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कर्मियों के डीए पर संकट बोनस दिलाना भी चुनौती

एक जनवरी 2018 से लंबित है वेज रिवीजन समझौता जमशेदपुर : टाटा स्टील में एक जनवरी 2018 से वेज रिवीजन समझौता लंबित है. टाटा वर्कर्स यूनियन ने प्रबंधन को चार्टर्ड ऑफ डिमांड सौंप दिया है, लेकिन इस बार कर्मचारियों के डीए को लेकर संकट है. डीए का स्तर कंपनी बदलना चाहती है. कोल वेज को […]

एक जनवरी 2018 से लंबित है वेज रिवीजन समझौता

जमशेदपुर : टाटा स्टील में एक जनवरी 2018 से वेज रिवीजन समझौता लंबित है. टाटा वर्कर्स यूनियन ने प्रबंधन को चार्टर्ड ऑफ डिमांड सौंप दिया है, लेकिन इस बार कर्मचारियों के डीए को लेकर संकट है. डीए का स्तर कंपनी बदलना चाहती है. कोल वेज को लेकर यूनियन व मैनेजमेंट के बीच हुए समझौता में डीए में बदलाव किया गया है. स्टील कंपनी में भी यह बदलाव प्रबंधन चाहता है. स्टील वेज से लेकर एनएस ग्रेड समेत अन्य कर्मचारियों के डीए (महंगाई भत्ता) को कंट्रोल करने को कहा गया है.
पुराने कर्मचारियों के डीए निर्धारण के लिए पहले से लागू फाॅर्मूले में बदलाव के संकेत दिये जा चुके हैं. कंपनी में स्टील ग्रेड के अंतर्गत कार्यरत करीब 17 हजार कर्मचारियों के डीए का निर्धारण अब तक प्रतिशत के आधार पर होता रहा है. अब इसे एनएस ग्रेड की तरह इसमें प्वाइंट वैल्यू सिस्टम लागू करने की बात कही जा रही है. समझौते की अवधि सात साल करने की तैयारी है. दूसरी ओर, इस साल बोनस को लेकर भी नया फाॅर्मूला को तैयार करना है. इसे लेकर यूनियन के समक्ष कठिन चुनौती है. सभी की निगाहें अध्यक्ष, महामंत्री और डिप्टी प्रेसिडेंट पर लगी हुई हैं.
ऐसे तय होता है कर्मियों का वेतन
केंद्र सरकार के फाॅर्मूले के अनुसार विभिन्न वस्तुओं की महंगाई के आधार पर वेज का निर्धारण किया जाता है. अगर टाटा स्टील में ग्रेड रिवीजन समझौता होता है, तो वर्ष 2012 से 2017 के समझौते के समय अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आंकड़े को वर्ष 2017 के आंकड़े से घटाया जायेगा. आंकड़े में अंतर के आधार पर प्रतिशत तय कर डीए निर्धारित किया जायेगा. डीए को समझौते की स्थिति में बेसिक के साथ जोड़कर एमजीबी निकाला जायेगा. एमजीबी को बेसिक व डीए से जोड़कर 2017 में कर्मचारियों का नया वेतन तय होगा. फिर समझौता लागू होने से अब तक की स्थिति के बीच का डीए निकालकर जोड़ा जायेगा. इस आधार पर समझौते की तिथि में कर्मचारियों का वेतन तय होगा.
ऐसे होता है एनएस कर्मचारियों का डीए का निर्धारण : एनएस ग्रेड के कर्मचारियों का ग्रेड निर्धारण प्वाइंट के आधार पर होता है. न्यू ग्रेड में कर्मचारियों के लिए अंतर को प्वाइंट मानकर तीन से गुना कर डीए की राशि फिक्स कर दी जाती है. कंपनी के 3500 एनएस ग्रेड कर्मचारी डीए में विषमता के कारण नुकसान उठा रहे हैं.
एनएस ग्रेड फॉर्मूला से न्यूनतम एक हजार तक का नुकसान : एनएस ग्रेड के फाॅर्मूला से न्यूनतम 10 हजार बेसिक पाने वाले कर्मचारियों को मासिक 1000 रुपये का नुकसान होने का अनुमान है.
बोनस को लेकर तय होना है फाॅर्मूला. टाटा स्टील में बोनस को लेकर भी नये सिरे से फाॅर्मूला तय होना है. मैनेजमेंट की ओर से पहले से ही कहा जाता रहा है कि कानूनी तौर पर बोनस लेने के लिए वे लोग हकदार नहीं है. ऐसे में बोनस को लेकर भी मैनेजमेंट कॉस्ट का कटिंग करने को तैयार है.

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