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गायब हो गये बागान बन गये मकान
जमशेदपुर : शहर अौर शहर के आसपास कई ऐसे स्थान हैं जो बागान के नाम से चर्चित हैं, लेकिन जिस नाम से वह प्रसिद्ध हैं वहां वैसा अब कोई भी पेड़ नहीं है. साकची का आम बागान मैदान पूरे शहर में प्रसिद्ध है, लेकिन वहां आम के एक भी पेड़ नहीं है. इसी तरह मानगो […]
जमशेदपुर : शहर अौर शहर के आसपास कई ऐसे स्थान हैं जो बागान के नाम से चर्चित हैं, लेकिन जिस नाम से वह प्रसिद्ध हैं वहां वैसा अब कोई भी पेड़ नहीं है. साकची का आम बागान मैदान पूरे शहर में प्रसिद्ध है, लेकिन वहां आम के एक भी पेड़ नहीं है. इसी तरह मानगो के जाकिरनगर साल बागान, दाईगुट्टू में साल बागान, गदरा में अर्जुन बागान, बागबेड़ा बड़ौदा घाट के नजदीक वृद्धा बागान के नाम से चर्चित हैं, लेकिन वहां इन पेड़ों का नामों निशान मिट चुका है अौर इमारतें बन चुकी हैं.
जाकिर नगर साल बागान में एक समय दो दर्जन से ज्यादा साल के पेड़ थे, वर्तमान में वहां सिर्फ सूखे हुए पेड़ के निशान रह गये हैं. जिस स्थान पर साल बागान था वह स्थान तो खाली है, लेकिन आसपास मकानें बन चुकी है. साल के पेड़ों के संरक्षण की कोई व्यवस्था नहीं रहने के कारण यह साल बागान गायब हो चुका है. दाईगुट्टू टीअोपी (पुराना स्कूल) जिस स्थान पर है वहां एक समय दो दर्जन से ज्यादा साल के पेड़ हुआ करते थे अौर वह जगह साल गाछ के नाम से चर्चित था, लेकिन पिछले पंद्रह से बीस सालों में सभी पेड़ या तो सूख गये या काट कर हटा दिये गये.
वर्तमान में सिर्फ एक-दो पेड़ संथाल जाहेरथान के आसपास बचे हैं. बागबेड़ा के बड़ौदा घाट के समीप एक समय वृद्धा बागान पूरे क्षेत्र में चर्चित था. बागान में साल, जंगल जलेबी के कई पेड़ समेत घने जंगल थे. हाल के कुछ वर्षों में पेड़ कट गये अौर कॉलोनी बस गयी है. इसी तरह गदरा में अर्जुन बागान चर्चित था, जहां सैकड़ों की संख्या में अर्जुन के पेड़ लगे हुए थे. पुराना सामुदायिक भवन के पास से पिछले तीन से चार साल के अंदर सभी अर्जुन पेड़ कट गये अौर बागान गायब हो कर वहां घर बनने लगे हैं, हालांकि दो स्थानों पर अभी भी अर्जुन के कई पेड़ हैं.
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