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जमशेदपुर : एमजीएम में परीक्षा का हवाला दे तड़प रहे मरीज का नहीं किया प्लास्टर, सदर में बंध्याकरण के लिए पहुंचीं महिलाओं को फर्श पर बैठाया

जमशेदपुर : झारखंड सरकार के प्रधान सचिव स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण डॉ नितिन मदन कुलकर्णी गुरुवार को जमशेदपुर दौरे पर विभागीय व्यवस्था की जमीनी हकीकत की पड़ताल की. डॉ कुलकर्णी बिना पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के दोपहर करीब 2.45 बजे सदर अस्पताल पहुंचे. पता चला कि सदर अस्पताल में बंध्याकरण कैंप लगाया गया है. […]

जमशेदपुर : झारखंड सरकार के प्रधान सचिव स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण डॉ नितिन मदन कुलकर्णी गुरुवार को जमशेदपुर दौरे पर विभागीय व्यवस्था की जमीनी हकीकत की पड़ताल की. डॉ कुलकर्णी बिना पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के दोपहर करीब 2.45 बजे सदर अस्पताल पहुंचे.

पता चला कि सदर अस्पताल में बंध्याकरण कैंप लगाया गया है. इसमें हिस्सा लेने के लिए सभी ब्लॉक से महिलाओं अस्पताल आयी हुईं थीं. ठंड के समय इन महिलाओं के रहने की कोई समुचित व्यवस्था अस्पताल में नहीं दिखी. महिलाओं को फर्श पर बैठाया गया था. वहीं औषधि केंद्र में एक्सपायरी दवाएं रखी हुईं मिलीं.
सदर अस्पताल की जांच करने के बाद प्रधान सचिव एमजीएम का निरीक्षण को पहुंचे. प्रधान सचिव से एक व्यक्ति ने शिकायत की कि 24 घंटे पहले उनके परिवार के एक सदस्य की हड्डी टूट गयी. उसे परिजन इलाज के लिए लेकर आये. वह दर्द से कराह रहा है. अस्पताल के डॉक्टर कॉलेज में चल रही परीक्षा का हवाला देकर प्लास्टर नहीं कर रहे. कहा जा रहा है कि इलाज के लिए अगले 24 घंटे और इंतजार करना होगा.
शिकायत सुनने के बाद प्रधान सचिव ने अधीक्षक कार्यालय में सभी डॉक्टरों की बैठक बुलायी. बैठक शुरू होते ही डॉ कुलकर्णी भड़क गये. कहा कि परीक्षा के नाम पर किसी मरीज को 24 घंटे दर्द में छोड़ देना पूरी तरह अमानवीय कृत्य है. इसे कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता.
उन्होंने कहा कि डॉक्टर साहब, आप बताएं अगर यह मरीज आपके परिवार का सदस्य होता, तो भी क्या आप यही बात कहते. प्रधान सचिव ने अधीक्षक से कहा कि तत्काल मरीज का प्लास्टर कराया जाये. इसमें किसी तरह की लापरवाही वह बर्दाश्त नहीं करेंगे. उन्होंने सफाई का काम करने वाली एजेंसी के बिल भुगतान पर रोक लगा दी.
खाना बनाने के तरीके पर सचिव ने कहा- लगता है कि पसीने के पानी से रोटी के लिए गूंथा जा रहा है आटा : एमजीएम का निरीक्षण के दौरान डॉ नितिन मदन कुलकर्णी ने साफ-सफाई से लेकर खान-पान की स्थिति व इलाज के इंतजाम का जायजा लिया. निरीक्षण के दौरान उन्होंने मरीजों से पूछताछ की. पता चला कि पिछले दो दिन से किसी भी वार्ड का चादर तक नहीं बदला गया है.
उन्होंने कहा कि साफ-सफाई व धुलाई के नाम पर फर्जी पैसा की निकासी हो रही है. अस्पताल के अलग-अलग वार्ड में गंदगी पर बिफरे सचिव ने कहा कि सफाई के नाम पर कुछ भी नहीं हो रहा. हर जगह पर गंदगी, हर कक्ष में मकड़ी का जाल लगा हुआ है. कहा कि अगर आप लोग अस्पताल को साफ नहीं रख सकते, तो मुझे झाड़ू दें, मैं ही साफ कर देता हूं.
