Loading election data...

पढ़ें शिक्षक की जुबानी: रघुवर दास बचपन से ही डिक्टेटर टाइप रहा, अर्जुन मुंडा की मैंने की थी खूब पिटाई

राज्य के वर्तमान व पूर्व सीएम को पढ़ानेवाले शिक्षक की जुबानीसंदीप सावर्णजमशेदपुर : उम्र 80 साल. चेहरे पर झुर्रियां, लेकिन आंखों की तेज जस की तस. याददाश्त ऐसी मानो अभी कल की ही बात पूछी जा रही हो. हम बात कर रहे हैं उस शिक्षक की, जिन्होंने राज्य के दो-दो मुख्यमंत्री की क्लास ली है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 5, 2018 8:51 AM

राज्य के वर्तमान व पूर्व सीएम को पढ़ानेवाले शिक्षक की जुबानी
संदीप सावर्ण
जमशेदपुर : उम्र 80 साल. चेहरे पर झुर्रियां, लेकिन आंखों की तेज जस की तस. याददाश्त ऐसी मानो अभी कल की ही बात पूछी जा रही हो. हम बात कर रहे हैं उस शिक्षक की, जिन्होंने राज्य के दो-दो मुख्यमंत्री की क्लास ली है. नाम है केदार मिश्र कमल. जमशेदपुर के सीतारामडेरा के रहने वाले केदार मिश्र सेवानिवृत्त शिक्षक हैं.

उन्होंने भालुबासा हरिजन हाइ स्कूल में वर्ष 1961 से लेकर 1995 अध्यापन कार्य किया. इस बीच राज्य के वर्तमान मुख्यमंत्री रघुवर दास व पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने भी इनके स्कूल में पढ़ाई की. श्री मिश्र कहते हैं दोनों (रघुवर दास व अर्जुन मुंडा) में अलग-अलग खूबियां व खामियां हैं. हालांकि दोनों छात्र में कौन बेहतर तरीके से राज्य चला रहा है, इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि एक शिक्षक के तौर पर यही जानता हूं कि दोनों का व्यवहार अच्छा था. जहां तक राज्य चलाने की बात है, तो दोनों का अपना-अपना स्टाइल है.

हमें सुकून है कि दोनों अच्छे तरीके से राज्य चला रहे हैं. रघुवर बचपन से ही डिक्टेटर टाइप रहा है. एक बार अर्जुन मुंडा की मैंने खूब पिटाई की थी.

हमेशा होमवर्क बना कर लाता था रघुवर
केदार मिश्र कहते हैं कि रघुवर दास का घर स्कूल के ठीक पीछे था. रघुवर के पिता टाटा स्टील में मजदूरी करते थे. वे चाहते थे कि बेटा घर के कामों में भी हाथ बंटाये, लेकिन वे इन सबसे दूर रहते थे. पिता कभी-कभी शिकायत करने आते थे कि बेटा अक्सर बाहर रहता है. इस वजह से कभी-कभी उन्हें डांट भी लगाया करता था. श्री मिश्र ने बताया कि वे साइंस पढ़ाते थे. उन दिनों स्कूल में अनुशासन बहुत कड़ा था. किसी भी बच्चे की यह हिम्मत नहीं थी कि कोई बगैर होमवर्क किये क्लास में रहे. रघुवर पढ़ाई में औसत थे, लेकिन हर हाल में होमवर्क जरूर बना कर आते थे. आम विद्यार्थियों की तरह वह भी डांट खाता था, लेकिन एक बात उसमें शुरू से ही थी कि वह बचपन से ही डिक्टेटर टाइप रहा है. क्लास में कई मुद्दे पर अगर कुछ कह दिया, तो फिर चाहता कि उसे ही अमल किया जाये.

मुंडा को एनसीसी में लगायी थी छह छड़ी
मुझे आज भी याद है. अर्जुन मुंडा को मेरे पास उसके मामा लेकर आये थे. उन्होंने कहा था कि इससे माता-पिता का देहांत हो चुका है. यह खरसावां में रहता है, लेकिन इसे अब अपने पास यानी जमशेदपुर में रखना है. किसी भी तरह से पढ़ा दीजिए. अर्जुन के मामा को मैंने कहा था कि इसका एडमिशन तो करवा दूंगा, लेकिन यह पढ़े तब ना. उन्होंने कहा कि यह पढ़ेगा. इसके बाद आठवीं क्लास में अर्जुन मुंडा का एडमिशन लिया. वह भी पढ़ाई में अौसत ही था. मैं एनसीसी अॉफिसर भी था. मुंडा भी एनसीसी में था. एक बार एनसीसी के दौरान मैं उसे कुछ करने को कह रहा था, जिसे वह समझ ही नहीं रहा था. बार-बार कहने के बाद भी जब वह उसे नहीं कर पा रहा था, तो मैंने उसे लगातार छह छड़ी मारी थी. बाद में अफसोस भी हुआ, लेकिन क्या करता.

Next Article

Exit mobile version