जमशेदपुर MGM अस्पताल में शिशुओं की मौत पर JHRC ने लोकायुक्त को रिपोर्ट सौंपी
रांची: जमशेदपुर स्थित महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में 24 घंटे के अंदर 62 फीसदी बच्चों की मौत से संबंधित जांच रिपोर्ट मानवाधिकार आयोग की टीम ने लोकायुक्त को सौंप दी है. रिपोर्ट में अस्पताल की व्यवस्था में कई खामियां गिनायी गयीं हैं. झारखंड ह्यूमन राइट्स कॉन्फ्रेंस (जेएचआरसी) की रिपोर्ट में कहा गया […]
रांची: जमशेदपुर स्थित महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में 24 घंटे के अंदर 62 फीसदी बच्चों की मौत से संबंधित जांच रिपोर्ट मानवाधिकार आयोग की टीम ने लोकायुक्त को सौंप दी है. रिपोर्ट में अस्पताल की व्यवस्था में कई खामियां गिनायी गयीं हैं.
झारखंड ह्यूमन राइट्स कॉन्फ्रेंस (जेएचआरसी) की रिपोर्ट में कहा गया है कि डिपार्टमेंट में मैन पावर का घोर अभाव है. NICU में 12 स्टाफ नर्स की आवश्यकता है, जबकि यहां सिर्फ दो नर्स उपलब्ध हैं. छह बेड पर दो से ढाई दर्जन शिशु मरीज भर्ती हैं. इससे संक्रमण फैलने का भी संभावना रहती है. रिपोर्ट में कहा गया है कि छह बेड पर छह मरीज ही भर्ती होना चाहिए. NICU में पेयजल की भी व्यवस्था नहीं है.
रिपोर्ट में कहा गया है NICU तक जाने के लिए बहुत संकरा रास्ता है. इस रास्ते में गंदगी का अंबार है. इतना ही नहीं, दूसरे अस्पतालों से बहुत बुरी हालत में शिशु यहां रेफर किये जाते हैं, जिसकी वजह से शिशु मृत्यु दर बढ़ रही है. राहत की बात यह है कि चिकित्सा संस्थान में दवा, ऑक्सीजन की आपूर्ति ठीक है. जांच दल ने कहा है कि NICU को किसी बड़ी जगह पर ले जाने की जरूरत है.
एक समाचार पत्र में चार महीने में 164 बच्चों की मौत की रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद JHRC ने इस मामले की लोकायुक्त से शिकायत करते हुए इसकी जांच की मांग की थी. लोकायुक्त ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दिये थे. इसके बाद राज्य सरकार ने तीन सदस्यीय टीम गठित की थी. इसमें स्वास्थ्य सेवाएं के निदेशक प्रमुख डॉ राजेंद्र पासवान, चिकित्सा शिक्षा निदेशक डॉ लक्ष्मण लाल व कोल्हान के क्षेत्रीय उप निदेशक डॉ सुरेश कुमार शामिल थे.
सरकार द्वार बनायी गयी कमेटी ने जो रिपोर्ट दी, उसमें कहा गया है कि 164 बच्चों की मौत कई कारणों से हुई. 24 घंटे के अंदर 62 फीसदी बच्चों की मौत हो जाती है. जन्म के 12 दिन के अंदर 22 फीसदी बच्चे प्राण त्याग देते हैं. नौ फीसदी बच्चे तीन साल के थे, जिनकी मृत्यु हो गयी. वहीं पांच साल तक की उम्र के चार फीसदी बच्चों की मृत्यु हो जाती है. शिशुओं की मौत कम वजन, संक्रमण, समय से पूर्व जन्म वसांसलेने में कठिनाई की वजह से हो जाती है.
जननी सुरक्षा योजना के तहत नहीं मिलता फंड
रिपोर्ट में कहा गया है कि एमजीएम अस्पताल में जननी सुरक्षा योजना के तहत फंड नहीं मिलता. रिपोर्ट में बताया गया है कि फंड नहीं मिलने के कारण जच्चा-बच्चा को बेहतर सुविधाएं देने में दिक्कत होती है. एमजीएम में हर माह 600 महिलाओं का प्रसव होता है, लेकिन प्रोत्साहन राशि किसी को नहीं मिलती. योजना के तहत संस्थागत प्रसव कराने वाली शहरी महिलाओं को 1,000 व ग्रामीण महिलाओं को 1,400 रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाती है.
महिलाओं को पौष्टिक आहार नहीं
सरकार की कमेटी ने कहा है कि कम वजन के बच्चों की मां भी शारीरिक रूप से काफी कमजोर हैं. वहीं, गर्भावस्था के दौरान उनमें पोषण की कमी रही. साथ ही प्रसव पूर्व जांच की कमी है.