उन्होंने व्यवस्था पर व्यंग्य करते हुए कहा कि यह अस्पताल है या म्यूजियम. पता ही नहीं चल रहा. प्रधान सचिव ने कहा यह देश का अनोखा अस्पताल है. अस्पताल के आइसीयू में भर्ती होने से अच्छा बाहर मर जाना है.
कहा कि मरीजों के लिए तैयार कराये जाने वाले खाने की गुणवत्ता जांच का कोई तंत्र नहीं है. खाना बनाने का तरीका देखकर लगता है कि पसीने के पानी से रोटी के लिए आटा गूंथा जा रहा है. कर्मचारियों ने स्वास्थ्य सचिव को दिया ज्ञापन : स्वास्थ्य सचिव को एमजीएम अस्पताल असंगठित मजदूर संघ व झारखंड राज्य कर्मचारी संघ के प्रतिनिधिमंडल ने विभिन्न मांगों को लेकर अलग-अलग ज्ञापन सौंपा.
प्रधान सचिव ने एमजीएम के बारे में कहा – जब सभी लोग कठपुतली हैं, तो क्यों न श्रीराम इंटरप्राइजेज को अस्पताल आउटसोर्स कर दिया जाये
प्रधान सचिव ने अपने निरीक्षण की शुरुआत सबसे पहले अस्पताल के रजिस्ट्रेशन काउंटर को देखा वहां गंदगी मिली. उसके बाद आयुष्मान भारत केंद्र, सिटी स्कैन, एक्सरे विभाग, आर्थो, सर्जरी, बच्चा वार्ड, गायनिक ओटी, किचेन, इमरजेंसी, आइसीयू सहित अन्य विभागों को निरीक्षण किया.
आइसीयू में देखा कि लिखा था एक माह से एसी खराब है जिसके चलते ईको नहीं हो सकता है. इस पर सचिव ने कहा कि एक माह में जब एक एसी नहीं बना सकते है तो आप लोग क्या करेंगे. एक बैनर तक नहीं बनवा सकते है. अस्पताल की व्यवस्था देख प्रधान सचिव कहा कि इमरजेंसी में न आक्सीजन है, न ग्लब्स. बेड पर गंदे चादर और बगल में टूटा मेज.
600 बेड के मेडिकल कालेज के आईसीयू को आईसीयू कहने में शर्म आ रही है. वे अस्पताल के निरीक्षण के बाद अधीक्षक, उपाधीक्षक, एचओडी व डाक्टरों के साथ अधीक्षक चैंबर में बैठक कर रहे थे. अस्पताल में कैंटीन नहीं होने पर जहां ऐसी व्यवस्था है.
अस्पताल की सफाई व्यवस्था देखने वाली एजेंसी श्रीराम इंटरप्राइजेज के सुपरवाइजर से गंदगी की वजह पूछा. वह सफाई देता उससे पहले सचिव उस पर भड़क गये और कहा तुम छोड़कर चले जाओ नहीं तो मैं भगा दूंगा. बेडशीट गंदा होने का मुद्दा आने पर फिर श्रीराम इंटरप्राइजेज का नाम आने पर सचिव ने कहा सभी काम यही एजेंसी कर रही है, तो अस्पताल के अधीक्षक, उपाधीक्षक क्या करते हैं.
उपाधीक्षक ने कहा, सर वह सुनता नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर आप कैपेबल नहीं हैं, तो छोड़ दिजिये. डीसी से रिपोर्ट मिल गयी है. यहां क्या खेल चल रहा है. इस बीच एजेंसी मालिक राजीव कुमार आये और बताया कि पूर्व में उनका एक्सीडेंट हो गया था.
