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शहर की जनता दो पाटों में पिस रही है

जमशेदपुर : मंत्री सह जमशेदपुर पश्चिम के विधायक सरयू राय ने नगर विकास मंत्री सीपी सिंह को पत्र लिखा है. कहा है कि जमशेदपुर की जनता दो पाटों के बीच में पिस रही है. नगर निगम या इंडस्ट्रियल टाउन को लेकर ऊहापोह की स्थिति है. एक साल से प्रयासरत हूं कि इस मुद्दे पर सीपी […]

जमशेदपुर : मंत्री सह जमशेदपुर पश्चिम के विधायक सरयू राय ने नगर विकास मंत्री सीपी सिंह को पत्र लिखा है. कहा है कि जमशेदपुर की जनता दो पाटों के बीच में पिस रही है. नगर निगम या इंडस्ट्रियल टाउन को लेकर ऊहापोह की स्थिति है. एक साल से प्रयासरत हूं कि इस मुद्दे पर सीपी सिंह और मुख्यमंत्री के साथ बैठक हो जाये, पर अब तक ऐसा हो नहीं सका है.
इसका समाधान तत्काल निकलना चाहिए. उन्होंने पत्र में लिखा है कि जवाहर लाल शर्मा की याचिका को लेकर नगर विकास विभाग ने सात सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में प्रति शपथ पत्र दायर किया है. कहा है कि इस मामले को लेकर कुछ दिन पूर्व उनकी नगर विकास मंत्री से बात भी हुई थी. पर उन्होंने इसे लेकर अनभिज्ञता जतायी.
उम्मीद थी कि जमशेदपुर पश्चिमी विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधि होने के कारण नगर विकास विभाग मुझसे परामर्श लेगा या प्रति शपथ पत्र की जानकारी देगा. उन्होंने आगे लिखा है कि संविधान के अनुच्छेद 243 क्यू के अनुसार किसी नगरीय क्षेत्र विशेष को नगर निगम या औद्योगिक क्षेत्र घोषित करना नीतिगत विषय है. इस बारे में नगर विकास विभाग की ओर से दायर किये गये हलफनामे पर विभागीय मंत्री की स्वीकृति आवश्यक है. यदि विभागीय अधिकारियों ने ऐसा नहीं किया है, तो मेरी समझ से इसे विधिसम्मत नहीं कहा जा सकता.
अपने पत्र में सरयू राय ने लिखा है कि उन्होंने हलफनामे के प्रारूप को प्रयत्न पूर्वक देखा है. यह घोर असंतोषजनक और विरोधाभासी भी है.
विभाग एक ओर इस हलफनामे के साथ तत्कालीन प्रधान सचिव, नगर विकास विभाग की ओर से टाटा स्टील के एमडी को लिखे पत्र (संख्या 767/प्रसको, दिनांक 19 दिसंबर 2017) को संलग्न किया है, जिसमें 31 दिसंबर 2017 तक टाटा स्टील की ओर से अपने निदेशक मंडल की स्वीकृति की सूचना नहीं देने पर जमशेदपुर को नगर निगम बनाने के लिए बाध्य होने की बात कही गयी है. दूसरी ओर यह भी अनुरोध किया गया है कि जवाहर लाल शर्मा के आवेदन में कुछ भी नया नहीं है, इसलिए इसे खारिज कर दिया जाये.
सरयू राय ने लिखा है कि सरकार भी जमशेदपुर को नगर निगम बनाने की बाध्यता की मंशा करीब साढ़े नौ माह पहले व्यक्त कर चुकी है. यही प्रार्थना जवाहर लाल शर्मा ने भी अपनी याचिका में की है. तब विभाग की ओर से सुप्रीम कोर्ट से उनकी याचिका खारिज करने का अनुरोध करना कितना तर्कसंगत है.
सर्वोच्च न्यायालय इस हलफनामे को कितनी गंभीरता से लेता है, यह तो समय बतायेगा, पर प्रथम दृष्ट्या लगता है कि इसे तैयार करने वाले अधिकारियों ने गंभीर विषय पर बहुत ही सतही व हल्का रवैया अपनाया है. उन्होंने इस बारे मे विभागीय मंत्री को भी विश्वास में लेने व अवगत कराने के सामान्य प्रशासनिक व वैधानिक शिष्टाचार और दायित्व का पालन नहीं किया है.
सरयू राय ने लिखा है कि 2005 में नवीकृत लीज समझौते के अनुसार टाटा स्टील को अपने खर्चा पर पानी, बिजली, सफाई सहित अन्य सभी नागरिक सुविधाएं जमशेदपुर की जनता को देनी है. उतना ही शुल्क वसूलना है, जितना सरकार ने अपनी नगरपालिकाओं के लिए निर्धारित किया है. पर ऐसा नहीं हो रहा. पेयजल सुविधा सभी नागरिकों तक पहुंचाना राज्य सरकार का दायित्व है.
इस पर जमशेदपुर नगर निगम बनेगा कि औद्योगिक शहर बनेगा, इसका प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए. उन्होंने मंत्री सीपी सिंह से इस मामले में सार्थक हस्तक्षेप करने की कृपा करने का अनुरोध किया है.

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