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59 मिनट में एक करोड़ का लोन देना है, बैंक व अधिकारी सरकार की नीतियों को धरातल पर उतारें : सीपी सिंह
जमशेदपुर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी योजना के तहत एमएसएमइ सेक्टर के उद्योगों को 59 मिनट में एक करोड़ रुपये तक का लोन दिया जाना है. इस तरह की कई योजनाएं सरकार नीतिगत तौर पर बना रही है, लेकिन बैंक व प्रशासनिक अधिकारी सरकार की नीतियों को सही तरीके से धरातल पर उतार नहीं […]
जमशेदपुर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी योजना के तहत एमएसएमइ सेक्टर के उद्योगों को 59 मिनट में एक करोड़ रुपये तक का लोन दिया जाना है. इस तरह की कई योजनाएं सरकार नीतिगत तौर पर बना रही है, लेकिन बैंक व प्रशासनिक अधिकारी सरकार की नीतियों को सही तरीके से धरातल पर उतार नहीं पा रहे है.
उनको और गति और ईमानदारी के साथ काम करने की जरूरत है. यह बातें राज्य के नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने कहीं. श्री सिंह शुक्रवार को बिष्टुपुर स्थित गोपाल मैदान में एमएसएमइ सेक्टर को आसान लोन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन और 59 मिनट में लोन देने की प्रक्रिया को लेकर हुई शुरुआत के मौके पर बतौर मुख्य अतिथि लोगों को संबोधित कर रहे थे.
इस अवसर पर सांसद विद्युत वरण महतो, जिला परिषद अध्यक्ष बुलुरानी सिंह, जिला उपाध्यक्ष राजकुमार सिंह, केंद्रीय उर्वरक संयुक्त सचिव अलका तिवारी, उपायुक्त अमित कुमार, उद्योग निदेशक के रवि कुमार, जीएसटी कमिश्नर अजय पांडेय, डीडीसी बी महेश्वरी, रंजना मिश्रा, सीआइआइ अध्यक्ष किलोल कमानी, बैंक ऑफ इंडिया के क्षेत्रीय प्रबंधक आरएस चौहान आदि मौजूद थे. कार्यक्रम में कई लोगों को लोन भी दिया गया. इस दौरान लोगों ने प्रधानमंत्री द्वारा प्रस्तुत भावी योजना की सराहना की.
बैंक ग्राहकों को भगवान समझे, दौड़ाने की नीयत नहीं रखें : नगर विकास मंत्री ने कहा कि बैंकों को ग्राहकों को भगवान समझना चाहिए. दौड़ाने की नीयत नहीं रहना चाहिए. बैंकों के अधिकारियों को आड़े हाथों लेते हुए सीपी सिंह ने कहा कि एमएसएमइ के विकास के साथ ही देश का भी कायाकल्प हो सकता है. इस कारण यह लोन की प्रक्रिया शुरू की गयी है.
बैंकों के लिए 59 मिनट का समय दिया गया है, तो वे लोग 50 मिनट में कर के दिखायें. उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि राष्ट्रीयकृत बैंकों द्वारा निजी बैंकों के खुलने के बाद थोड़ा हालात सुधरे हैं, नहीं तो एकाउंट खोलने के लिए लोगों को चक्कर काटना पड़ता था. लोन के लिए अगर टाटा जैसी कंपनी आ जाये, तो हाथ जोड़ कर खड़े रहते है, लेकिन छोटे उद्यमी या व्यवसायी पहुंच जाये तो कानून बताते हैं. यह नहीं चलेगा. उद्यमियों को भी अपनी क्वालिटी को सुधारने की जरूरत है.
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