, कंपनी की लागत को बढ़ाए बिना कर्मचारियों को बेहरत प्रदर्शन के लिए प्रेरित करने तथा उन्हें कंपनी के साथ जोड़े रखने के लिए ईएसओपी योजना का इस्तेमाल किया जाता है.
ज्यादातर आईटी कंपनियां यह सुविधा दे रही है. जानने वाली बात ये है कि इसमें जब तक कंपनी अपने कर्मचारियों को शेयर ऑफर नहीं करती है तब तक वो किसी तरह का शेयर नहीं ले सकते हैं. तमाम कंपनियां जो शेयर ऑफर करती हैं उनके शेयर्स में कम से कम तीन साल का लॉक इन पीरियड होता है, यानि इस दौरान कर्मचारी इन शेयर्स को बेच नहीं सकता है और ना ही कंपनी छोड़ कर जा सकता है.
भविष्य में बौद्धिक पूंजी वाली कंपनियों का राज होगा तब ज्यादातर कंपनियां अपने बेहतरीन कर्मचारियों को कंपनी के साथ बनाए रहने की कोशिश करेगी. भारत के भविष्य के लिए यह प्रबंधन तकनीक नयी सदी के हिसाब से अद्भुत योजना है.

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