अस्पताल से 18 महीने से बिल का भुगतान नहीं हुआ है. कर्मचारियों का समय पर वेतन नहीं मिलने से वे काम छोड़कर चले गये हैं. सचिव जो किये हो यहीं भुगतना पड़ेगा. कोई बकाया नहीं मिलेगा. काम छोड़ दो. फिर सचिव ने गुस्से में कहा जब सभी लोग यहां कठपुतली है, तो क्यों न श्रीराम इंटरप्राइजेज को अस्पताल आउटसोर्स कर दिया जाये. मामला ही खत्म हो जायेगा.
एमजीएम
एमजीएम मेडिकल कॉलेज के पास बनेगा 500 बेड का अस्पताल, कैंसर अस्पताल के साथ-साथ एमजीएम के अलग-अलग विभागों में बढ़ेगी चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मचारियों की संख्या.
बिना दस्ताना और चिकित्सकीय सामग्री के पारा मेडिकल स्टाफ देख कहा-यहां मजाक चल रहा है क्या जो देखो जैसे अपनी मर्जी से काम कर रहा है.
निरीक्षण के दौरान डाॅक्टरों के अनुपस्थित रहने पर कहा- मुझे कार्रवाई करने के लिए मजबूर न करें.
आयुष्मान भारत योजना के प्रचार-प्रसार में खामियों पर भड़के, पूछताछ में पता चला गुरुवार को महज चार लोगों को दिया गया योजना का लाभ.
भवनों की जर्जर स्थिति देख बोले, कहीं मेरे साथ कोई अनहोनी न हो जाये, उपकरण तक नहीं, एक्स-रे से लेकर दूसरे कई उपकरण काम नहीं कर रहेे हैं.
अस्पताल में पीजी की समस्या बताने लगे एचओडी. सचिव ने कहा- पहले यूजी तो संभालिये फिर पीजी के बारे में विचार किया जायेगा .
अस्पताल में रेजीडेंट चिकित्सकों से लेकर आउटसोर्स कर्मचारियों और विभिन्न संविदाओं के क्रियान्वयन में हुई देरी को लेकर भी फटकार लगायी.
सदर अस्पताल
प्रधान सचिव ने सदर अस्पताल में पूछा, आयुष्मान योजना के कितने मरीज भर्ती, पता चला, बस दो, निर्देश दिया कि जिस बीमारी का इलाज आयुष्मान भारत के तहत मिल रहा है. उसका इलाज असाध्य रोग के तहत नहीं होगा.
आयुष के डॉक्टरों की खोज करते रहे, लेकिन डॉक्टर नहीं मिला. इसके साथ ही ड्रग इंस्पेक्टर ऑफिस भी बंद था.
ब्लड बैंक को तत्काल शुरू करने का निर्देश, समस्याओं का समाधान 15 जनवरी तक करें, जन औषधि केंद्र से दवाओं की बिक्री का हाल जान हुए हैरान, पता चला हर दिन अधिकतम चार से पांच सौ की दवाओं का हो रही बिक्री.
रजिस्ट्रेशन काउंटर, ममता वाहन काउंटर, ब्लड बैंक, प्रसव केंद्र, ओपीडी, वार्ड, टीबी वार्ड, इमरजेंसी, ओटी, एक्सरे विभाग, टीबी विभाग, मेडॉल, पैथौलॉजी सहित अन्य विभागों का निरीक्षण किया.
टीबी और एचआइवी के मरीजों की जांच एक साथ कराने के निर्देश दिया. जिससे मरीजों को किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं हो. सचिव डीइआइसी (जिला तत्काल रोकथाम केंद्र) पहुंचे. यह केंद्र बंद मिला. इस दौरान एक मरीज के परिजन ने सचिव से शिकायत किया की. बताया कि केंद्र पांच दिन से बंद है.
स्वास्थ्य सचिव ने सदर अस्पताल का निरीक्षण करने के बाद सिविल सर्जन के साथ बैठक की. बैठक में उपस्थित सभी पदाधिकारियों से मलेरिया, टीबी, फाइलेरिया, कुष्ठ सहित अन्य विभागों के बारे में जानकारी.

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