छह माह 20 दिन जेल में रहे थे अखौरी बालेश्वर
जमशेदपुर : जिले के वयोवृद्ध स्वतंत्रता सेनानी अखौरी बालेश्वर सिन्हा कहते हैं : आजाद देश में छोटे-छोटे कामों के लिए सरकारी पदाधिकारी व कर्मी घूस ले रहे हैं. सरकारी दफ्तरों में खुलेआम घूस व भ्रष्टाचार का बाजार लगा हुआ है. स्थिति बदतर होती जा रही है. बिना पैसे का कोई काम नहीं होने की स्थिति […]
जमशेदपुर : जिले के वयोवृद्ध स्वतंत्रता सेनानी अखौरी बालेश्वर सिन्हा कहते हैं : आजाद देश में छोटे-छोटे कामों के लिए सरकारी पदाधिकारी व कर्मी घूस ले रहे हैं. सरकारी दफ्तरों में खुलेआम घूस व भ्रष्टाचार का बाजार लगा हुआ है. स्थिति बदतर होती जा रही है. बिना पैसे का कोई काम नहीं होने की स्थिति आ गयी है. आम जनता की चिंता किसी को नहीं है.
अखौरी बालेश्वर सिन्हा को नौ अगस्त को दिल्ली जाना था. वहां राष्ट्रपति एट होम कार्यक्रम में उन्हें सम्मानित किया जाना था. पर 15 जुलाई को आदित्यपुर में हुए सड़क हादसे में वह घायल हो गये. 12 दिनों तक टाटा मुख्य अस्पताल में भर्ती थे. पैर में चोट लगी थी. दुर्घटना के कारण वह दिल्ली नहीं जा पाये. बिष्टुपुर गोपाल मैदान में बुधवार को हो रहे स्वतंत्रता दिवस के मुख्य समारोह में भी शामिल नहीं हो पायेंगे. अखौरी बालेश्वर सिन्हा बताते हैं :
कक्षा नौ में ही थे, तो स्वतंत्रता आंदोलन के महानायक महात्मा गांधी से प्रेरित हो गये थे. टोली में घूमकर देशप्रेम का संदेश अपने लोगों तक पहुंचाने का काम करते थे. स्वदेश का जनजागरण अभियान फैलाने के दौरान 1945 में बक्सर बाजार में अंग्रेजी पुलिस ने घेराबंदी कर पकड़ा था. छह माह 20 दिन जेल में रहे थे
देशप्रेम इस कदर हावी था कि जेल से छूटने के बाद फिर अपनी टोली तैयार की अौर आंदोलन में जुड़ गये. फिर कभी अंग्रेज पुलिस उन्हें पकड़ नहीं पायी.
मूल रूप से बिहार के बक्सर स्थित चुरामनपुर गांव निवासी श्री सिन्हा बताते हैं : कुछ मंत्री-अधिकारी ठीक हैं. लेकिन सरकार में मंत्री से लेकर जिम्मेवार अधिकारी नाक के नीचे गड़बड़ कर रहे हैं. ऐसे दिन की आजादी हमें नहीं चाहिए, शर्म आती है. प्रभात खबर से बातचीत में 91 वर्षीय श्री सिन्हा ने कहा : मंत्री व अधिकारी के बच्चे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ रहे हैं.
प्राइवेट स्कूलों में खुलेआम पैरवी अौर घूस चल रही है. सरकारी स्कूल में कोई जाना नहीं चाहता. आखिर आम लोगों कहां जाये, आजाद देश में मौलिक शिक्षा पाने के लिए आम लोग घूस देकर अंग्रेजी स्कूलों में बच्चों के दाखिले के लिए दौड़ लगा रहे हैं, ये कैसी आजादी है. आज राज्य अौर राष्ट्र के सभी लोगों को इस पर मंथन करना पड़ेगा.