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बर्मामाइंस गुरुद्वारा हुआ एसी, पानीपत की बिछी मैट

निर्माण कार्य में 50 लाख से अधिक खर्च हुए जमशेदपुर : संगत के सहयाेग से बर्मामाइंस गुरुद्वारा काे नया लुक प्रदान किया गया है. इंटीरियर लुक के साथ-साथ मुख्य द्वार (ड्याेढी साहिब) काे भी नया स्वरूप प्रदान किया गया है. 75 साल बाद बर्मामाइंस गुरुद्वारा का स्वरूप पूरी तरह बदल गया है. पूर्वी विधान सभा […]

निर्माण कार्य में 50 लाख से अधिक खर्च हुए

जमशेदपुर : संगत के सहयाेग से बर्मामाइंस गुरुद्वारा काे नया लुक प्रदान किया गया है. इंटीरियर लुक के साथ-साथ मुख्य द्वार (ड्याेढी साहिब) काे भी नया स्वरूप प्रदान किया गया है. 75 साल बाद बर्मामाइंस गुरुद्वारा का स्वरूप पूरी तरह बदल गया है. पूर्वी विधान सभा का बर्मामाइंस पहला गुुरद्वारा है, जिसे पूरी तरह से वातानुकूलित कर दिया गया है. छह माह से अधिक समय से रिनाेवेशन का काम चल रहा था, जिसके कारण तय स्थान पर श्रीगुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश नहीं कर ऊपर हॉल में अस्थायी व्यवस्था की गयी थी. छह अगस्त से श्री गुरुग्रंथ साहिब के अखंड पाठ की लड़ी शुरू की गयी.
पाठ की समाप्ति के बाद अब सामूहिक शुकराना श्री अखंड पाठ की शुरूआत की गयी है. जिसका समापन रविवार काे भव्य समाराेह के साथ हाेगा. इस दाैरान समाज के प्रमुख पतवंताें के साथ उन प्रमुखाें काे भी सम्मानित किया जायेगा, जिन्हाेंने गुरु घर के निर्माण में बढ़-चढ़कर आर्थिक-शारीरिक सहयाेग प्रदान किया. इसके साथ ही गुरु का लंगर सभी ग्रहण करेंगे. रविवार काे मुख्यमंत्री काे भी समाराेह में आमंत्रित किया गया है.
बर्मामाइंस गुरुद्वारा कमेटी के चेयरमैन सरदार जाेगा सिंह ने बताया कि गुरुद्वारा भवन की छत खराब हाे गयी थी, जिसकी मरम्मत के लिए आपस में सदस्याें ने चर्चा की. इसके बाद उसका काम शुरू हुआ, ताे फिर बदलाव की बयार दिखने लगी. गुरुद्वारा हॉल में सीलिंग लगायी गयी. इसके अलावा पानीपत से विशेष मैट मंगवाया गया. उसे लगाने के लिए पानीपत से कारीगर आये थे. इस पर करीब तीन लाख से अधिक का खर्च आया. हॉल में संगत काे गर्मी का एहसास नहीं हाे, इसलिए नाै स्प्लिट एसी लगाये गये हैं, जिसे दान स्वरूप हासिल किया गया है. इसके अलावा गुरुद्वारा कार्यालय आैर स्कूल कार्यालय में भी एसी लगाया गया है. गुरुद्वारा भवन आैर स्कूल परिसर काे सीसीटीवी की जद में रखा गया है. हर समय आस-पास के एरिया की रिकार्डिंग कैमराें के माध्यम से हाेती है, जिसकी समय-समय पर मॉनिटेरिंग भी की जाती है. बर्मामाइंस गुरुद्वारा के मुख्य प्रवेश द्वार काे भी नया लुक प्रदान किया गया है. इसके निर्माण के लिए पटना से विशेष रूप से कारीगर मंगवाये गये थे, जिन्हाेंने दाे माह के अंदर निर्माण पूरा किया. बर्मामाइंस गुरुद्वारा के लिए 1937 में टिस्काे से जमीन मिली थी. इसके बाद 1940 में गुरुद्वारा का निर्माण किया गया. उस वक्त ट्रस्टी के रूप में सरदार रविंदर सिंह, गंडा सिंह, खड़ग सिंह ने अपनी सेवा दी. माैजूदा कमेटी में चेयरमैन जाेगा सिंह, प्रधान गुरुदयाल सिंह, सीनियर मीत प्रधान रविंदर सिंह, सचिव हरभजन सिंह, काेषाध्यक्ष सुखदेव सिंह, सर्वजीत सिंह राणा, गुरमीत सिंह बंटी, बीरेंद्र सिंह, सतबीर सिंह साेमू समेत अन्य कमेटी के सदस्य अपनी सेवा प्रदान कर रहे हैं. निर्माण कार्य में 50 लाख रुपये से अधिक का खर्च आया है. कमेटी ने कहीं भी घूम कर धन संग्रह नहीं किया. जिन्हें मालूम चला उन्होंने अपनी ओर से सहयाेग प्रदान किया.

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